शिवपुरी। हमें विषम परिस्थितियों का सामना करना चाहिए आत्महत्या जैसा कदम तो कभी भी नहीं उठाना चाहिए ये कहना था छात्रा निशा का जो आज 10 सितंबर विश्व आत्म हत्या निषेध दिवस पर एक कार्यशाला सह भाषण प्रतियोगिता में बोल रही थी। इसका आयोजन कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास शिवपुरी में आनंद संस्थान और एंजिल आनंद क्लब ने संयुक्त रूप में किया गया। डी पी एल अभय कुमार जैन जी और एंजिल आनंद क्लब महासचिव मनीष गर्ग जी ने आत्म हत्या निषेध दिवस के विषय में छात्राओं को बताया कि क्यों सारे विश्व में इस दिवस का आयोजन किया जाता है । तनुजा गर्ग सचिव एंजिल आनंद क्लब ने बताया कि पूरे विश्व में हर साल सात लाख लोग आत्म हत्या करते हैं जिसमें से अकेले भारत में एक लाख लोग प्रति वर्ष आत्म हत्या कर लेते हैं और सुनंदा राज उप सचिव एंजिल आनंद क्लब ने बताया कि प्रत्येक वर्ष एक थीम के साथ ये दिवस मनाया जाता है और इस वर्ष की थीम है *कार्यवाही के माध्यम से आशा पैदा करना*
रिजवाना खान मास्टर ट्रेनर एवं अध्यक्ष एंजिल आनंद क्लब ने छात्राओं के बीच आत्महत्या रोकथाम से प्रेरित करने हेतु एक त्वरित भाषण प्रतियोगिता आयोजित की जिसमें छात्रावास की छात्राओं ने अपने अपने विचारों के साथ भाग लिया आपने इस प्रतियोगिता में विशेष रूप से इस प्रकार के प्रश्नों को दिया जिससे छात्राएं अपने आसपास के वातावरण के साथ आत्महत्या के रोकथाम की प्रेरणा बन सकें। इसी क्रम में निशा जाटव नामक छात्रा ने अपने वक्तव्य में कहा कि *हमें विषम परिस्थिति का सामना करना चाहिए आत्महत्या जैसा कदम कभी नहीं उठाना चाहिए।* इस प्रकार प्रतियोगिता में निशा जाटव ने प्रथम ,वैष्णवी ने द्वितीय और चाहना धाकड़ ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। जबकि अन्य भाग लेने वाली छात्राओं में पायल रावत,काजल धाकड़,अंकिता यादव, वंदना धाकड़, खुशी गुर्जर ,प्रीति और रजनी शामिल हैं। प्रथम ,द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त छात्राओं को एंजिल आनंद क्लब अध्यक्ष और सचिव के द्वारा शील्ड प्रदान की गई। मास्टर ट्रेनर Dr अनीता जैन ने सभी प्रतिभागी छात्राओं को एक किट (एक स्टेपलर , उसकी पिन, ग्लू , व्हाइटनर पेन) प्रदान करवाई। मनीष गर्ग जी ने सभी प्रतिभागी छात्राओं को एक पेन और डी पी एल अभय जैन जी ने सभी छात्राओं को प्रमाणपत्र देकर इस प्रतियोगिता को संपन्न कराया। श्रीमती नीतू जैन जी अधिक्षका सारे समय साथ रहीं। *ज़िंदगी बहुत खूबसूरत है इसे आनंद के साथ जिओ* की प्रेरणा रिजवाना खान जी ने दी और आभार तनुजा गर्ग जी ने व्यक्त किया।

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