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सैनिटरी नैपकिन पाकर अब खुद स्वच्छता का ख्याल रख सकेंगी आदिवासी बालिकाएं

रविवार, 18 फ़रवरी 2024

/ by Vipin Shukla Mama
आधा सेकड़ा आदिवासी बालिकाओं को निशुल्क बायोडीग्रेवल सैनेट्री पैड्स दिए
ज़्यादातर बालिकाये माहवारी के समय जागरूकता के अभाव में स्वच्छता का ख्याल नही पाती : रवि गोयल सामाजिक कार्यकर्ता 
शिवपुरी। निःशुल्क सैनिटरी नैपकिन का वितरण प्रोग्राम की श्रृंखला में बीते रोज आदिवासी बस्ती बारा जनपद शिवपुरी के समुदाय में किया, जिसमें आधा सैकड़ा जरूरत मंद आदिवासी  बालिकाओ एवम महिलाओं को हर माह लगातार निःशुल्क सैनिटरी नैपकिन जो कि बायोडीग्रेबल है, जिसका उपयोग करना आसान है एवं सुरक्षित निस्पादन संभव है।अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने कहा कि आर्थिक रूप से कमज़ोर आदिवासी बालिकाओं एवम महिलाओं को हर माह निःशुल्क सैनिटरी नैपकिन मुहैया कराने की मुहिम श्रीमती सारिका बाहेती व श्री आशीष बाहेती फाउंडर नीरंजली एवम मिडास कैपिटल के सहयोग और विशेष मार्गदर्शन से किया किया गया। श्रीमती  सारिका बाहेती ने आदिवासी बाहुल्य इलाकों में अधिक से अधिक महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं को मासिक धर्म एवम् स्वच्छता प्रबंधन के बारे में सटीक और प्रमाणिक जानकारी पहुंचाने के लिए और माहवारी के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ने हेतु इस विषय पर राष्ट्रीय स्तरीय स्वयं की पहल की है उनका सपना है हर एक महिला मासिक धर्म में अपनी चुप्पी तोड़े इस मुद्दे पर बात करे क्योंकि स्वच्छता के जागरूकता अभाव एवं गंदे कपड़े उपयोग के कारण कई प्रकार के संक्रमण एवं सर्वाइकल कैंसर के केस बढ़ते जा रहे हैं, इसी के मद्दे नज़र, शक्तिशाली महिला संगठन के रवि गोयल व उनके वॉलिंटियर के द्वारा आजपांच  गाँवों में जरूरत मंद महिलाओं को चिन्हित करके हर माह निःशुल्क सैनिटरी नैपकिन का वितरण शुरू किया है  एवं मासिक धर्म के बारे में कैसे स्वच्छता सुनिश्चित हो, इस पर जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस जागरूकता अभियान माहवारी स्वच्छता व प्रबंधन से संबंधित सभी प्रकार के परामर्श के लिए किशोरी बालिकाएं और महिलाएं निकटवर्ती आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,  आशा, आशा सहयोगिनी एवम संस्था की एम एच एम एक्सपर्ट बबिता से सम्पर्क कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं माहवारी के बारे में खुलकर बात नहीं करतीं और न ही इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के प्रति जागरूक होती हैं। कार्यक्रम में समुदाय की स्वच्छता सेहली पारो आदिवासी ने कहा कि श्रीमती सारिका बाहेती की अमेरिका में पढ़ी बेटी मिशा मेम का यह कदम उन महिलाओं के लिए लाभदायक होगा जो पैसों की कमी के कारण सैनिटरी नैपकिन नहीं खरीद पाती हैं। इसके कारण काफ़ी महिलाओं में यूटीआई संक्रमण के साथ-साथ स्वच्छता के अभाव के कारण अनेक समस्याओं का समाना करना पड़ता है। इन सबसे बचने के लिए  बायोडेग्रेवल सैनिट्री पैड्स अच्छा ऑप्शन है आज आधा सेकड़ा महिलाओ एवम किशोरी बालिकाओं को मासिक धर्म के समय क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए इसके बारे में एमएचएम एक्सपर्ट पिंकी चोहन ने विस्तार से समझाया प्रोग्राम में आशा - मिथलेश आदिवासी किशोरी - हसमुखी आदिवासी, रेशमा,  आशा आदिवासी समुदाय की  - भभुति, शिमला , गोरा , लक्ष्मी , अनीता पपीता सीमा आदिवासी  ने सारिका बाहेती एवम मीसा मेम का धन्यबाद ज्ञापित किया। प्रोग्राम में शक्ती शाली महिला संगठन की टीम के साथ आशा कार्यकर्ता के साथ समुदाय की आधा सेकड़ा महिलाओं एवम किशोरी बालिकाओं ने भाग लिया।










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