ग्वालियर। मध्यप्रदेश चुनाव अपने आप में बेहद ख़ास था यह पहला प्रदेश चुनाव था जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा शामिल होकर प्रचार कर रहे थे । कांग्रेस के लिए भी अलग था क्यूँकि वो पहली बार बिना सिंधिया के चुनाव लड़ रहे थे , इसके वजह से ग्वालियर - चम्बल के साथ साथ इंदोर और मालवा मिलाकर 100 से अधिक सीटों पर सीधे प्रभावित करने वाला कोई चेहरा नहीं था । दिग्विजय सिंह ने पिछले तीन साल और ख़ासकर चुनाव के पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के ख़िलाफ़ बहुत सारे आपत्तिजनक बयान दिए थे। इसको लेकर कभी केंद्रीय मंत्री ने जवाब नहीं दिया था लेकिन वह कांग्रेस व ख़ासकर दिग्विजय के क़रीबियों को हराने की रणनीति पर काम किया था । दिग्विजय करीबी हर नेता चाहे भाई लक्ष्मण सिंह हो या विधायक केपी सिंह ने भी सिंधिया पर कई बार हमला किया था । लहार के गोविंद सिंह को भी भाजपा के अमरीश शर्मा से हार मिली।
दिग्विजय के क़रीबियों को मिली हार
इस चुनाव में दिग्विजय सिंह के करीबी व कांग्रेसी प्रत्याशी केपी सिंह , गोपाल सिंह , जीतू , सज्जन वर्मा व भाई लक्ष्मण सिंह को करारी हार का सामना करना पड़ा । केवल दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह जगह कुछ सौ वोटों से अपनी इज्जत बचा पाए।
बड़े अंतर से हारे सभी बड़बोले कांग्रेसी
केपी सिंह को भाजपा के देवेंद्र जैन ने 43000 वोटों से हराया , वही चन्देरी से सिंधिया के ख़िलाफ़ बयान देने वाले गोपाल सिंह को भी चन्देरी की जनता ने सबक़ सिखाया, भाजपा के जगन्नाथ सिंह ने गोपाल सिंह को 21 हज़ार से अधिक मतों से हराया।
वहीं चचौड़ा के विधायक दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को भी प्रियंका पेंची को 60 हज़ार से अधिक वोटों से हराया। जीतू पटवारी राऊ विधानसभा में मधु वर्मा से 35 हज़ार से अधिक वोट से हार गए, जीतू पटवारी ने भी सिंधिया के ख़िलाफ़ कई बार आपत्तिजनक बयान दिए थे । वही पाँच बार के विधायक सज्जन सिंह वर्मा को भी भाजपा के राजेश सोनकर ने 25 हज़ार मतों से हरा दिया। लहार से बड़े विधायक व नेता विपक्ष गोविंद सिंह को भी 10 हज़ार वोट से हार मिली । केवल दिग्विजय सिंह के पूत्र जयवर्धन सिंह 4500 वोटों से अपनी इज्जत बचा पाए ।
सिंधिया ने किया इनके ख़िलाफ़ खूब प्रचार
विश्लेषकों का मानना है सिंधिया परिवार के ख़िलाफ़ बयान देना दिग्विजय सिंह व उनके क़रीबियों केपी सिंह , लक्ष्मण सिंह , गोपाल सिंह , गोविंद सिंह को महँगा पड़ा क्यूँकि इस क्षेत्र में सिंधिया परिवार की ख़ासी इज्जत है व लोग महल के हिसाब से चलते है। लोगों की मानें तो इन सभी को हराने के लिए खास रणनीति बनाई थी साथ में राघोगढ़ में हीरेंद्र सिंह बना के लिए उन्होंने खूब प्रचार किया था जिसका फलस्वरूप इस प्रकार का निर्णय आया है। आने वाला समय दिग्विजय सिंह के राजनीतिक जीवन के लिए कठिन है क्यूँकि अब वो लगातार फेल हो रहे है व उनके द्वारा गुटबाज़ी व अहंकार पार्टी को नुक़सान पहुँचा रहा है।

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