इन्होंने कलेक्टर शिवपुरी के 8 फरवरी 2023 को 6 लाख 55 हजार 511 रु. की राशि के जारी भुगतान आदेश में संशोधन करके 26 लाख 55 हजार 511 रु. का भुगतान कर दिया। आगे दो लगाकर सीधे बीस लाख हड़प लिए और जब कलेक्टर रवींद्र कुमार ने घोटाले की जांच के आदेश दिए तो अपने को फसता देखकर घोटाला गिरोह ने अग्निकांड की प्लानिंग कर खुद आग लगा दी। जी हां, इस मामले में ब्रह्मास्त्र साबित हुए "सीसीटीवी फुटेज" ने पूरा राज फाश कर दिया अन्यथा मामला शॉर्ट
सर्किट से आग लगने तक सीमित रह सकता था। हालाकि जिला कलेक्टर रवींद्र कुमार की सूझ बूझ की दाद देनी होंगी की उन्होंने अग्निकांड को एक चैलेंज के रूप में लिया और अपने मित्र एसपी अमन सिंह राठौड़ को साथ लेते हुए सीसीटीवी को खंगालने के निर्देश दिए। जैसे ही उनके अधीनस्थ कर्मचारी ने बताया की आग लगी नहीं बल्कि दो लोग लगाने आए थे। कलेक्टर और एसपी दोनों ने बैठकर फुटेज देखे फिर जो फाइल जली उससे अंदाज लगा लिया की ये किसकी करतूत हैं। हालाकि बता दें की आग में फाइल भले ही जली हैं लेकिन ऑन रिकॉर्ड सभी कुछ सुरक्षित हैं। यानी घोटालेबाजों की कुंडली बनना तय हैं। इनके खिलाफ धारा 409, 420, 467, 468, 471, 102बी के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है।
आइए बताते हैं कौन हैं घर में ही आज लगाने वाले घोटालेबाज
कलेक्ट्रेट की भू-अर्जन शाखा में पिछोर की 2208 करोड़ वाली लोअर उर सिंचाई प्रोजेक्ट के मुआवजे में जब घोटाला किया गया और वास्तविक लोगों की बजाय फर्जी लोगों को बड़ी रकम कलेक्टर के आदेश में बदलाव करके बंदरबांट कर दी और जांच होने लगी तो उससे बचने के लिए उस रिकार्ड को जलाने साजिशन आग लगाई गई। आगजनी के दूसरे दिन ही रविवार को भू-अर्जन के एक नकली आदेश में 20 लाख रु. के फर्जी भुगतान का सिटी कोतवाली थाने में केस दर्ज हुआ है। फर्जी मुआवजा लेने वालों में आरोपी एसएलआर राकेश ढोंढी, बाबू दीपक खटीक, ऑपरेटर रूपसिंह परिहार और उसकी पत्नी सहित तीन महिलाओं पर केस दर्ज हुआ है। इसी फर्जी मुआवजा लेने के सबूत मिटाने के लिए इन्होंने ही कलेक्ट्रेट में आग लगवाई थी। केस दर्ज होते ही पुलिस ने देर शाम ऑपरेटर को हिरासत में ले लिया है। कलेक्ट्रेट में आग लगाकर भागे दो नकाबपोश युवक भी पुलिस के हत्थे चढ़ गए हैं। पुलिस ने ऑपरेटर रूप सिंह और आग लगाने वाले राहुल परिहार व जितेंद्र पाल को हिरासत में ले लिया हैं।
ऑपरेटर खुद आया था आग लगवाने
पुलिस के अनुसार आग लगाने के मामले में जिन दो लोगों को हिरासत में लिया है, उन्हें ऑपरेटर ने इस काम के लिए पैसे दिए थे। ऑपरेटर भी साथ आया था लेकिन कैमरे में कैद होने से बचने के लिए वह कलेक्ट्रेट से कुछ दूरी पर ही खड़ा रहा। 
इस तरह किया घोटाला
राकेश ढोंढी, तत्कालीन एसएलआर शिवपुरी जो वर्तमान में गुना पोस्टेड हैं इसने भू-अर्जन के डीडीओ पॉवर होने पर बिल भुगतान के लिए आने पर 20 लाख के फर्जी भुगतान ओटीपी शेयर कर सारे भुगतान कराए।
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रूपसिंह परिहार, ऑपरेटर ये मुख्य सरगना लोअर उर सिंचाई प्रोजेक्ट में जल संसाधन विभाग की ओर से निजी कंप्यूटर ऑपरेटर रहा। भू-अर्जन की लिस्ट बनाई। पत्नी व परिचितों के खाते में फर्जी भुगतान कराए। रचना परिहार: कंप्यूटर
ऑपरेटर रूपसिंह की पत्नी, जिसके खाते में 734125 रु. का फर्जी भुगतान कराया है। राजपालः भू-अर्जन लिस्ट में हितग्राही के रूप में नाम जुड़ा है इसके खाते में 375619 रु. का फर्जी भुगतान लिया है। गोमती: भू-अर्जन लिस्ट में हितग्राही के रूप में नाम जोड़कर बैंक खाते में 439368 रु. का फर्जी भुगतान लिया है। सुखवती: भू-अर्जन लिस्ट में हितग्राही के रूप में नाम जोड़कर बैंक खाते में 450888 रु. का फर्जी भुगतान लिया है।
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दीपक खटीक, बाबू भू-अभिलेख : ये महानुभाव बिल की फाइलें जिला कोषालय लेकर जाते थे। एसएलआर ढोंडी से 20 लाख रु. के फर्जी भुगतान में ओटीपी लेकर भुगतान कराए।
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नकली आदेश में कलेक्टर के मूल स्वीकृति आदेश से 20 लाख रु. अधिक निकली
जांच के दौरान भू-अर्जन शाखा के सहायक ग्रेड-3 दीपक खटीक के कथन लिए। फिर दीपक खटीक से जिला कोषालय शिवपुरी भेजकर स्तावेज मंगाए। दीपक खटीक ने कोषालय से 8 फरवरी 2023 का आदेश दिया, जो मूल स्वीकृति आदेश पर ही जावक दर्ज था। इस आदेश में भुगतान की राशि का विवरण 2655511 रु. एवं भुगतान किए जाने वाले व्यक्तियों की संख्या 8 थी। इस नकली आदेश में कलेक्टर के मूल स्वीकृति आदेश से 20 लाख रु. अधिक
राशि थी। जिसे उक्त आदेश स्वतः ही कूट रचित आदेश था। पेमेंट ऑर्डर लिस्ट देखी तो संबंधित व्यक्तियों को स्वीकृत राशि से अधिक राशि का भुगतान हुआ है। जबकि इसका विवरण स्वीकृति आदेश में नहीं है। जिन अपात्रों को अवैध भुगतान किया है, उनमें रचना को 734125 रु., राजपाल 375619 रु., गोमती 439368 रु., सुखवती को 450888 रु. कुल 20 लाख रु. का भुगतान हुआ है।
ये बोले कलेक्टर
सवाल: जिन पर केस दर्ज कराया उनका आगजनी की घटना से क्या लिंक है?
जबाव: जांच करके पुलिस बताए, जब वो लोग टूठेंगे तो बोलेंगे।
सवाल : आगजनी के दिन ही खाते होल्ड क्यों कराने पड़े?
जबाव: हमें उसी दिन पता चला। गड़बड़ी सामने आई तो हमने जांच शुरू की और खाते होल्ड कराए।
सवाल: लोअर उर सिंचाई प्रोजेक्ट में धांधली और भी बड़ी हो सकती है?
जबाव: भू-अर्जन के रिकार्ड से संबंधित मामले निकालेंगे, जो होगा कार्रवाई करेंगे।
सवाल: आगजनी में भू-अर्जन शाखा का सारा रिकार्ड भी जल गया है?
जबाव: भू-अर्जन शाखा में रिकार्ड नहीं जला है। सारे दस्तावेज सुरक्षित है। सिर्फ गैलरी में कुर्सी आदि कबाड़ जला है।
रवींद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर जिला शिवपुरी
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जिनकी जमीन ही नहीं थी, उन्हें मुआवजा मिला, जिनकी जमीन डूब में आई उनको नहीं मिला मुआवजा
लोअर उर सिंचाई प्रोजेक्ट के तहत कई विस्थापित परिवारों को जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। कुछ परिवार पुनार्वास से वंचित हैं। सीएम हेल्प लाइन लगाने से लेकर एसडीएम दफ्तर के चक्कर काट चुके हैं। उर नदी पर बांध बनकर तैयार है। इस सीजन की बारिश में बांध भर जाएगा। इसलिए डूब क्षेत्र के गांव खाली करके ग्रामीण परिवार अगल अलग जगह बस गए हैं। लेकिन जमीनों का मुआवजा नहीं मिलने से ग्रामीण परिवार परेशान हैं।
खनियाधाना तहसील के बामौरकलां के पास उर नदी पर बांध डूब क्षेत्र में 6 गांव व आशिक रूप से 3 गांव आए हैं। इनमें शिवपुरी जिले का सिर्फ नारौनी गांव शामिल है। विशेष राहत पैकेज के तहत सिंचित व असिंचित दोनों के लिए किसानों को 10 लाख रु. प्रति हेक्टेयर मुआवजा राशि मंजूर की। बांध निर्माण में 1500 हेक्टेयर जमीन डूब में आ रही है। शिवपुरी व अशोकनगर जिले के प्रभावित परिवारों को 150 करोड से 200 करोड रु. का मुआवजा बांटा जाना था। लेकिन कई परिवार अभी भी मुआवजे के लिए परेशान हैं।
नारौनी गांव : घर द्वार छोड़कर अलग-अलग जगह बसे, जमीन का मुआवजा नहीं मिला
डूब प्रभावित चंदन सिंह आदिवासी ने बताया कि हमारी 8 बीघा जमीन है, जिसका मुआवजा अभी तक नहीं है। सिर्फ पुनार्वास के लिए पांच लाख रुपए मिले, जिससे कर्ज लौटा दिया। मेरी मां रामकली आदिवासी के नाम से पुनार्वास राशि नहीं मिली है। बामौरकलां आकर रहने लगे हैं। चचेरे भाई राजकुमार आदिवासी को भी 8 बीघा का मुआवजा नहीं मिला जो दिदावनी गांव जाकर रहने लगा है।
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हरसिंह आदिवासी का पुनार्वास की राशि मिली है। हमारी 20 बीघा जमीन बांध डूब में चली गई है। परिवार के पांच सदस्यों के नाम से उक्त जमीन का अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। कल्लू आदिवासी का कहना है कि हमारी 3 बीघा जमीन बांध डूब में चली गई है। पुनार्वास के पांच लाख रु. तो मिल गए हैं। लेकिन जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। कमल आदिवासी का कहना है कि 3.50 बीघा जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। पुनार्वास के पांच लाख रु. मिले, जिसे लेकर गांव खाली करके आ गए हैं।
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जिले के कंप्यूटर ऑपरेटर ने लिख डाली घोटाले पर घोटाले की दास्तान
ये पहला मामला नहीं जब एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने गड़बड़ी की। इसके पहले कोलारस बैंक घोटाला, जनपद शिवपुरी, जनपद पिछोर , जनपद करेरा और न जाने कितने घोटाले हो चुके इस बार फिर एक घोटाला सामने हैं। सरकार को समझ नहीं आता आउट सोर्स का क्या भविष्य इसलिए बाहर के मेहमान जल्द करोड़पति बनने के फेर में घोटाले करते हैं। खैर फिलहाल वापिस आते हैं।
नया घोटाले करने वाले रूप सिंह परिहार पर ही कलेक्ट्रेट में आग लगाने का आरोप लगा है। वह लोअर उर सिचाईं प्रोजेक्ट में जल संसाधन विभाग की ओर से निजी कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर पदस्थ रहा है। छोटे से पद पर रहकर रूप सिंह परिहार ने पिछोर में अपना दबदबा बनाकर रखा था। रूप सिंह की शोहरत इतनी थी कि अकेले लाखों रूपए खर्च कर ख्याति प्राप्त जया किशोरी की कथा अप्रैल 2023 में करवा चुका है। क्षेत्र के लोगों की माने तो रूप सिंह पर एकाएक इतना पैसा आने की वजह गढ़ा धन बताई जाती थी। रूप सिंह अपनी शोहरत को बरकरार रखने के लिए नेताओं और अधिकारियों को तोहफ़ा भी देता रहता। फिलहाल रूप सिंह का 20 लाख रूपए का घोटाला सामने आया है। लेकिन आशंका जताई जा रही है कि अभी और भी घोटाले सामने आ सकते हैं।
ऐसे पकड़ा ऑपरेटर
18 मई को कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने भू-अर्जन मामले की जांच करवाई थी। जिसमें 8 फरवरी 2023 को जो भुगतान किया गया। उसमें 20 लाख रुपए अतिरिक्त निकालकर शासकीय राशि का गबन किया गया। जबकि कलेक्टर ने जो आदेश दिया था। उसमें भुगतान 6 लाख 55 हजार 511 रुपए का होना था। लेकिन इस राशि के आंकड़े में आगे 2 लगाकर 26 लाख 55 हजार 511 का भुगतान कर दिया गया। माना जा रहा है कि इसी जांच में फंसने से बचने के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर रूप सिंह परिहार ने कलेक्ट्रेट में रखे दस्तावेजों को आग के हवाले करवाने की ठानी। हालाकि फाइल जली नहीं।

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