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धमाका खास खबर: जब इंदिरा ने नाक टूटने पर भी बोलना जारी रखा..क्लिक

मंगलवार, 31 अक्टूबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
शहीद दिवस पर विशेष, डॉक्टर गिरीश चतुर्वेदी जी की फेसबुक वॉल से साभार
इंदिरा गाँधी.. नाम सुनते ही आयरन लेडी, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, और राजा महाराजाओं का प्रिविपर्स ख़त्म करना और पाकिस्तान के दो टुकड़े करना याद आता है ना… लेकिन 1975 की इमरजेंसी और ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसे विवाद भी सामने आते हैं.. 
पर व्यक्तित्व को दूसरे तरीक़े से समझिए .. 
घटना नम्बर 1- जब इंदिरा ने नाक टूटने पर भी बोलना जारी रखा.. 
1967 के चुनाव में इंदिरा गांधी का वो रुतबा नहीं था, जिसने बाद में उन्हें भारत की सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री बनाया.
उस ज़माने में उड़ीसा स्वतंत्र पार्टी का गढ़ हुआ करता था. जैसे ही इंदिरा ने एक चुनाव सभा में बोलना शुरू किया, उनके ऊपर वहाँ मौजूद भीड़ ने पत्थरों की बरसात शुरू कर दी.
स्थानीय नेताओं ने उनसे अपना भाषण तुरंत समाप्त करने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने बोलना जारी रखा.
अभी वो भीड़ से कह ही रही थीं, "क्या इसी तरह आप देश को बनाएंगे? क्या आप इसी तरह के लोगों को वोट देंगे." तभी एक पत्थर उनकी नाक पर आ लगा. उसमें से खून बहने लगा. उन्होंने अपने दोनों हाथों से बहते खून को पोंछा. उनकी नाक की हड्डी टूट गई थी. 
लेकिन ये इंदिरा गांधी को विचलित करने के लिए काफ़ी नहीं था.अगले कई दिनों तक उन्होंने चेहरे पर प्लास्टर लगाए हुए पूरे देश में चुनाव प्रचार किया. हमेशा अपनी नाक के लिए संवेदनशील रहने वाली इंदिरा गांधी ने बाद में मज़ाक भी किया कि उनकी शक्ल बिल्कुल 'बैटमैन' जैसी हो गई है. 
घटना नम्बर 2. - जब इंदिरा माँ आनंदमयी की गोद में सर रखकर बहुत रोईं.. 
1977में जनता पार्टी की लहर के समय इंदिरा गांधी और संजय गांधी दोनों ही लोकसभा चुनाव हार गए थे. जिसके बाद केंद्र से उनकी सत्ता भी चली गई थी. सत्ता में आने के बाद जनता पार्टी सरकार ने इंदिरा गांधी पर दर्जनों मुकदमे किये थे. जिसके बाद निराश व हताश इंदिरा धर्मनगरी हरिद्वार के कनखल स्थित श्री श्री आनंदमयी आश्रम पहुंची थीं. यहां पहुंचकर उन्होंने मां आनंदमयी से मुलाकात की. इस दौरान संजय भी उनके साथ थे.बताया जाता है कि इस दौरान आनंदमयी की गोद में सिर रखकर इंदिरा बहुत रोई थीं. इंदिरा शिव भक्त थीं। हमेशा एक मुखी रुद्राक्ष की एक माला पहना करती थीं। उन्हें माला किसने दी सच तो उनके साथ ही चला गया पर कहा जाता है उज्जैन के पंडित सूर्यनारायण व्यास (जिन्होंने स्वतंत्र भारत की कुंडली उनके पिता जवाहर लाल नेहरू के कहने पे बनाई थी) की सलाह पर उन्होंने ये माला पहनना शुरू की जो कि नेपाल के शाही परिवार या माँ आनंदमयी में से किसी एक ने दी थी। 
ऐसी ही थीं इंदिरा.. 
पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दुनिया के नक़्शे पर नया देश का निर्माण करने, नेशनल पार्क बनाकर शिकार पर प्रतिबंध लगा कर वन्यजीव और जंगल बचाने वाली आयरन लेडी इंदिरा जी को उनके शहीदी दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि ..💐🙏













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