डॉ. केशव पाण्डेय
भारतीय संस्कृति और सभ्यता का नृत्य से गहरा संबंध है। नृत्य मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। भारतीय पुराणों में यह दुष्ट नाशक और ईश्वर प्राप्ति का साधन माना गया। प्राचीन काल से नृत्य की परंपरा का निर्वहन होता आ रहा है और आधुनिक काल में नृत्य पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने के साथ ही रोजगार का जरिया भी बन गया है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर जानते हैं नृत्य के प्राचीन इतिहास से लेकर आधुनिक दौर में उसके प्रभाव और जन-जीवन में उसका महत्व।*
---- दुनिया भर में 29 अपै्रल यानी आज ‘अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस’ मनाया जाता है। जिसका मकसद लोगों को नृत्य का महत्व बताना है तथा नृत्य के मूल्य और महत्व का जश्न मनाना है। साथ ही इसके जरिए दुनियाभर के नृत्यकों को प्रोत्साहित भी करना है। यह दिन डांस के जादूगर कहे जाने वाला जॉर्जेस नोवेरे को समर्पित है, जो एक बैले मास्टर और नृत्य के महान सुधारक थे। जिन्हें फादर ऑफ बैले के नाम से जाना जाता है। उन्होंने नृत्य पर ‘लेटर्स ऑन द डांस’ नाम की एक किताब भी लिखी थी, जिसमें नृत्य से जुड़ी हर विद्या़ मौजूद है। कहते हैं इसे पढ़कर कोई भी नृत्य करना सीख सकता है।
29 अप्रैल 1727 को जॉर्जेस नोवरे का जन्म हुआ था। यूनेस्को के मुख्य भागीदार, इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (आईटीआई) की नृत्य समिति ने 1982 में जॉर्जेस नोवरे के जन्मदिन पर अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मना कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी। तब से हर साल यह दिवस मनाया जाने लगा।
इतिहास की बात करें तो 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया। तभी से संसार में नृत्य की उत्पत्ति मानी जाती है। इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद व ऋग्वेद से कई तत्व शामिल किये गये। जब नृत्य वेद की रचना पूरी हो गई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरतमुनि के सौ पुत्रों ने किया था।
भारतीय संस्कृति एवं धर्म का आरंभ ही मुख्यतः नृत्यकला से जुड़ा रहा है। इन्द्र देव का नृतक होना। स्वर्ग में अप्सराओं के नृत्य की धारणा प्राचीन काल से नृत्य से जुड़ाव के संकेत हैं। विश्वामित्र-मेनका का भी उदाहरण मिलता है। नृत्य कला देवी-देवताओं, दैत्य-दानवों, मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों को अति प्रिय है। भारतीय पुराणों में यह दुष्ट नाशक एवं ईश्वर प्राप्ति का साधन मानी गई है। अमृत मंथन के पश्चात जब राक्षसों को अमरत्व प्राप्त होने का संकट उत्पन्न हुआ तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने लास्य नृत्य से तीनों लोकों को राक्षसों से मुक्ति दिलाई थी।
भगवान शंकर ने दैत्य भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि वह जिसके ऊपर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। उस राक्षस ने स्वयं भगवान को ही भस्म करना चाहा। एक बार फिर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने मोहक सौंदर्यपूर्ण नृत्य से उसे अपनी ओर आकर्षित कर उसका वध किया।
आधुनिक परिवेश की बात करें तो दुनिया के प्रसिद्ध नृत्य मास्टर जॉन वीवर ने लिखा है कि नृत्य एक सुंंदर और नियमित गतिविधि है। जो सामंजस्यपूर्ण ढंग से सुंदर दृष्टिकोण से बनी है। शरीर और उसके विभिन्न अंगों की आकर्षक मुद्रा का संगम है। जो मानव मन के सौंद्रर्य और भावनाओं को सशक्त रूप से प्रदर्शित करती है। नृत्य इतिहासकार गैस्टन वुइलियर ने इसे सद्भाव और सुंदरता के गुणों का प्रतीक बताया।
भारत में लोक नृत्य या डांस महज मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह भावनाओं के साथ, कला व संस्कृति को दर्शाने और सेहतमंद रहने का भी बेहतरीन जरिया है। कथक, भरतनाट्यम, हिप-हॉप, बैले, साल्सा, लावणी जैसी
शैली हैं, जो दुनियाभर में लोकप्रिय हैं। इनके अलावा तांडव, मोहिनीअट्टम, कुचिपुड़ी, सत्रीया नृत्य, चाऊ, कथकली, मणिपुरी नृत्य शैली भी हैं।
इनके अलावा धर्म एवं पर्व से संबंधित नृत्य भी हैं, जिन्हें विशेष धर्म और अवसरों पर किया जाता है। उन्हें पर्व या धार्मिक नृत्य कहा जाता है। गुजरात का गरबा, असम का बिहू और झारखण्ड का करमा नृत्य प्रमुख है। इनके अलावा व्यावसायिक लोक नृत्य भी लोगों द्वारा किए जाते हैं। क्योंकि जो लोकनृत्य जीविकोपार्जन का साधन बन गया, वे नृत्य व्यावसायिक नृत्य कहलाते हैं, जैसे राजस्थान का भवाई नृत्य, तेरहताली नृत्य। लोकनृत्यों में जाति विशेष के लोगों द्वारा किए जाने वाले नृत्य भी खासे लोकप्रिय हैं। आन्ध्र प्रदेश में लंबाडी नृत्य और राजस्थान का कालबेलिया।
नृत्य न केवल एक कला है बल्कि समग्र स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है। क्योंकि माना जाता है कि 30 मिनट की नृत्य कक्षा एक जॉगिंग सत्र के बराबर होती है। यह सबसे अच्छे और सबसे मज़ेदार फिटनेस व्यायामों में से एक है। नृत्य के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अनेक लाभ हैं।
जैक्स डी अम्बोइस के मुताबिक नृत्य आपकी धड़कन, आपके दिल की धड़कन, आपकी सांस है। यह आपके जीवन की लय है। यह समय और गति के साथ खुशी की अभिव्यक्ति है।
हमारे लिए यह गर्व की बात है कि भारत के प्रत्येक राज्य में अनेक नृत्य शैली हैं। जो परंपराओं से सजे सांस्कृतिक कला रूपों की अनगिनत किस्मों के साथ, नृत्य सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं। हमारा देश वास्तव में विविधता में एकता के रंगों से सराबोर है।
ग्वालियर की नामी संस्था उद्भव कल्चरल एंड स्पोर्ट्स एसोसिएशन यानी उद्भव इंडिया “उद्भव उत्सव“ के माध्यम से भारतीय नृत्य की विविध शैलियों का सांस्कृतिक संगम करा रही है। उद्भव ने विगत 25 वर्षों से देश और दुनिया में नृत्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति का परचम लहराया है। आज नृत्य दिवस पर देश और दुनिया के सभी नृत्य गुरुओं, नृत्यकारों और कला साधकों को हार्दिक शुभकामनाएं।

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