झूले हुए जो आधुनिक, सावन चला गया
चूल्हे की रोटी, दाल का आलन चला गया
जब पास में रहा तो कभी कद्र नहीं की
वो अपनेपन का प्यारा सा, बचपन चला गया।
आई थी उन्नति तो, ऊंचाई चढ़ गये
दीवारें ऊंची हो गईं, आंगन चला गया।
चंदा को देखने की ख्वाहिश में अनुरागी
चलनी में "हबी" देखा तो, साजन चला गया।

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