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धमाका खास खबर: "जिन हाथों में सूंघने वाले नशीले पदार्थ और कचरा पन्नी हुआ करती थी वे आज दीवाली के कलात्मक दीपक बना रहे हैं", बच्चों के लिए व्यवहार परिवर्तन का बड़ा केंद्र बनकर उभरा, "मंगलम-शिवपुरी" द्वारा संचालित "वात्सल्य गृह"

शुक्रवार, 10 नवंबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
Dhamaka Special News: "The hands which used to hold sniffing drugs and garbage foil are now making artistic lamps for Diwali", "Vatsalya Grih" run by "Mangalam-Shivpuri" has emerged as a big center of behavior change for children. "
SHIVPURI शिवपुरी। जिन हाथों में सूंघने वाले नशीले पदार्थ और कचरा पन्नी हुआ करती थी वे आज दीवाली के कलात्मक दीपक बना रहे हैं। खरीदार भी शहर के प्रतिष्ठित लोग हैं। "मंगलम-शिवपुरी" द्वारा संचालित "वात्सल्य गृह" जिले के ऐसे बच्चों के लिए व्यवहार परिवर्तन का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है जो अनाथ, परित्यक्त, बेसहारा या नशे के दलदल में फंसे थे।यहां करीब 20 बच्चों को आश्रय दिया गया है लेकिन खास बात यह है कि वात्सल्य गृह केवल आश्रय भर नही दे रहा है बल्कि बिषम पारिवारिक एवं सामाजिक परिस्थितियों से जूझ रहे इन बच्चों को उनकी प्रतिभा औऱ कौशल के साथ सामाजिक रूप से समेकित करने की कार्ययोजना पर भी प्रमाणिकता से काम कर रहा है।
अब तक 86 बच्चों को गृह द्वारा संरक्षण दिया गया।नशीले पदार्थो का सेवन करने वाले करीब एक दर्जन बच्चों को यहां बाल कल्याण समिति औऱ महिला बाल विकास के माध्यम से भर्ती किया गया है। गृह की अधीक्षक मनीषा कृष्णानी के मुताबिक इन बच्चों को खतरनाक परिस्थितियों से यहां लाया गया,महीनों तक बच्चे नशे के दुष्प्रभावों के चलते शून्यवत बने रहे।वे भागने की कोशिशें करते लेकिन गृह के विविधवर्णी वातावरण में आज ये सभी बच्चे नशे की दुनिया को छोड़ चुके हैं।
इस तरह बढ़ता हैं उत्साह
बच्चों की मेंटरिंग के लिए मंगलम ने शहर के प्रतिष्ठित लोगों को अपने साथ संयुक्त किया।महिला बाल विकास अधिकारी देवेंद्र सुंदरियाल, हैप्पीडेज स्कूल की प्रमुख गीता दीवान, इनरव्हील की रेणु सांखला, आर्टिस्ट वंदना शिवहरे, प्रदीप सोनी , आबकारी अधिकारी तीर्थराज भारद्वाज, आध्यात्मिक गुरु रघुवीर सिंह गौर , नपा सीएमओ डॉ केएस सगर जैसे लोग यहां नियमित रूप से बच्चों से संवाद करने आते हैं।
हर हुनर को तराशने की कोशिश
मंगलम की सदस्य रेणु सांखला प्रतिदिन बच्चों को दो घण्टे पढ़ाती हैं,वह स्वीकार करती है कि उन्हें बच्चों को अक्षर ज्ञान में दिक्कत आई लेकिन आज साल भर बाद वह इस बात से प्रशन्न है कि इन बच्चों में अप्रत्याशित बदलाव ही नही आया बल्कि जीवन की दिशा भी बदलती दिख रही है।
गणेश उत्सव में प्रथम रहे
विषम परिस्थितियों से निकले बच्चों के व्यवहार परिवर्तन का नजारा इस साल के गणेश उत्सव में देखा गया जब इन बच्चों ने देशभक्ति अभिनय प्रस्तुत कर कलेक्टर एसपी को प्रभावित किया।इसके अलावा 15 अगस्त को भी बेहतरीन प्रस्तुति की गई।
पहले निखारा 
बच्चों की रचनात्मकता को निखारने के लिए आर्टिस्ट वंदना शिवहरे, रेणु सांखला ने अलग से मेहनत की, पहले बच्चों को रुचि अनुसार विभाजित किया। कुछ बच्चे मेहंदी लगाने में निपुण थे तो कुछ पेंटिंग में। इस हुनर को आगे बढ़ाते हुए दीवाली के कलात्मक दीपक बच्चों से बनाबाये गए। इन दीपकों की बिक्री शहर के लोगों के बीच व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से शुरू की गई।तीन दिन में बच्चों के सभी दीपक लोगों ने खरीद लिए।
ये बोले अधिकारी
मंगलम के वात्सल्य गृह में बच्चों को रचनात्मक प्रशिक्षण ही नही बल्कि शिक्षा,कौशल के प्रबंध भी बेहतर हैं।संस्था द्वारा जनभागीदारी भी सुनिश्चित की गई है यह सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है।
-देवेंद्र सुंदरियाल 
जिला बाल संरक्षण अधिकारी, शिवपुरी।













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