ये लिखा हैं पत्र
पहला मामला नहीं श्रीमंत, बिगडेल हैं वन अधिकारी
ये सड़क पीडब्ल्यूडी के अधीन हैं लेकिन दुर्भाग्य से ये उसी नेशनल पार्क की सीमा से गुजरी हैं जो जिले की अनेक योजनाओं पर ग्रहण लगाता रहा हैं। इसके अधिकारी जो खुद न तो वन्य प्राणियों के हितकर कोई कार्य करते और न ही जिले में कोई विकास समय पर होने देते। इनके कारण ही मड़ीखेड़ा योजना कई साल लाइन बिछाने की परमिशन में अटकी, अब तक सीवर परियोजना भी इनकी अडंगेबाजी में फसी हुई हैं। तो दूसरी मड़ीखेड़ा लाइन बदले जाने में भी वन विभाग विलेन बना लेकिन कलेक्टर रवींद्र की सुझबुझ से फिल्हाल लाइन बिछाई जा रही हैं। लेकिन शिवपुरी से झांसी सड़क के पुनः निर्माण में ये विलेन बना हुआ हैं। जबकि पार्क में लाए गए टाइगर की योजना को अभी तक आगे ले जाने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें