तत्पश्चात युवा कवि आशीष पटेरिया ने कहा -
अजनबी चेहरों से आस लगाए बैठा है
रेत के दरिया से प्यास लगाए बैठा है।
कवियत्री उर्वशी गौतम राम भक्ति में डूबी नज़र आईं-
सिया रघुवर की रहमत आ रही है
मेरी क़िस्मत में बरक़त आ रही है।
घनश्याम शर्मा के हाल देखें-
हम तुम्हारे प्यार में पागल हुए हैं
हर अदा नखरे के हम कायल हुए हैं।
दुश्मनों के वार हमने ख़ूब झेले
प्रकाश पाण्डेय जी क्या मशवरा दे रहे हैं, देखें-
तेरे चर्चे तेरी मशहूर कहानी देखी
मैंने हर शख़्स की बर्बाद जवानी देखी
मैं हूं अंगूर की बेटी तू मुझसे प्यार न कर ।
अंजलि कृष्ण दीवानी के जज़्बात की रंगीनियों पर भी ग़ौर फ़रमाएं-
हमारी चाहतों का कुछ अलग अंजाम हो जाए
कि नफ़रत के शहर का अब मोहब्बत नाम हो जाए ।
तुम्हारे हो गए हम भी हमारे हो गए तुम भी
छत्री आफीसर अशोक मोहिते जी ने ख़ूब हंसाया-
किससे दहेज मांगू किसको हिसाब दूं
लड़का मेरा भगा के मेरी जेब काट ली ।
करैरा से आए सौरभ तिवारी सरस ने महफ़िल में समा बांध दिया-
बाद मरने के मुझे याद किया जाएगा
महफ़िलों में भी मेरा नाम लिया जाएगा।
मैंने कुछ हर्फ़ लिख दिए हैं इस तरह दिल से
ख़ुशबुओं से जिन्हें पहचान लिया जाएगा।
सुकून शिवपुरी ने शहर में ड्रग्स के बढ़ते हुए ख़तरे से आगाह करते हुए कहा-
धुएं की महफ़िलें सजती हैं आसमानों पर
ख़यालो-ख़्वाब की परियां जहां संवरती हैं
चलो कि देखते हैं इनके पीछे चल के आज
हमारे बच्चों की शामें कहां गुज़रती हैं।
अध्यक्षता कर रहे ऐच0 पी0 जैन ने अपने गीतों से सभी का मन मोह लिया-
फूल रहे टेसू के मनहारी फूल
मौसम की अगन लगे कितनी अनुकूल
रंग और गुलालों ने आंगन रंग डाला है
ऋतु की अदाओं ने तन मन रंग डाला है
शरमा कर सुर्ख हुआ सैमल का फूल

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