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"लैंगिक भेदभाव असमानता का कारण बनता है", शक्तिशाली संगठन का जागरूकता कैंप

गुरुवार, 2 मई 2024

/ by Vipin Shukla Mama
* रवि गोयल सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा
* लिंग भेदभाव: असमानता बचपन से ही शुरू हो जाती है सुपोषण सखी नर्मदा शाक्य 
शिवपुरी। लिंग भेदभाव असमानता बचपन से ही शुरू हो जाती है प्रत्येक लड़की और लड़के को जीवित रहने और आगे बढ़ने का समान अवसर मिलना चाहिए। शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा आज दस गांवों जिनमे मरोरा खालसा, मरौरा अहीर, सुरवाया, बिनेगा, नोहरिकला है उनमें लिंग आधारित भेदभाव जागरूता प्रोग्राम में सुपोषण सखी नर्मदा शाक्य ने अपने विचार रखते हुए कहा की शक्ति शाली महिला संगठन पिछले 10 से अधिक वर्षों से प्रत्येक बच्चे के लिए समान अधिकारों की वकालत कर रहा है - फिर भी, बचपन से शुरू होने वाला लैंगिक भेदभाव, बच्चों से उनका बचपन छीन रहा है और उनकी संभावनाओं को सीमित कर रहा है - जिसका दुनिया की लड़कियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। एक लड़की को उसके अधिकारों से वंचित किए जाने, स्कूल से रोके जाने, शादी के लिए मजबूर करने और हिंसा का शिकार होने की बहुत अधिक संभावना है - अगर उसकी बात सुनी जाती है तो उसकी आवाज़ को कम महत्व दिया जाता है। बचपन पर यह हमला राष्ट्रों को प्रगति के लिए आवश्यक ऊर्जा और प्रतिभा से भी वंचित कर देता है। शक्ति शाली महिला संगठन के रवि गोयल ने इस अवसर पर अपने विचार में कहा की, लिंग भेदभाव का अर्थ लिंग के आधार पर किया गया कोई भी बहिष्कार या प्रतिबंध है जो लड़कियों, लड़कों, महिलाओं और/या पुरुषों के लिए उनके पूर्ण और समान मानवाधिकारों को पहचानने, आनंद लेने या प्रयोग करने में बाधा उत्पन्न करता है।
लैंगिक असमानता लिंग या लिंग के आधार पर भेदभाव है जिसके कारण एक लिंग या लिंग को नियमित रूप से दूसरे लिंग या लिंग से अधिक विशेषाधिकार प्राप्त या प्राथमिकता दी जाती है।
लैंगिक समानता एक मौलिक मानव अधिकार है और लिंग आधारित भेदभाव से उस अधिकार का उल्लंघन होता है। लैंगिक असमानता बचपन से ही शुरू हो जाती है और अब यह दुनिया भर में बच्चों की आजीवन क्षमता को सीमित कर रही है - जिसका लड़कियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है सामाजिक कार्यकर्ता पिंकी चौहान ने कहा की हम अपने हर काम में लैंगिक समानता को केंद्र में रखते हैं। हमारा दृष्टिकोण एक ऐसी दुनिया है जिसमें सभी लोगों - लड़कियों, लड़कों, महिलाओं और पुरुषों - को लिंग मानदंडों, पहचान या अभिव्यक्तियों की परवाह किए बिना समान अधिकार, जिम्मेदारियां और अवसर प्राप्त हों। एक ऐसी दुनिया जहां सभी को समान रूप से मान्यता, सम्मान और महत्व दिया जाता है। इस कार्य में आंगनवाडी कार्यकर्ता  के साथ समुदाय की एक सेकड़ा महिलाओ ने मुख्य रूप से भाग लिया।












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