हर साल डेढ़ करोड़ से अधिक लोग स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं और करीब 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है: रवि गोयल सामाजिक कार्यकर्ता
शिवपुरी। वैश्विक स्तर पर स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। पहले बुजुर्गों में होने वाली इस बीमारी से अब युवा आबादी भी परेशान हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल डेढ़ करोड़ से अधिक लोग स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं और करीब 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है। ये कहना था शक्ति शाली महिला संगठन के संयोजक रवि गोयल का जो की ग्राम कोयला कॉलोनी शिवपुरी में आरबीएसके एवम शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित स्ट्रोक जागरूकता कार्यक्रम में कही प्रोग्राम में आरबीएसके के सीनियर मेडीकल ऑफिसर डॉक्टर नीरज सुमन ने कहा की
स्ट्रोक के बढ़ते जोखिमों की रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने व स्ट्रोक के शिकार लोगों को बेहतर देखभाल सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से हर साल स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के लिए हर साल एक खास थीम होती है। दुनियाभर में स्ट्रोक के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है, साथ ही स्वास्थ्य के प्रति सचेत किया जाता है। सीनियर एएनएम गीता भगत ने कहा की हर साल 29 अक्तूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2004 में हुई, जब कनाडा में वर्ल्ड स्ट्रोक कांग्रेस ने इस दिन को मनाया। दो साल बाद वर्ष 2006 में इस दिन को जन जागरूकता के लिए घोषित किया गया। 2006 में, वर्ल्ड स्ट्रोक फेडरेशन और इंटरनेशनल स्ट्रोक सोसाइटी के विलय के साथ वर्ल्ड स्ट्रोक संगठन स्थापित हुआ। तब से, विश्व स्ट्रोक संगठन (डब्ल्यूएसओ) विभिन्न प्लेटफार्मों पर विश्व स्ट्रोक दिवस (डब्ल्यूएसडी) मनाता आ रहा है। इसी क्रम में आज स्वास्थ जांच सह स्ट्रोक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। संस्थान के सामान्य स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी साहब सिंह धाकड़ ने कहा की 1990 के दशक में दुनियाभर में स्ट्रोक के बढ़ते आंकड़ों के कारण यह अस्तित्व में आ गया था। 2010 में विश्व स्ट्रोक संगठन ने जागरूकता की कमी और इसके निदान व उपचार का उचित प्रबंधन से मृत्यु दर और विकलांगता को रोकने के लिए स्ट्रोक को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया इस वर्ष विश्व स्ट्रोक दिवस की थीम एक साथ मिलकर हम स्ट्रोक से भी बड़े हैं यह विषय उच्च रक्तचाप, अनियमित दिल की धड़कन, धूम्रपान, आहार और व्यायाम जैसे जोखिम कारकों की रोकथाम पर जोर देता है, क्योंकि जोखिम कारकों को संबोधित करके लगभग 90% स्ट्रोक को रोका जा सकता है आईसीडीएस सुपरवाइजर तरुणा पाटिल ने समुदाय को बताया कि ब्रेन स्ट्रोक एक मेडिकलआपदा है, जिसमें मस्तिष्क के किसी हिस्से की आपूर्ति रक्त परिसंचरण में रुकावट होती है या ब्लड सप्लाई कम होने से ब्रेन के किसी भाग की मृत्यु हो सकती है। इस अवसर पर आगानवाड़ी कार्यकर्ता , एएनएम, आशा कार्यकर्ता के साथ साथ शक्ति शाली महिला संगठन की पूरी टीम ने भाग लिया।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें