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धमाका धर्म: आचार्य श्री में सब धर्मों के गुण एक साथ नजर आते थे इसीलिए उन्हें "एक संत अरिहंत सा" कहते थे

रविवार, 25 फ़रवरी 2024

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी अंतर्राष्ट्रीय विनयांजलि सभा में वक्ताओं ने किये अपने विचार व्यक्त
 (महेन्द्र जैन भैयन की रिपोर्ट)
शिवपुरी। सकल जैन समाज शिवपुरी द्वारा श्री छत्री जैन मन्दिर शिवपुरी में संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के लिए आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विनयांजलि सभा के आयोजन में शामिल हुए वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य श्री जी खुद अपने जीवन में इतने शांत थे की उनके लिए शांति की प्रार्थना करना व्यर्थ है। बल्कि इसके स्थान पर तो हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेना चाहिए। आचार्य श्री जिस तरह से आप हम से विछड़े पूरे विश्व को वीरान कर गए और आप सभी के बीच में रहकर ही महावीर बन गए। त्याग तपस्या की सच्ची मूर्ति तो जैन संत ही होते हैं। हम जितना उनसे सीख सखें सीख लें। यही उनके प्रति सच्ची विनयांजलि होगी। ये बात कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने कही। 
आचार्य श्री कहीँ नहीं गए वो तो अदृश्य होकर देख रहे हैं कि हम उनके आचरण से कितना सीख रहे हैं। आचार्य श्री ने राष्ट्रनिर्माण के लिए जो कार्य किये हैं उन्हें कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता है। भारत को पुनः भारत की ओर लौटाने के जो प्रयास आचार्य श्री जी ने किये वो आज सार्थक होते नजर आ रहे हैं। ये बात विधायक कैलाश कुशवाह ने कही। भारत की मातृ भाषा हिंदी को पुनः राष्ट्र भाषा का स्थान दिलाने में आचार्य श्री जी का बड़ा योगदान रहा है। ये बात पत्रकार अशोक कोचेटा ने कही। 
लेखक एवम पत्रकार डॉक्टर अजय खेमरिया ने कहा ०भारत के स्वत्व के सबसे प्रखर नक्षत्र हैं 
परमपूज्य आचार्य विद्यासागर जी महाराज
०वे भारतबोध के सर्वोत्कृष्ट प्रतिनिधि सन्त हैं
०भारत की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत के सच्चे व्याख्याता हैं।
०आचार्य श्री औऱ उनके जीवन दर्शन में ही सशक्त भारत की बुनियाद समाहित है।
०आचार्य श्री को महज जैनियों की दृष्टि से देखना भारत के स्वाभिमान और संस्क्रति को कमतर करने की कोशिश हैं
०जैन होना उनकी नियति थी लेकिन वे सच्चे अर्थों में तो इस महान राष्ट्र के सांस्कृतिक अग्रदूत हैं
०आचार्य श्री धार्मिक अनुयाइयों के सामने आज चुनौती है कि वे उन्हें जैन मंदिर के परकोटे से बाहर निकालकर आदि गुरु शंकराचार्य की तरह भारत और सम्पूर्ण मानवता के पथ प्रदर्शक के रूप में सुस्थापित करने की उदारता और पराक्रम दोनों दिखाएं।
०वे आधुनिक भारत के ऐसे सौभाग्य शाली सन्त है जिनके दर्शन की छाप औऱ प्रेरणा मौजूदा सरकार के अक्स में देखी जा सकती है।
०आचार्य श्री भारत की निधि और जगत के कल्याण की प्रेरणा है।जैन मतालम्बी उन्हें इसी अर्थ में मुक्त करें तो यह भारत राष्ट्र को वैभवशाली बनाने में उनका योगदान होगा
यही उनके प्रति हम सबकी निष्ठा की प्रमाणिकता होगी।
अवसर: विनयांजलि सभा शिवपुरी
छत्री जैन मंदिर
25 फरवरी।
विनयांजलि सभा में जिला कलेक्टर श्री रविंद्र कुमार चौधरी, पुलिस अधीक्षक श्री रघुवंश प्रसाद सिंह, पोहरी विधायक श्री कैलाश कुशवाह, पूर्व विधायक श्री वीरेंद्र सिंह रघुवंशी, श्री हरिवल्लभ शुक्ला, श्रीमती गायत्री शर्मा नगर पालिका अध्यक्ष, श्रीमती वंदना जैन जिला न्यायाधीश, श्रीमती शशि शर्मा नेता प्रतिपक्ष नगर पालिका, श्री राजेंद्र शर्मा RSS, श्री अशोक कोचेटा वरिष्ठ पत्रकार, अजय खेमरिया पत्रकार, चंद्र प्रकाश शर्मा फौजी संगठन, श्री राजेंद्र मजेजी सचिव मंगलम, श्रीमती सुषमा पांडे अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, श्री रघुवीर प्रसाद विश्व अध्यात्म संस्थान, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से श्री रविंद्र सिंह बत्रा, शहर काजी वलीउद्दीन सिद्धिकी जी, पं अरुण शर्मा महंत मंशापूर्ण मन्दिर, फादर जार्ज जीवन ज्योति चर्च आदि के साथ अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों में अपनी विनयांजलि प्रस्तुति की।
शिवपुरी जिले में कोलारस, बदरबास, खतौरा, रन्नौद, अकाझिरी, खनियाँधाना, बामौरकलां, करैरा, नरवर, पोहरी, मगरौनी आदि अनेक स्थानों पर भी जैन समाज द्वारा विनयांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें जैन समाज के साथ साथ अन्य धर्मों के धर्म गुरू एवं जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपिस्थित हुए और सभी ने आचार्य श्री जी का गुणानुवाद करते हुए अपनी विनयांजलि प्रस्तुति की। अंत में सभी स्थानों पर सामूहिक रूप से आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की मंगल आरती करके सभी ने पुण्यार्जन किया तत्पश्चातत सभा का समापन हुआ। 
रात्रि में 7 बजे से सकल जैन समाज एवं साधु सेवा समिति शिवपुरी द्वारा आचार्य श्री विद्यासागर जी कीर्ति स्तंभ मिर्ची बाजार शिवपुरी पर सैकड़ों दीपकों से आरती करके आचार्य श्री जी को विनयांजलि दी गई।










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