शिवपुरी। सामान्य तौर पर कर्मों के फल के कारण इंसान दु:खी होता है लेकिन आज कल देखने में यह आ रहा है कि लोग कर्मों के कारण नहीं बल्कि अपने स्वभाव के कारण दु:खी हो रहे है। यदि वह अपना स्वभाव सुधार लें तो दु:ख से मुक्ति से संभव है। बुरे स्वभाव वाला व्यक्ति न केवल खुद दु:खी होता है बल्कि दूसरों को भी दु:खी करता है। उक्त प्रेरणास्पद उदगार प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने स्थानीय कमलाभवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। धर्मसभा में साध्वी जयश्री जी ने इस जहां में कर्मों का फल पाना होता है, प्रेम जिसको पाना होता है भजन का गायन किया।
नवरात्रि के तीसरे दिन मंगलवार को जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि मंगल धैर्य, साहस और बल का प्रतीक है। उन्होंने कहा इसी कारण मंगलवार को हनुमान जी महाराज के दर्शन, पूजा और आराधना की जाती है। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि हमारे जीवन में मंगल आए इसके लिए जीवन में धर्मर् होना आवश्यक है। उन्होंने धर्म को उत्कृष्ट मंगल बताया। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि धर्म क्षेत्र में हमें साहस का उपयोग करना चाहिए। जो व्यक्ति अधिक साहसी होगा वह धर्म में तप, आराधना और जप आदि कर सकेगा तथा अपने जीवन को उन्नति के शिखर पर ले जाने में सक्षम होगा। साहस का उपयोग कर वह अपने कर्मों को तोड़ सकता है। उन्होंने कहा कि साहसी व्यक्ति हर चुनौती को स्वीकार कर सकता हैै और उस चुनौती से पार जाने की उसमें क्षमता होती है।
नवरात्रि में परमात्मा की वाणी का विशेष स्वाध्याय कर शक्ति जाग्रत करें: साध्वी नूतन प्रभाश्री
-जैन साध्वी ने बताया नवरात्रि में हर दिन का विशेष महत्व, साधना कर पाई जा सकती है सिद्धि
नवरात्रि के 9 दिन विशेष महत्व के होते है और हर दिन का अपना महत्व है। इस बार रविवार से नवरात्रि प्रारंभ हुई है। रविवार को सूर्य की आराधना कर अपने जीवन में ज्ञान रूपी प्रकाश को प्राप्त करें तथा सोमवार को चन्द्रदेवता की आराधना कर मन को शीतल बनाऐं। जिसका मन शीतल हो जाता है उसका घर स्वर्ग बन जाता है। उक्त उदगार प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने स्थानीय कमलाभवन में आयोजित विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए। धर्मसभा में साध्वी वंदनाश्री जी ने ओम जय जिनवर चंदा, सुख संपत्ति के दाता भजन का गायन कर नवरात्रि के दूसरे दिन चंद्र देवता की आराधना को शुभ बताया।
साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि नवरात्रि का पर्व श्रेष्ठ शक्तिदायक और ऊर्जा प्रदान करने वाला है। इन नौ दिनों में हिन्दू धर्म में और जैन संस्कृति में परमात्मा की वाणी का विशेष स्वाध्याय प्रारंभ होता है। 9 दिन नारी शक्ति को जागृत करने वाले है। साध्वी जी ने बताया कि आज की नारियां अपनी छुपी हुई शक्ति को पहचान नहीं पाती है। इसलिए उन्हें नवरात्रि में विशेष रूप से देवी की आराधना कर अपनी शक्ति को जागृत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नवरात्रि में नमो सिद्धानम मंत्र की पांच माला का जाप प्रतिदिन करें। उससे आपको कोई गृह परेशान नहीं करेगा। रविवार को आराधना करने से जीवन में ज्ञान का प्रकाश आएगा। उन्होंने बताया कि विधि विधान पूर्वक सूर्य भगवान की आराधना करें। यदि हमें फल नहीं मिल रहा तो उसका अर्थ है कि हमने आराधना तो की है लेकिन विधि विधान पूर्वक नहंी की। सोमवार को चन्द्रदेवता की आराधना करना चाहिए जिससे मन में शीतलता का वास हो। उन्होंने बताया कि आज के दिन नमो अरिहंताणं की माला का जाप करें। उन्होंने कहा कि यदि हमें कोई मंत्र सिद्ध करना है तो उस मंत्र को गुरू द्वारा लेना चाहिए। उच्चारण हमारा शुद्ध होना चाहिए। जिस आसन पर बैठकर मंत्र का जाप करें वह आसन आपका होना चाहिए तथा माला कमर के नीचे नहीं होना चाहिए। उसमें स्थिरता हो चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा का हृारास होता है। मंत्र का जाप करने वाले का जीवन शुद्ध और सात्विक होना चाहिए तथा उसमें ईश्वर और गुरूजनों के प्रति श्रद्धा का भाव होना चाहिए।
साध्वी रमणीक कुंवर जी की बड़ी मांगलिक 20 को
प्रतिवर्ष जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी श्रद्धालुओं के कल्याण हेतु चार्तुमास में बड़ी मांगलिक देती है। वर्ष में एक बार होने वाले इस मांगलिक पाठ का आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्व है और यह भक्तों को हर प्रकार के विघन्नों से मुक्त कराने के लिए होता है। महासति नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि जैन शास्त्रों में ऐसी विधियां है जिसके जरिए भक्तों का कल्याण किया जा सकता है। बड़ी मांगलिक शिवपुरी में 20 अक्टूबर को सुबह 10 बजे परिणय वाटिका में गुरूणी मैया रमणीक कुंवर जी महाराज द्वारा दी जाएगी।

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