Responsive Ad Slot

Latest

latest

जो अपनी आत्मा की आवाज सुनता है वह पाप नहीं कर सकता : साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

शनिवार, 14 अक्टूबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
धर्म सभा में जैन साध्वियों ने बताया- पाप के फल से कोई नहीं बच सकता
शिवपुरी। हमारी आत्मा हमें बुरे कामों और पाप करने से रोकती है जबकि मन का झुकाव पाप के कामों की ओर होता है। इंसान के भीतर मन और आत्मा में अंतर्द्वंद चलता रहता है। जो अपनी आत्मा की आवाज सुनता है वह पाप नहीं कर सकता और हमेशा वह बुराइयों से दूर रहता है। उक्त बात शनिवार को कमला भवन में आयोजित धर्म सभा में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कही। उन्होंने समझाइश दी कि हमें जीवन का हर पल सावधानी से बिताना चाहिए। क्या पता जिंदगी का दीप कब बुझ जाए? उन्होंने कहा कि अंतिम समय में व्यक्ति की जैसी मनोवृत्ति और भावना रहती है उसे अगले जन्म में उसी प्रकार की गति प्राप्त होती है। धर्मसभा में साध्वी वंदना श्री जी ने श्रावक के गुणों का वर्णन करते हुए कहा कि श्रावक क्षमाशील होना चाहिए और क्रोध आदि कषायों से उसकी अंतरात्मा मुक्त होनी चाहिए।
धर्मसभा के प्रारंभ साध्वी जयश्री जी ने हम तो ठहरे परदेसी साथ क्या ले जाएंगे, एक दिन देखना सभी पंछी उड़ जाएंगे...भजन का गायन कर जीवन की यथार्थता का बोध कराया। साध्वी वंदनाश्री जी ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि जिन वाणी को जिसने अपने जीवन में उतारा वह भव सागर से पार हो जाता है। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि परमात्मा का कोई भी वचन तीनों लोक तथा तीनों कालों में सत्य है। उन्होंने कहा कि हमारा मन हमें पाप की ओर खींचता है जबकि आत्मा पाप से बचाती है, लेकिन जब हम आत्मा की आवाज सुनना बंद कर देते हैं और आत्मा पर मन की आवाज भारी हो जाती है तो हमारा पतन सुनिश्चित हो जाता है। उन्होंने बताया कि संसार में जो जैसी करनी करता है वह वैसा फल पाता है। उन्होंने एक जीवंत उदाहरण देते हुए बताया कि एक निर्दोष व्यक्ति को हत्या के अपराध में फांसी की सजा हुई जब उससेे किसी ने साक्षात्कार लिया तो उक्त व्यक्ति ने बताया कि 15 साल पहले मैंने एक मर्डर किया था उस समय मैं बच गया था, लेकिन आज मर्डर केस में झूठा फंस जाने पर मुझे प्रभु के न्याय पर भरोसा हो गया है। साध्वी जी ने कहा कि अपने द्वारा किए गए पाप का हिसाब हमें चुकाना पड़ता है। जब तक पुण्य प्रबल होते हैं तब तक वह पाप का परिणाम सामने नहीं आता, लेकिन पुण्य कमजोर होने के बाद पाप का परिणाम भोगना पड़ता है। साध्वी जी ने यह भी कहा कि अंतिम समय में हमें धर्म आराधना और अच्छे कर्मों में रत रहना चाहिए इससे हमारी गति अच्छी होगी। यही भावना दिन रात हमें भानी चाहिए कि हे प्रभु इस संसार में सभी सुखी रहें।












कोई टिप्पणी नहीं

एक टिप्पणी भेजें

© all rights reserved by Vipin Shukla @ 2020
made with by rohit Bansal 9993475129