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धमाका धर्म: संंस्कार रहित शिक्षा जीवन में सुख शांति नहीं ला सकती : साध्वी नूतन प्रभाश्री

मंगलवार, 5 सितंबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
शिक्षक दिवस पर शिक्षकों का किया  गया  सम्मान  
शिवपुरी। जिस शिक्षा के  साथ  संस्कार नहीं वह जीवन में  प्रकाश की  ज्योति नहीं जगा सकती।  जीवन को आनंद  पूर्ण नहीं बना सकती। संस्कार रहित शिक्षा का कोई मूल्य नहींं हैं। उक्त उद्गार प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन  प्रभाश्री जी ने स्थानीय कमला भवन  में आयोजित शिक्षक सम्मान  समारोह में  व्यक्त किये। समारोह साध्वी  रमणीक कुंवरजी की  प्रेरणा से आयोजित इस समारोह में शिक्षकों का सम्मान किया  गया। धर्म सभा में साध्वी पूनम श्री जी ने  बताया कि त्याग में ही  सच्चा सुख  है। उन्होंने  कहा कि धनवान बनने की बजाय आप धर्मवान बनने को प्राथमिकता दें। 
साध्वी  वन्दना श्री जी ने प्रारम्भ में सुमधुर स्वर मेंं  भजन का गायन किया। इसके  बाद साध्वी नूतन  प्रभा श्री जी ने कहा  कि आज पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन जी का  जन्म दिवस है जो कि देश  भर में शिक्षक दिवस के रूप  में मनाया  जा रहा  है। उन्होंने कहा  कि शिक्षक  व्यक्तित्व निर्माण  में  अहम भूमिका  अदा करते  हैं। वह  अपने  शिष्य को ऐसा ज्ञान  प्रदान करते  हैं जिससे भौतिक क्षेत्र में उपलब्धि हासिल की जा सके  लेकिन असली  शिक्षा  वह है  जो भौतिक ज्ञान  के  अलावा  बच्चे को संस्कार  से भी परिपूर्ण करे।  उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे जब विदेश में अध्ययन  करने जाते हैं  तथा वहां अपनी सेवाएं देते हैं तो उन्होंने क्या पाया, क्या  खोया इसका  मूल्यांकन उनके  संस्कार देखकर होता है। विदेशों  में जाकर भी  जो अपने  संस्कार  नहींं भूलता, अपने माता पिता और बढे  बूढों का आदर करता है वहीं सच्ची  शिक्षा  गृहण करता  है और ऐसी शिक्षा  ही जीवन के  लिए उपयोगी होती है। उन्होंने  शिक्षकों से कहा कि वह बच्चों को शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी दें और ऐसे  बच्चोंं को  भी पढ़ायें जो पारिवारिक परिस्थिति या धन के अभाव मेंं शिक्षा  प्राप्त नहीं कर पाते।  साध्वी जी  ने  कहा कि आज शिक्षकों का सम्मान उन  लोगों से करवाया जायेगा जो कोई न कोई  व्रत या संकल्प  लेंगे। साध्वी रमणीक कुंंवर जी ने इस अवसर पर कहा कि शिष्यों  को पूर्ण विनम्रता के  साथ  शिक्षा गृहण  करनी चाहिए और  अपने शिक्षकों का आदर करना चाहिए। उन्होंने  इस बात पर दु:ख व्यक्त किया  कि आज के माहौल में शिक्षकों का उतना सम्मान नहीं हैं।  उज्जेन में  तो छात्रों ने एक शिक्षक के  गले में जूतों की माला  डाल दी थी। इससे जाहिर  है कि  नैतिक मूल्यों  का पतन हो रहा है जो कि दुर्भाग्य पूर्ण हैं। 
मां सरस्वती  की शिक्षकों  ने  की आराधना 
इस अवसर पर  गुरूणी  मैया रमणीक कुंवर जी महाराज को मां सरस्वती का  प्रतीक मानकर शिक्षकों ने उनकी आराधना की  और सरस्वती  मंा की प्रार्थना से वातावरण गुंजायमान कर  दिया।  इसके पश्चात  गुरूणी मैया ने प्राचार्य नरेन्द्र श्रीमाल, प्राध्यापक भूपेन्द्र श्रीमाल, मनोज श्रीमाल, संजय मूथा, श्रीमति  पुष्पा गूगलिया ,सुश्री प्रतिभा जैन, श्रीमति सविता बंसल, सुश्री मनीषा कृष्णानी, महावीर मुदगल  आदि को माल्यार्पण भेंट कर सम्मानित किया और उनसे कहा कि वह प्रतिदिन  मां सरस्वती की प्रार्थना कर अपने  ज्ञान की अभिवृद्धि  करें तथा  समाज और राष्ट्र को  ऊंचाईयों के सौपान पर ले  जायें। 
शिक्षकों का जैन समाज ने किया सम्मान  
साध्वी रमणीक  कुुंवर जी की प्रेरणा से जैन समाज और  चातुर्मास  कमैटी ने  प्रतिकात्मक रूप स े6 शिक्षकोंं का  सम्मान  किया। सम्मानित शिक्षकों का शॉल और माल्यार्पण  से  सम्मानित किया गया। सम्मानित  होने  वालों में सुश्री प्रतिभा जैन  ने  चातुर्मास कमैटी को 11 सौ रूपये की राशि सप्रेम भेंट  की  जिसकी अनुमोदना जैन समाज और चातुर्मास कमैटी ने की तथा उनके प्रति धन्यवाद  ज्ञापित किया ।













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