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धमाका गांधी जयंती: वक्ताओं ने रखे विचार कहा- 65 देशों में गांधी प्रतिमा, जहां उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक

मंगलवार, 3 अक्टूबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
जिन फिरंगियों ने गांधीजी की लॉ डिग्री निरस्त की, उसी ब्रिटिश संसद के बाहर 1984 में लगी प्रतिमा
महात्मा गांधी का कद कितना बड़ा है संपूर्ण विश्व में लगी उनकी 65 प्रतिमाओं से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिस अंग्रेज शासन ने सत्याग्रह के दौरान 6 साल जेल की सजा देने की वजह से उनकी लॉ डिग्री निरस्त की। इसी ब्रिटिश संसद ने महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व को पहचानते हुए सन 1984 में उनकी प्रतिमा संसद भवन के सामने लगवाई। यह दर्शाता है कि गांधी जी का चिंतन और उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है। यह बात गांधी सेवा न्यास द्वारा गांधी जयंती के अवसर पर सोमवार को सर्व धर्म सभा आयोजन के दौरान मुख्य वक्ता की आसंदी से न्यास के अध्यक्ष पंडित श्रीप्रकाश शर्मा ने गांधी एज ए लॉयर विषय पर अपना पक्ष रखते हुए कही।
उन्होंने साउथ अफ्रीका का उदाहरण देते हुए कहा कि जब दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी ने प्रैक्टिस शुरू की तो उनकी प्रतिवर्ष की आमदनी एक करोड़ 65 लाख रुपए थी। जो किसी भी भारतीय वकील की आमदनी से कहीं अधिक थी, बावजूद इसके उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लोगों को वहां के महंगे अंग्रेज शासकों की फीस को छोड़कर दोनों पक्षों को समझाइश देना शुरू की। नतीजा यह रहा की साउथ अफ्रीका के न्यायालय ने माना कि गांधी यहां पैरेलल कोर्ट चला रहे हैं, और उन्होंने गांधी से ऐसा करने को मना किया। क्योंकि इससे पूरी न्याय व्यवस्था प्रभावित हो रही थी. तब गांधी जी की लोकप्रियता पूरे दक्षिण अफ्रीका में बढ़ रही थी। आज भले ही लोग गांधी जी के बारे में बिना सोचे समझे टीका टिप्पणी कर दें, लेकिन गांधी जैसा योग्य, निडर और महान व्यक्तित्व वर्तमान में ढूंढने से भी नहीं मिलेगा। इसीलिए संपूर्ण विश्व आज उनकी अहिंसा और सत्य धर्म की स्तुति करता है। आयोजन को संबोधित करते हुए साहित्यकार और इतिहास की जानकारी रखने वाले डॉक्टर हरिप्रकाश जैन हरि ने कहा कि जब इरविन समझौते की बात आई थी तब नेहरू जी भगत सिंह के पास गए थे और उनसे कहा था कि अंग्रेज शासन की ओर से प्रस्ताव आया है कि वह माफी मांग ले, तुम्हारा क्या कहना है। तो भगत सिंह ने कहा था मैंने असेंबली में बम माफी मांगने के लिए नहीं फेंका था, इसलिए फेंका था कि देश की युवाओं को कुर्बानी देने के लिए वह प्रेरित कर सके और भारत माता की रक्षा के लिए लोग अपना सर्वस्व समर्पण कर दें। इसलिए यह कदम उठाया, मेरा बलिदान लगता है तो लग जाए। इस तरह के बयान के बाद भगत सिंह की वीरता को संपूर्ण देश ने सराहा। कुल मिलाकर गांधी का जीवन दर्शन विश्व में शांति, अहिंसा और प्रेम का संदेश देता है, जो हमें आज भी उस राह पर चलने की शक्ति और प्रेरणा देता है। कार्यक्रम का संचालन चंद्रकांत शर्मा मामा द्वारा किया गया।
सेवादल ने मनाई गांधी एवं शास्त्री जयंती: सोमवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर जिला सेवादल कांग्रेस ने गांधी पार्क स्थित गांधी समाधि पर सेवादल साथियों सहित जिला कांग्रेस के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने गांधी समाधि स्थल पहुंच दीप प्रज्वलित एवं पुष्पांजलि कर बापू एवं शास्त्री जी को संयुक्त रूप से नमन किया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय सिंह चौहान, पूर्व विधायक गणेश गौतम, कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी, जिनेश जैन रामजीलाल कुशवाहा, दिनेश वशिष्ठ, सेवादल जिला अध्यक्ष हरीश खटीक, उपभोक्ता संरक्षण प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष संजय शर्मा, जिला महामंत्री हफीजुर्रहमान खान, जिला सेवादल कोऑर्डिनेटर बृजेंद्र सिंह चौहान, जितेंद्र पांडे, शाकिर खान, सुरेंद्र गुर्जर, विनय चंद्र झा, पुनीत शर्मा, सुखलाल घावरी, योगेश गॉड, देवेंद्र परिहार आदि सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता एवं गांधीवादी विचार के लोग उपस्थित रहे। अंत में सेवादल जिला अध्यक्ष हरीश खटीक ने सभी का आभार व्यक्त किया।
धर्म गुरुओं ने विश्व शांति के लिए की प्रार्थना
आयोजन के दौरान महात्मा गांधी के प्रिय भजनों का गायन आत्मानंद शर्मा और श्री भार्गव द्वारा संगत के माध्यम से किया गया। इसके पश्चात सामूहिक रूप से विभिन्न धर्म गुरुओं द्वारा प्रार्थनाएं पढ़ी गई, जिसमें गांधी जी को नमन करते हुए विश्व की शांति की कामना की गई। इस अवसर पर जैन धर्म की ओर से पंडित विनय प्रकाश जैन नीरज, बौद्ध धर्म की ओर से राहुल साहब, गुरुद्वारा पंथ की ओर से ग्रंथि गुरमीत सिंह, सनातन धर्म की ओर से रामानुजन आचार्य और इस्लाम धर्म की ओर से शहरकाजी बलिउद्दीन सिद्दीकी उपस्थित रहे। जबकि ईसाई धर्म की प्रार्थना सेंट मैथ्यू की रचना पढ़कर पंडित श्रीप्रकाश शर्मा ने की। इसके पश्चात गांधीजी के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया गया। इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी नमन कर उन्हें याद किया गया।













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