संदेशखाली, पश्चिम बंगाल में हो रहे महिला उत्पीड़न के विरुद्ध प्रतिवाद एवं पीड़ित महिलाओं को अविलंब न्याय देने की मांग की गई हैं। ज्ञापन पर अनेक महिलाओं के हस्ताक्षर हैं। 
ये दिया गया ज्ञापन
माननीय राज्यपाल महोदय, राजभवन भोपाल (म.प्र).
विषयः- संदेशखाली, पश्चिम बंगाल में हो रहे महिला उत्पीड़न के विरुद्ध प्रतिवाद एवं पीड़ित महिलाओं को अविलंब न्याय देने हेतु निवेदन।
महोदय,
आपको ज्ञात है कि संदेशखाली, पश्चिम बंगाल में महिलाओं के प्रति अत्याचार की भयावह स्थितियों ने देश के हर व्यक्ति के मानस को भीतर तक झकझोर दिया है।
प्रमुखतः अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के पीड़ितों ने कहा कि स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहाँ शेख और उनके गुंडे वर्षों से उन पर अत्याचार कर रहे थे। 08 फरवरी 2024 को संदेशखाली में आक्रोशित महिलाओं ने मार्च निकाल कर उन पर हो रहे अत्याचारों को समाज के समक्ष
उजागर किया। प्रमुख अपराधी शाहजहां जो तृणमूल कांग्रेस का हिस्सा है, अभी एक श्रीमती ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा नहीं पकड़ा गया है।
महिलाओं ने अपनी वेदना सुनाते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस के लोग घर-घर से सुनाते हुए महिलाओं, युवा लड़कियों को पार्टी
कार्यालय में ले जा कर शारीरिक शोषण करते थे, जब तक वे खुश नहीं हो जाते, वे महिलाओं को रात भर वही रखते। यही नहीं शाहजहां और उसके नोटों ने उनकी जमीनों पर भी कब्जे कर रखे हैं, सालों से उन्हें पीट रहे और यौन उत्पीड़न * कर रहे हैं।
संदेशखाली द्वीप पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में सुंदरवन में है। यह कोलकाता से लगभग 75 किलोमीटर दूर और बांग्लादेश की सीमा के करीब है। वास्तव में ऐसा लगता है, जैसे यह शेष दुनिया से कटा हुआ है।
पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल श्री सी.वी. आनंद बोस को महिलाओं के तीव्र विरोध को देखते हुए संदेशखाली जाना पड़ा।
राज्यपाल ने वहां जो देखा उसके बारे में कहां, "मैंने जो देखा वह भयानक, चौंकाने वाला और मुझे भीतर तक हिलाने वाला था।" मैंने बहुत सी बातें सुनी जो मुझे नहीं सुननी चाहिए थी और कुछ ऐसी देखी जो मुझे नहीं देखनी चाहिए थी। यह सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है।"
कोलकाता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवगणनम की अगुवाई वाली रखडपीठ ने कहा कि 12 फरवरी, 2024 को न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रॉय की एकल पीठ ने बंदूक की नोक पर यौन हमले और आदिवासी भूमि को बिना अनुमति के लेने के दावों पर तत्काल संज्ञान लिया। खंडपीठ ने कहा, "यह बहुत आश्चर्यजनक है, कि जिस व्यक्ति को समस्या का कारण बताया जा रहा है, उसे अभी भी पकड़ा नहीं
जा सका है, और वह कानून तोड़कर भाग
रहा है।" अदालत ने ममता बनर्जी द्वारा संचालित पश्चिम बंगाल राज्य सरकार पर अविश्वास जताते हुए कहा "क्या अपराधी का संरक्षण किया जा रहा है"?
मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, "प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है, कि अनुसूचित जनजाति ग्रामीणों की जमीन उनकी इच्छा के विरुद्ध और उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना उनसे से ले ली गई। मुख्य न्यायाधीश ने सख्त लहजे में सरकार से कहा कि वे अनुचित तरीके से माहौल को तनावपूर्ण बना रहे हैं।
दिनांक 19 फरवरी को राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की प्रमुख श्रीमती रेखा शर्मा और एनसीडब्ल्यू के चार अन्य सदस्य संदेशखाली गए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने कि मांग की। एनसीडब्ल्यू के प्रमुख ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए बिना कुछ भी करना संभव है।"
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने संदेशखाली घटना पर तत्काल संज्ञान लिया है और मानवाधिकारों के निरंतर उल्लंघन के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस भेजा है। एनएचआरसी वहां हुई हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए घटनास्थल पर एक प्रतिनिधिमंडल भी भेजेगा।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) का तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल 21 फरवरी, 2024 को पश्चिम बंगाल गया, जिसका उद्देश्य इन दावों की जांच करना है, कि "संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस से जुड़े लोग आदिवासी महिलाओं का यौन उत्पीड़न कर रहे हैं और उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे।"
लोकसभा में विपक्ष के नेता श्री अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी की आलोचना करत
हुए कहा ममता बनर्जी "बंगाल में क्रूरता की रानी है।" उन्होंने मुख्यमंत्री के बारे में यह बात भी कही मुख्यमंत्री यह स्वीकार करने के बजाय कि यह शर्म की बात है, संदेशखाली में हुए घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है।"
ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (एआईबीए) ने भी मुख्यमंत्री श्रीमती ममता बनर्जी को
पत्र लिखकर संदेशखाली में यौन उत्पीड़न और हिंसा की भयावह घटनाओं के बारे में उन्ह आगाह करते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
हम मुख्य आरोपी और अपराधियों के पूरे गिरोह की गिरफ्तारी की मांग करते हैं, और जल्द से जल्द कानून के अनुसार दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करते हैं। दोषियों को कठोर से कठोर सजा देने से पीड़ित महिलाओं को कुछ सांत्वना मिलेगी और दूसरों को ऐसे घृणित कृत्यों को करने के बारे में सोचने से भी रोका जा सकेगा।
हम ऐसे अपराधों से प्रभावित महिलाओं के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक उपचार के लिए चिकित्सा के विशेष प्रावधान की मांग करते हैं। उन्हें राष्ट्र के लिए उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, और सरकार को उनके पुनर्वास प्रक्रिया में सामाजित, राष्ट्रवादी संगठनों को शामिल करना चाहिए। महिलाओं के भूमि अधिकारों को पुनस्थापित कर उनका सम्मान बहाल किया जाए। संदेशखाली में भूमि के साथ महिलाओं की बुनियादी गरिमा और मानवाधिकारों के अपहरण पर पूरे देश की जनजातीयाँ तीव्र रूप से आक्रोशित है। देश देश की जनता यह जानने के लिए चिंतित है, कि पिछले कुछ वर्षों में पश्चिम बंगाल में कितने और "संदेशखाली जैस क्षेत्र पैदा हुए हैं। राज्य व केंद्र सरकार को इन क्षेत्रों की हकीकत से पूरे देश को अवगत कराना चाहिए।
हम गंभीरता से जनजाति भूमि की स्थिति की विस्तृत जांच और उत्तर 24 परगना जिल्ल में संपूर्ण सुंदरबन और पश्चिम बंगाल के अन्य बांग्लादेश सीमावर्ती जिलों में जनजाति भूमि की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान की मांग करते है।
दिनांक २५०२/२५.
भवदीया
वनवासी कल्याण परिषद एवं सकल हिन्दू समाज की मातृशक्ति

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