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गुरु कृपा से होता है आध्यात्मिक शक्ति का जागरण

रविवार, 11 फ़रवरी 2024

/ by Vipin Shukla Mama
प्रांतीय योग प्रशिक्षित शिक्षक अध्यापक संघ का “रामराज्य और योग दर्शन“ विषय पर प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित 
ग्वालियर। प्रांतीय योग प्रशिक्षित शिक्षक अध्यापक संघ जिला ग्वालियर के तत्वावधान में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मीडिया एक्सीलेंस (आईकॉम) पर रविवार को “रामराज्य और योग दर्शन“ विषय पर प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किया गया। 
मुख्य अतिथि संत कृपाल सिंह महाराज थे। अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार डॉ. केशव पाण्डेय ने की। सत्येंंद्र शास्त्री एवं ऋषिकेश वशिष्ठ ने स्वस्ति वाचन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संघ के जिला अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मुन्ना सिंह परिहार ने स्वागत भाषण दिया। 
मुख्य अतिथि संत कृपाल महाराज ने कहा कि आध्यात्मिक शक्ति का जागरण गुरु कृपा से होता है। गुरु, शरीर मात्र नहीं है गुरु तत्व है। गुरु तत्व चार प्रकार से जागृत होता है। स्पर्श, संकल्प,दृष्टि और मंत्र दीक्षा के द्वारा।  योग मार्ग में कुंडलिनी शक्ति का जागरण दो प्रकार से किया जाता है। प्रथम-मूलाधार चक्र का जागरण और द्वितीय मार्ग आज्ञा चक्र का जागरण। 
प्रत्येक जीव पूर्व जन्म के संचित कर्मों को भोगने के लिए इस संसार में आता है जब उसके कर्म उच्च चेतना वाले होते हैं तब वह मानव बनता है । मानव शरीर धारण करने के बाद भी गुरु कृपा से ही वह अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त कर पाता है ।
अध्यक्षता कर रहे डॉ. केशव पाण्डेय ने कहा कि हमें अपनी भावनाओं को शुद्ध रखना चाहिए। दैनिक जीवन में ज्ञान अर्जन करते हुए सभी के साथ मधुर व्यवहार रखना चाहिए।
प्रांतीय सचिव ऋषिकेश वशिष्ठ ने कहा कि राम राज में किसी भी प्रकार के कष्ट नहीं थे। तीन प्रकार के तापों  की शांति योग अवस्था कहलाती है। राम राज तभी आ सकता है जब किसी भी राज्य के सभी नागरिक योग दर्शन के अनुसार जीवन व्यतीत करें। योग साधक का आहार, विहार, व्यवहार योग के नियम अनुशासन पर आधारित होगा तभी राम राज स्थापित हो सकता है।
आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री ने कहा कि आहार ,विहार और व्यवहार के माध्यम से ही हमारे मन में प्रसन्नता रह सकती है।
शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक दीपक पाण्डेय ने कहा कि जीवन में हम सभी के साथ वही व्यवहार करें जैसा हम अपने लिए चाहते हैं। हमें सदैव सभी के साथ आत्मीय स्नेह युक्त व्यवहार करना चाहिए। 
दतिया जिला योग प्रभारी अनिल कुमार दुबे ने कहा कि आहार, निद्रा, भय और मैथुन मनुष्य और पशुओं में समान होते हैं। मनुष्य में बुद्धि विशेष होती है इसलिए वह स्वयं पर नियंत्रण कर सकता है। हमें यम, नियम व अनुशासन का पालन करना चाहिए और अपनी समझ को विकसित करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन ऋषिकेश वशिष्ठ ने तथा आभार व्यक्त दीपक पाण्डेय ने किया। 
इस दौरान दिनेश चाकणकर, हेमंत त्रिवेदी, अखिलेश पचौरी, शिव कुमार पाहवा, सत्येन्द्र शास्त्री, नीतू तोमर, आदेश द्विवेदी, अरविंद सक्सेना, रेखा श्रीवास्तव, श्रीकांत मिश्रा, नरेन्द्र दांतरे, देवेश कुमार शर्मा, भारती शाक्य, दिनेश शर्मा, आत्मन तिवारी, शांतनु चौहान, राधेश्याम सविता, बविता सेंगर, संगीता, पुष्पराज सिकरवार, दिनेश शुक्ला, महेश खण्डेलवाल, डॉ अतुल एवं सोनू शर्मा प्रमुख रूप से मौजूद थे।










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