दहेज प्रथा के निवारण के लिए सामाजिक जागरूकता लाना बहुत आवश्यक है, जिसके लिये सर्वप्रथम समाज को जागरुक करना होगा तथा नैतिक चेतना लानी होगी।
विवाह का पंजीकरण एवं विवाह के अवसर पर दिए जाने वाले उपहारों को सूचीबध्द कर उसकी वीडियोग्राफी कराना तथा शासकीय सेवकों व्दारा दिये गये अचल संपत्ति के ब्यौरे की तर्ज पर वर-वधू पक्ष से दहेज के लेनदेन का ब्यौरा लिया जा सकता है। देश में बच्चों एवं युवाओं को दी जाने वाली प्रथमिक एवं
उच्चतर शिक्षा में दहेज प्रथा की समाप्ति हेतु सरकार को विद्वानों व लेखकों की दहेज विरोधी रचनाओं, लेखों को ज्यादा से ज्यादा शामिल किया जा सकता है। कला के क्षेत्र में कार्य कर रहे कला प्रेमियों व्दारा अधिक से अधिक नुक्कड नाटक करना, शोर्ट फिल्में तैयार कर उनका प्रदर्शन करना होगा। वर्तमान में चंबल संभाग के संत श्री हरिगिरि जी महाराज व्दारा दहेज प्रथा के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के गुर्जर समाज में सकारात्मक परिणाम देखे जा रहे हैं। अत: संत श्री हरिगिरि जी महाराज का अनुसरण करते हुये समस्त समाज सेवियों, धर्म गुरुओं, साधू संतों, पुजारियों तथा पंडित – पुरोहितों व्दारा दहेज प्रथा के विरुध्द देश भर में सघन अभियान चलाये जाने की आवश्यक्ता है।
दहेज प्रथा की बुराइयों के प्रति समाज की अंतरात्मा को पूरी तरह से जगाने की सख्त आवश्यक्ता है, ताकि समाज में दहेज की मांग करने वालों की प्रतिष्ठा को धक्का लग सके तथा दहेज प्रथा रुपी कलंक को समूल नष्ट किया जा सके।
(लेखक अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण सभा जिला ग्वालियर के अध्यक्ष हैं)

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