शिवपुरी। सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं। चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है। यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है। इतने गुणों के नाते सहजन चमत्कार से कम नहीं है। ये कहना था सामाजिक कार्यकर्ता शक्ति शाली महिला संगठन के नोडल ऑफिसर औषधीय प्लांट्स प्रमोद गोयल का जो की ग्राम गहलोनी के समुदाय के साथ सेहजन के उपयोग की जागरूकता कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे उन्होंने बताया कि करीब पांच हजार वर्ष पूर्व आयुर्वेद ने सहजन की जिन खूबियों को पहचाना था, आज के वैज्ञानिक युग में वे साबित हो चुकी हैं। सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक कहा जाता है। इसका वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। फिलीपीन्स, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में भी सहजन का उपयोग बहुत अधिक किया जाता है। दक्षिण भारत में व्यंजनों में इसका उपयोग खूब किया जाता है। सुपोषण सखी फूलवती ने कहा की सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है । इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है। दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है। उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है। सर्दियां जाने के बाद फूलों की सब्जी बना कर खाई जाती है फिर फलियों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है। समुदाय की आशा ने कहा की सहजन वृक्ष किसी भी भूमि पर पनप सकता है और कम देख-रेख की मांग करता है। इसके फूल, फली और टहनियों को अनेक उपयोग में लिया जा सकता है। भोजन के रूप में ईअत्यंत पौष्टिक है और इसमें औषधीय गुण हैं। इसमें पानी को शुद्ध करने के गुण भी मौजूद हैं। सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है और छाल पत्ती, गोंद, जड़ आदि से दवाएं तैयार की जाती हैं। सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में है। सहजन में दूध की तुलना में चार गुना कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। इस अवसर पर संस्था के नोडल अधिकारी के साथ साथ आशा कार्यकर्ता रचना आदिवासी एवम समुदाय की महिलाओं ने सहभागिता की।

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