शिवपुरी। शहर स्थित कलेक्ट्रेट परिसर के कई विभागों के कक्ष में रात को आग लग गई। इसका पता अधिकारियों को शनिवार सुबह 5 बजे लगा। आग बुझाने की कोशिश किए जाने तक कई विभागों के रिकॉर्ड जलकर खाक हो गए। शॉर्ट सर्किट होने से आग लगने की आशंका जताई जा रही है।
जानकारी के मुताबिक रात के समय भी कलेक्ट्रेट में चौकीदार तैनात रहते हैं, फिर भी समय रहते आग लगने की सूचना समय पर नहीं मिल पाई। सुबह 5 बजे कलेक्ट्रेट परिसर के कई कक्षों में धुआं उठा तब किसी ने इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी। इसके बाद मौके पर पहुंचे संबंधित अधिकारियों ने नगर पालिका की फायर बिग्रेड, पानी के टैंकर को बुलाकर आग पर काबू पाने का प्रयास शुरू किया। आग पर काबू पाने के लिए एसडीआरएफ की टीम को भी बुलाया। सुबह 8 बजे तक आग पर काबू पाया गया।
कई विभागों के रिकॉर्ड खाक
जानकारी के मुताबिक कलेक्ट्रेट की नजूल शाखा, शिकायत शाखा, भू-अर्जन शाखा, नाजिर शाखा, स्टेशनरी के कक्षों में आग लगी हैं। इस शाखाओं में रखे संबंधित सभी रिकॉर्ड आग की चपेट में आने से खाक हो गए।
जांच के लिए एसडीएम की अध्यक्षता में टीम गठित
इस मामले में कलेक्टर रविंद्र चौधरी का कहना कि आग नाजिर के स्टोर रूम, नजूल के कुछ हिस्सों में लगी है। भू-अर्जन के हमारे रिकार्ड सुरक्षित हैं। कुछ रिकार्ड हमारा ऑनलाइन है जिसे हम वापस ले सकते हैं। आग कैसे लगी यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। हम एडीएम की अध्यक्षता में एक टीम बनाएंगे जो पूरे मामले की जांच करेगी कि रिकार्ड कैसे जला। किस-किस रिकार्ड का नुकसान हुआ है, यह तो पूरी पड़ताल के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
2208 करोड़ उर नदी प्रोजेक्ट के मुआवजे की फाइल जली
शिवपुरी कलेक्टर कार्यालय में इस आगजनी को 2208 करोड़ के लोअर उर सिंचाई प्रोजेक्ट के तहत दिए गए मुआवजे की जांच से जोड़ा जा रहा है। कलेक्ट्रेट की नजूल शाखा में लगाई आग से लोअर उर बांध सिंचाई प्रोजेक्ट और अन्य प्रोजेक्ट के भू-अर्जन का रिकार्ड खाक होने का पता चला है। ऐसे में कलेक्टर ने शनिवार की रात 8 बजे लोअर उर बांध से संबंधित भू-अर्जन वाले जिन संदिग्ध खातों में मुआवजा राशि जारी हुई, उन पर होल्ड लगवा दिया है। बताया गया है कि इन लोगों की जमीन न डूब में आई थी न अधिग्रहित की गई फिर भी इन्हें बड़ा मुआवजा दिया गया। मालूम हो कि कलेक्टर इस मुआवजा घोटाले की जांच करवा रहे थे। आशंका जताई जा रही है कि इसीलिए घपले से जुड़े अधिकारी कर्मचारियों ने सबूत मिटाने के लिए आगजनी की घटना को अंजाम दिया। साजिश करने वालों में कलेक्टर ऑफिस से जुड़े स्टाफ की भूमिका संदिग्ध है।
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