पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब’ पहले यह कहावत हुआ करती थी। बड़े-बुजुर्गों द्वारा घर या बाहर खेलते पाए जाने पर इन्हीं शब्दों के जरिए डांटा जाता था। कहा जाता था कि खेल नहीं, शिक्षा तुम्हें जीवन जीने का साधन प्रदान करेगी। लेकिन यह धारणा मौजूदा परिवेश में प्रयोज्यता खोती जा रही है। कारण स्पष्ट है कि आज खेल लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे है और बेहतर असर देखने को मिल रहे हैं। आईए जानते हैं विश्व एथलेटिक्स दिवस पर जीवन में खेलों का महत्व और उसका प्रभाव
7 मई को दुनियाभर में हर साल विश्व एथलेटिक्स दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य एथलेटिक्स को प्राथमिक खेल के रूप में बढ़ावा देकर बच्चों और युवाओं के बीच फिटनेस के बारे में जागरुकता बढ़ाना और उन्हें खेल विशेषकर एथलेटिक्स खेलने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह दिन हजारों लोगों के सामने वैश्विक स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए एथलीटों की उपलब्धियों, कड़ी मेहनत और समर्पण को भी मान्यता देता है और उनका जश्न मनाता है।
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन (आईएएएफ) के अध्यक्ष प्राइमो नेबियोलों की दूरदर्शिता पर 1996 में इस दिवस की शुरुआत की गई। नेबियोलो का उद्देश्य एथलेटिक्स के मूल्यों को बढ़ावा देने और युवाओं के बीच भागीदारी को प्रोत्साहित करना था. आईएएएफ की स्थापना 17 जुलाई 1912 को स्टॉकहोम स्वीडन में हुई थी। यह दिवस अंतरराष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक फेडरेशन द्वारा दुनिया भर के 200 देशों में विभिन्न मंचों पर मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को एक स्वस्थ और गतिशील जीवन की प्रेरणा देना और एथलेटिक्स के क्षेत्र में नई प्रतिभाओं और युवाओं को विश्व पटल पर लाना है। पहला विश्व एथलेटिक्स दिवस 15 मई 1996 को मनाया गया था। समारोहों के दौरान 50 से अधिक देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे। तब से युवाओं को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करनें हर साल यह दिन मनाया जाता है।
प्रारंभिक प्रयासों में युवा भागीदारी परियोजना को लक्षित किया गया, जिसका लक्ष्य अगली पीढ़ी के एथलीटों, कोचों और अधिकारियों को प्रेरित करना था। स्कूलों और एथलेटिक्स क्लबों ने स्थानीय कार्यक्रमों और गतिविधियों के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विश्व एथलेटिक्स दिवस सभी उम्र और क्षमताओं के प्रतिभाशाली एथलेटिक्स को प्रेरित करता है. वह चाहे संगठित कार्यक्रमों, सामुदायिक गतिविधियों या व्यक्तिगत पहल के माध्यम से हो।
खेलों के मूल्यों पर प्रकाश डालना इसका प्रमुख उद्देश्य है। दृढ़ता, अनुशासन, निष्पक्ष खेल भावना और टीम वर्क सहित खेल के मूल मूल्यों का प्रतीक है। यह दिवस राष्ट्रीय सीमाओं और सांस्कृतिक मतभेदों से रहित एथलेटिक्स को साझा जुनून हेतु एकजुट कर भावी पीढ़ियों को प्रेरित करता है। जिससे कि एथलेटिक उपलब्धियों को प्रदर्शित और भागीदारी को बढ़ावा देकर, युवाओं को एथलेटिक सपनों को साकार करने के लिए एक मंच प्रदान किया जा सके
हर साल इस दिवस के जश्न के लिए एक थीम समर्पित की जाती है। 2023 में “एथलेटिक्स फॉर ऑल-ए न्यू बिगिनिंग“ थीम थी। हालाँकि 2024 की थीम घोषित नहीं की गई है।
एथलेटिक्स शब्द की बात करें तो माना जाता है कि ग्रीक शब्द “एथलोस“ से लिया गया है, जिसका अर्थ है “प्रतियोगिता“ या “कार्य“। प्राचीन ओलंपिक खेलों का जन्म युद्ध से हुआ था और इनमें एथलेटिक्स के विभिन्न प्रकार जैसे दौड़ना, कूदना, मुक्केबाजी और कुश्ती प्रतियोगिताएं शामिल थीं
हमारे देश में एथलेटिक्स का इतिहास वैदिक काल से जारी है। वस्तुतः अथर्ववेद के सिद्धांतों ने भारतीय एथलेटिक्स के निर्माण को आकार दिया, हालांकि यह रहस्य आज भी है कि भारत में एथलेटिक्स ने विशिष्ट खेल के रूप में कब अपनी पहचान बनाई? क्योंकि रामायण और महाभारत काल से ही रथ-दौड़, तीरंदाजी, घुड़सवारी, सैन्य रणनीति, कुश्ती, भारोत्तोलन, तैराकी, और शिकार जैसे खेल वैदिक युग से चले आ रहे हैं।
बौद्ध काल में भारतीय एथलेटिक्स ने उल्लेखनीय आयाम हासिल किया। जब तीरंदाजी, घुड़सवारी, गोला फेंकना और रथ-दौड़ जैसी प्रतियोगिताएं चलन में थी। उस काल में भारतीय साम्राज्यों के सैन्य प्रशिक्षण सत्रों में सभी खेल अनिवार्य थे। पद-यात्रा, गिल्ली-डंडा, भाला फेंकना आदि खेलों ने प्राचीन भारत में मध्यकाल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। एथलेटिक्स प्राचीन ओलंपिक खेलों में प्रदर्शित होने वाले खेलों में से एक है।
एथेंस 1896 में खेलों की रुपरेखा में बदलाव के बाद से एथलेटिक्स आधुनिक ओलंपिक कार्यक्रम का भी एक अभिन्न अंग रहा है। इसी का नतीजा है कि हाल ही के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में एथलीटों ने जो हासिल किया है, उसके परिणामस्वरूप खेलों को व्यापक रूप से एक गंभीर कॅरियर विकल्प के रूप में चुना जा रहा है।
आपके दिमाग को तेज और शरीर को शारीरिक रूप से फिट रखने के अलावा, खेल अच्छा पैसा और पहचान भी दिला सकता है, अगर आप इसके प्रति काफी जुनूनी हैं।
अमेरिकी सरकारी सांख्यिकीय एजेंसी बीएलएस का अनुमान है कि मनोरंजन के साथ-साथ खेल व्यवसायों में रोजगार 2022 से 2030 तक 22 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। यह सभी व्यवसायों के औसत की तुलना में काफी तेज है। फिल्मों और टीवी शो के सौजन्य से खेल प्रशंसकों के बढ़े हुए आधार ने खेल व्यवसायों के लिए कॅरियर की वृद्धि में योगदान दिया है। पिछले मई में, खेल और मनोरंजन व्यवसायों को $49,470 की औसत वार्षिक आय का भुगतान किया गया था, जो सभी व्यवसायों के लिए $45,760 की औसत आय से अधिक थी।
29 अगस्त, 2019 को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को न केवल अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने बल्कि देश के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए खेल और शारीरिक गतिविधियों को अपने दैनिक जीवन में एकीकृत करने के लिए प्रेरित करने इस आंदोलन की शुरुआत की।
नतीजन 2018 में घोषित खेलो इंडिया के तहत भारत सरकार ने इस कार्यक्रम को देश के सबसे दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों का एक प्रतिभा पूल विकसित करने के प्रगतिशील प्रयास के रूप में शुरू किया। सामाजिक उन्नति, आर्थिक विकास, सामुदायिक विकास और व्यक्तिगत प्रगति के लिए एक उपकरण के रूप में खेल मुख्यधारा में लाने का इरादा रखता है।
इसी तरह ओलंपिक और अन्य महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में पदक जीतने में एथलीटों की सहायता के लिए 2014 में टॉप्स यानी टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम विकसित की। इसमें तीरंदाजी, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, हॉकी, शूटिंग और कुश्ती जैसे खेलों को “उच्च प्राथमिकता“ परियोजनाएं सौंपी गई हैं। लक्ष्य बेहतर परिणामों के लिए मौजूदा क्षमता को अधिकतम करना है। एथलेटिक्स के लिए अपनी क्षमताओं की उड़ान भरने के लिए खुला आसमान है, जो उन्हें बुलंदियों पर पहुंचाकर मान-सम्मान और पद व प्रतिष्ठा दिला सकता है। क्योंकि शोहरत और दौलत के प्रतीक बन रहे हैं एथलेटिक्स।

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