शिवपुरी। एडवोकेट श्री रमेश मिश्रा ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि, सहारा को सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सहारा हाउसिंग ओर रीयल स्टेट में राशि जमा करने वाले निवेशकों की सूची सेबी को देने ओर 15 प्रतिशत व्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था, इस आदेश का पालन सहारा ने नहीं किया।
सहारा इंडिया के प्रबंधन व एजेंटो की मिलीभगत से निवेशकों की जमा राशि को न लौटाकर सहारा क्यू शॉप में रातो रात कन्वर्ट (रि इन्वेस्ट) करा दिया था, भुगतान नहीं किया था ,निवेशक से सहारा हाउसिंग ओर रीयल एस्टेट में राशि जमा करने के मूल दस्तावेज लेकर उन्हें सेबी के पास जाने से भी रोक दिया था , आज निवेशकों को न तो सहारा भुगतान कर रही है, ओर न सेबी,
अब सहारा इंडिया, सहारा क्यू शॉप को दिवालिया घोषित करने जा रही है, निवेशक हैरान व परेशान है, कि अब करे तो क्या करे,
सहारा की चार बड़ी कापरेटिव सोसायटी को पूर्व में डिफाल्टर कर , सरकार उनके निवेशकों का भुगतान सहारा रिफंड पोर्टल से कर रही है। एडवोकेट श्री रमेश मिश्रा ने सहारा के आर्थिक कार्यों की शासकीय एजेंसी से जांच कराने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में सहारा ने श्री सुब्रत रॉय के तिहाड़ जेल में रहते सेवी के पास केवल 15 हजार करोड़ के लगभग रुपए ही जमा किए है, 24 या 25 हजार करोड़ रुपए जमा नहीं कराए हैं, 10 हजार करोड़ ओर जमा कराने थे , जो जमा नही कराए है ,सरकार व सेबी आदि शासकीय एजेंसी सहारा से अपने आदेशो का पालन कराने में विफल साबित हो रही है,
सहारा के ठगी पीड़ित गरीब निवेशकों के हित में कोर्ट के व उपभोकता फोरम के आदेशो का पालन नहीं हो रहा है, निवेशक दुःखी व परेशान है।
भारत सरकार को शीघ्र ठोस एवं प्रभावी कार्यवाही कर सहारा के ठगी पीड़ित गरीब निवेशकों को उनकी सम्पूर्ण जमा राशि का व्याज सहित भुगतान कराना चाहिए।

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