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धमाका खास खबर: करवा चौथ पर क्यों पूजते हैं चांद 1 नवम्बर 2023 को करवा चौथ व्रत, श्री मंशापूर्ण ज्योतिष अनुसार जानिए पूजन मुहूर्त

मंगलवार, 31 अक्टूबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। शास्त्र ओर पुराणों में करवा चौथ व्रत की कोई विशेष कथा का उल्लेख नहीं है लेकिन परंपरागत मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले देवी पार्वती ने शिव जी के लिए यह व्रत रखा था. मान्यता है कि द्रौपदी ने भी पांडवों को संकट से मुक्ति दिलाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था. करवा चौथ का व्रत विवाह के 16 या 17 सालों तक करना अनिवार्य होता है. 
हिंदू परंपरा के अंतर्गत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। कल 01 नवम्बर को चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जायेगा। अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना से हिन्दू धर्म मे इसका बड़ा विशेष महत्व बताया है जिसमे गणपति जीओर चंद्रमा की पूजा करके सुहागिनों द्वारा अपने सुहाग की रक्षा की कामना करती है। इस दिन महिलाएं चंद्रमा की पूजा कर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन चंद्रमा की ही पूजा क्यों की जाती है?
इस संबंध में कई कथाएं व किवंदतियां प्रचलित हैं। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने के संबंध में एक मनोवैज्ञानिक पक्ष भी है।
उसके अनुसार- रामचरितमानस के लंका कांड के अनुसार, जिस समय भगवान श्रीराम समुद्र पार कर लंका में स्थित सुबेल पर्वत पर उतरे और श्रीराम ने पूर्व दिशा की ओर चमकते हुए चंद्रमा को देखा तो अपने साथियों से पूछा - चंद्रमा में जो कालापन है, वह क्या है?
सभी ने अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार जवाब दिया। किसी ने कहा चंद्रमा में पृथ्वी की छाया दिखाई देती है।
किसी ने कहा राहु की मार के कारण चंद्रमा में कालापन है तो किसी ने कहा कि आकाश की काली छाया उसमें दिखाई देती है।
तब भगवान श्रीराम ने कहा- विष यानी जहर चंद्रमा का बहुत प्यारा भाई है। इसीलिए उसने विष को अपने ह्रदय में स्थान दे रखा है, जिसके कारण चंद्रमा में कालापन दिखाई देता है। 
अपनी विषयुक्त किरणों को फैलाकर वह वियोगी नर-नारियों को जलाता रहता है।
इस पूरे प्रसंग का मनोवैज्ञानिक पक्ष यह है कि जो पति-पत्नी किसी कारणवश एक-दूसरे से बिछड़ जाते हैं, चंद्रमा की विषयुक्त किरणें उन्हें अधिक कष्ट पहुंचाती हैं। इसलिए करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा कर महिलाएं कामना करती हैं
कि किसी भी कारण उन्हें अपने प्रियतम का वियोग न सहना पड़े,
उन्हे लम्बी आयु मिले यही कारण है कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने का विधान है।करवा चौथ पूजा मुहूर्त।
इस साल करवा चौथ की तिथि 31 अक्टूबर मंगलवार रात 9 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर एक नवंबर रात 9 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार, करवा चौथ का उपवास एक नवंबर बुधवार को रखा जाएगा।
05:24pm से 06:41pm
करवा चौथ व्रत समय
06:16Am से 08:05pm 
*चंद्रोदय समय 08:05 PM अन्य शहरों के अक्षांश रेखांश अनुसार 19 से 22 मिनिट का समय परिवर्तन











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