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धमाका साहित्य कॉर्नर: करेंगे फ़ैसला इन कायरों का भी इक दिनसुबूत मांगते हैं जो मेरे जांबाज़ों से: सुकून शिवपुरी

शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

/ by Vipin Shukla Mama
करैरा। पुलवामा में शहीद हुए CRPF जवानों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए ITBP करैरा और राष्ट्रीय कवि संगम शिवपुरी के संयुक्त तत्वावधान में ""एक शाम पुलवामा के शहीदों के नाम"" से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सुकून शिवपुरी के संयोजन में सैकड़ों जवानों की मौजूदगी में ITBP करैरा के विशाल ग्राउंड में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में CRPF के IG श्री T N खूंटिया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता ITBP-RTC के DIG श्री सुरिन्दर खत्री ने की । कवि सम्मेलन का ज़ोरदार संचालन ओज के राष्ट्रीय कवि राकसं के प्रांताध्यक्ष आशीष दुबे ने किया।कवि सम्मेलन का प्रारम्भ गीतकार प्रतीक सिंह चौहान की सरस्वती वंदना से हुआ ।कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे रायसेन से पधारे ओज के कवि दिनेश याग्निक ने कहा-
यहां संग्राम दानव देव में चलता ही रहता है
सनातन वेद कहते हैं धवल इतिहास कहता है।
हमारी नेह की बंसी को जो नाजुक समझ बैठे
तो फिर न कंस रहता है और न उसका वंश रहता है।
हरदा टिमरनी से पधारे हास्य के धुरंधर कवि मुकेश शांडिल्य ने जवानों को खूब हंसाया-
बार बार चोटिल करता है अपने स्वाभिमान को
अरे जवानो घुस कर मारो पापी पाकिस्तान को।
किस्सा करो खत्म, किस्सा करो खत्म।
गंजबासौदा से आए आशीष दुबे ने अपनी भावनाओं को कुछ इस तरह प्रकट किया-
जीवन की यह शाम आज हम धन्य बनाने आए हैं
अमर शहीदों के चरणों में वंदन करने आए हैं।
संयोजक सुकून शिवपुरी ने बालाकोट स्ट्राइक पर राजनीति करने वालों को करारा जवाब दिया-
अब इनको चीर के दिल तो दिखा नहीं सकते
जो मुत्मईन नहीं दुश्मनों की लाशों से।
करेंगे फ़ैसला इन कायरों का भी इक दिन
सुबूत मांगते हैं जो मेरे जांबाज़ों से।
महोबा उ0प्र0 से तशरीफ़ लाईं ग़ज़ल की बेहतरीन शायरा शबाना सबा ने अपने तरन्नुम से समां बांध दिया-
हमारे वतन के ज़मीं आसमां हैं
ये जन्नतनुमां हैं ये जन्नतनिशां हैं।
भिण्ड से पधारे गीतकार प्रतीक सिंह चौहान ने शानदार गीत सुनाया-
वंदे मातरम् जैसा कोई गीत नहीं
जन गण मन सा मंत्र नहीं है दुनिया में।
ITBP करैरा की नुमाइंदगी कर रहीं अंजलि खत्री जी के तेवर देखें-
शत्रु का नरसंहार करेंगे
लाल लाल न होने देंगे माटी
चांदी सी फिर चमकेगी घाटी
मां के भाल की स्वर्णिम माटी।
करैरा के सौरभ तिवारी सरस ने लाजवाब मुक्तक सुनाए-
तरंग सिंधु की जिसके चरण पखार रही
अरुण की लालिमा जिसकी नज़र उतार रही
वो मां है भारती जिसका मुकुट हिमालय है
दसों दिशाएं जिसकी आरती उतार रही।
करैरा के ही ओज के कवि प्रमोद भारती ने भी खूब तालियां बटोरीं-
ओढ़ा बसंती चोला
अपनी भारत मां से प्रीत लिखूंगा
नित्य सृजन के गीत लिखूंगा।
आदित्य शिवपुरी कहते हैं-
मैंने नफ़रत बोई तो चुभे मुझी को शूल
तुमने बोया प्रेम तो खिले फूल ही फूल।
शिवपुरी के हास्य कवि राम पंडित ने खूब गुदगुदाया-
जीवन में इतनी भर सावधानी रखें
नागों से नहीं आदमी से डरें।कोलारस से तशरीफ़ लाए ग़ज़लकार मुबीन अहमद मुबीन के जज़्बात देखें-
वक्त आया जो गर देश पर
क़ुर्बां कर देंगे हम अपना सर।बदरवास से आए घनश्याम शर्मा की ख़्वाहिश पर भी ग़ौर फ़रमाएं-
भारत के दुश्मनों को सबक़ हम सिखाएंगे
फिर चीन हो या पाक चक्र हम चलाएंगे।
भारत बदल गया है सुनो कान खोल कर
बदला तो छोटी बात है बदलाव लाएंगे।
शिवपुरी के व्यंग्य के कवि आशीष पटेरिया ने कहा-
शहर के चौराहे पर दो कुत्तों की देख कर लड़ाई
एक से हमने कहा क्यों लड़ रहे हो भाई। 
अंत में आईटीबीपी के द्वितीय कमान अनिल डबराल ने सभी का शुक्रिया अदा किया।
















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