ग्वालियर। कला, संस्कृति, सभ्यता और गौरवशाली इतिहास की साक्षी एवं संगीत नगरी ग्वालियर की शान में प्रतिष्ठा का एक और नया नगीना जुड़ने जा रहा है। जो संगीत के समृद्ध इतिहास से रूबरू कराने के साथ ही सुर सम्राट पंडित रामतनु पाण्डेय (तानसेन) की छवि के दर्शन कराएगा। ग्वालियर को यूनेस्को से “सिटी ऑफ म्यूजिक“ का खिताब मिलने के बाद शहर की फिजा में संगीत की रंगत देखने को मिलेगी। चारों दिशाओं की सीमा पर बनने वाले प्रवेश द्वारों में से एक पर बाहर से आने वाले लोग सुर सम्राट तानसेन की भव्य छवि को निहार सकेंगे। यह प्रतिमा लोगों को इस बात का अहसास कराएगी कि आप संगीत की नगरी में प्रवेश कर रहे हैं। यह प्रतिमा उस वक्त स्थापित की गई है जब शहर में 99वें तानेसन संगीत समारोह का भव्य आयोजन होने जा रहा है।
गौरतलब है कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के विजन डाक्यूमेंट के तहत शहर की बाहरी सीमा पर चार प्रवेश द्वारों का निर्माण कराया जा रहा है। 12 करोड़ की लागत से बनने वाले द्वारों में एक प्रवेश द्वार संगीत की थीम पर बनाया गया हैं, जहां सुर सम्राट तानसेन की प्रतिमा को स्थापित किया गया है। इस द्वार पर दो करोड़ 24 लाख की लागत आई है। केंद्रीय मंत्री सिंधिया महानगर के विकास कार्यों सहित इन चारों द्वारों के निर्माण कार्य की हर सप्ताह समीक्षा कर रहे हैं।
सतंरगी रोशनी से होगी जगमग
संगीत में लीन छवि वाली तानसेन की प्रतिमा की आभा देखते ही बन रही है। इसके आस-पास सतरंगी रोशनी का प्रबंध किया गया है। रात के समय यह प्रतिमा रोशनी से जगमग होकर पर्यटकों और आंगतुकों को आकर्षित करेगी।
इतिहास के पहरेदार-चार द्वार
शहर की सीमा पर निर्माणधीन चारों द्वार ग्वालियर के समृद्ध इतिहास को प्रदर्शित करेंगे। पहला द्वार- ग्वालियर दुर्ग के गौरवशाली इतिहास के दर्शन कराएगा।
दूसरा द्वार- जय विलास पैलेस की झलक देखने को मिलगी। तीसरा द्वार-11 वीं सदी के प्रसिद्ध सहस्त्रबाहु मंदिर (सास-बहु मंदिर) की वास्तुकला पर आधारित होगा। जबकि चौथा द्वार- ग्वालियर की समृद्ध संगीत परंपरा के प्रतीक संगीत सम्राट तानसेन पर बनाया गया है। जो ग्वालियर ग्रामीण की सीमा पर स्थित है।

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