गीतिका -
----++-
उम्र के साथ आदतें बदलो,
सोच के साथ चाहतें बदलो।
तेरा घर है अगर तो उसका भी,
उम्र के साथ हरकतें बदलो।
आंख में बिन्दु मोतिया के हैं,
चश्में बदलो, ये रंगतें बदलो।
प्यार बदला है और न बदलेगा,
प्यार की पर इबारतें बदलो।
जा के बस जाओ किसी कुटिया में,
शान-शौकत की इमारतें बदलो।
प्यार से पेश आओ अफसर जी,
लाद रक्खी हैं वो लतें बदलो।
काटने वक्त सब्जियां कांटों,
काम में अपनी फुरसतें बदलो।
दाल-दलिया है पेट को माफिक,
शाम की अपनी दावतें बदलो।
राम का नाम साथ जायेगा,
जाओ मंदिर में संगतें बदलो।
तेरी बुद्धि ही अरुण ताकत है,
अपनी बुद्धि से ताकतें बदलो।
अरुण अपेक्षित

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें