निहारिका
ग्वालियर। बुजुर्ग व्यक्ति अक्सर बच्चों को डांटते समय पुरानी कहावत - 'पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब' का इस्तेमाल करते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसे ज्यादा कहा और सुना जाता है। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। इस पुराने नॉरेटिव को बदलने के लिए सरकार व्यापक स्तर पर गंभीर प्रयास कर रही है। अच्छी बात यह है कि अब खेलने वाले बच्चों के अलावा पढ़ने वाले बच्चों को भी खेल गतिविधियों में भाग लेना अनिवार्य कर दिया है। यह कहना है 'खेलो भारत' के अखिल भारतीय प्रमुख प्रदीप शेखावत का। श्री शेखावत गुरुवार को एक कार्यक्रम में यहां शिरकत करने आए थे। इस दौरान उन्होंने खेल गतिविधियों पर विस्तार से बातचीत की। श्री शेखावत का मानना है कि बच्चों को अगर सही समय पर उचित मार्गदर्शन मिल जाए तो वे किसी भी क्षेत्र में कमाल का प्रदर्शन कर सकते हैं। हाल के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में एथलीटों ने जो हासिल किया है, उसके परिणामस्वरूप खेलों को व्यापक रूप से एक गंभीर करियर विकल्प के रूप में चुना जा रहा है। आपके दिमाग को तेज और शरीर को शारीरिक रूप से फिट रखने के अलावा, खेल अच्छा पैसा और पहचान भी दिला सकता है।बस जरूरत है तो इसके प्रति दिवानगी दिखाने की। एक बार आपके ऊपर खेलों का जुनून सवार हो जाए फिर पदकों की झड़ी लगने लगती है।
पेशेवर दायरे में खेल
एक विशेष बातचीत में श्री शेखावत ने कहा कि किसी कई विदेशी एजेंसियों ने खेलों में भारत के उम्दा प्रदर्शन पर अपनी रिपोर्ट जारी की है।अमेरिकी सरकारी सांख्यिकीय एजेंसी बीएलएस का अनुमान है कि मनोरंजन के साथ-साथ खेल व्यवसायों में रोजगार 2024 से 2030 तक 25 प्रतिशत बढ़ जाएगा। फिल्मों और टीवी शो के सौजन्य से खेल प्रशंसकों के बढ़े हुए आधार ने खेल व्यवसायों के लिए नौकरी की वृद्धि में योगदान दिया है। जहां तक भारत की बात करें तो सरकार कई मंत्रालयों और विभागों के माध्यम से युवा-उन्मुख योजनाओं में भारी निवेश कर रही है। राज्य सरकारें, कई अन्य साझेदारों के साथ मिलकर, युवा विकास को बढ़ावा देने और युवाओं के बीच खेल भागीदारी को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही हैं। चूंकि खेल राज्य का मामला है, इसलिए यह मुख्य रूप से राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे देश भर में पारंपरिक खेलों का समर्थन करें और इसे हासिल करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं। उनके प्रयासों को केंद्र सरकार का समर्थन प्राप्त है। नतीजतन, वर्तमान माहौल स्वदेशी खेलों के पक्ष में बदल रहा है, जो समर्थन औरजागरूकता की कमी के कारण क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन, टेनिस और हॉकी जैसे मुख्यधारा के खेलों से पिछड़ रहे थे। कबड्डी, खो-खो और कुश्ती जैसे घरेलू खेल भारत के ग्रामीण इलाकों से लेकर महानगरीय स्टेडियमों तक विधिवत लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।अब खो-खो, कबड्डी और कुश्ती भारत को गौरवान्वित कर रहे हैं। श्री शेखावत का मानना है कि खेल की लोकप्रियता इस बात से तय होगी कि कितने खिलाड़ी शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से आते हैं। कबड्डी अब ग्रामीण खेल नहीं रहा, इसकी बढ़ती लोकप्रियता विश्व मंच पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
स्वदेशी खेलों को बढ़ावा देना
भारत में खेल और खेलों के विकास को भारतीय खेल प्राधिकरण(साई) द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो युवा मामले और खेल मंत्रालय (मियास) का समर्थन करता है। श्री शेखावत का कहना है कि अधिकारियों ने अग्रणी संशोधनों और योजनाओं को लागू किया है जो भारत के खेल परिदृश्य में अच्छे बदलाव ला रहे हैं। देश के सभी खेलों में अधिकतम भागीदारी के अवसर पैदा करने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई कुछ पहल इस प्रकार हैं।
फिट इंडिया मूवमेंट
29 अगस्त, 2019 को, राष्ट्रीय हॉकी नायक मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को न केवल अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, बल्कि देश के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए खेल और शारीरिक गतिविधियों को अपने दैनिक जीवन में एकीकृत करने के लिए प्रेरित करने के लिए इस आंदोलन की शुरुआत की।
खेलो इंडिया
भारत सरकार ने इस कार्यक्रम को देश के सबसे दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों का एक प्रतिभा पूल विकसित करने के प्रगतिशील प्रयास के रूप में शुरू किया। कार्यक्रम, जिसमें 12 कार्यक्षेत्र हैं और 2018 में घोषित किया गया था, सामाजिक उन्नति, आर्थिक विकास, सामुदायिक विकास और व्यक्तिगत प्रगति के लिए एक उपकरण के रूप में खेल को मुख्यधारा में लाने का इरादा रखता है।
टॉप्स
एमवायएएस ने ओलंपिक और अन्य महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में पदक जीतने में एथलीटों की सहायता के लिए 2014 में टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) विकसित की। पहल के अनुसार, तीरंदाजी, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, हॉकी, शूटिंग और कुश्ती जैसे खेलों को "उच्च प्राथमिकता" परियोजनाएं सौंपी गई हैं। लक्ष्य बेहतर परिणामों के लिए मौजूदा क्षमता को अधिकतम करना है।
मुग़लों और अंग्रेजों ने तोड़ी भारत की एकता
मूल भारतीय खेलों में कबड्डी, खो-खो, मलखंब, कुश्ती जैसे खेल भारत की एकता को मजबूत करते रहे हैं । लेकिन, मुग़लों और अंग्रेजों ने जातिवाद व छुआछूत का जहर घोलकर इस एकता को तोड़ दिया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस एकता को फिर से मजबूत करने के अभियान पर निकली है। इस अभियान में गांव-गांव जाकर प्रतिभाओं को तलाश कर तराशा जाएगा फिर उन्हें रोजगार दिया जाएगा।

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