शिवपुरी। लोगों के बीच इस बीमारी के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से हर साल मई के पहले मंगलवार को यानी की आज विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। शक्ति शाली महिला संगठन शिवपुरी द्वारा इस अवसर पर शिवपुरी विकास खंड के पांच गांव जिनमे बड़ा गांव , शीर, ममोनी एवम खुटेला में अस्थमा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने बताया कि अस्थमा की रोकथाम के लिए इस बीमारी के कारणों को समझना सबसे अधिक जरूरी हो जाता है।अस्थमा सांस से जुड़ी हुई एक गंभीर समस्या है, जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। परेशानी की बात यह है कि अक्सर सतर्कता के अभाव में इस बीमारी के कई गंभीर परिणाम सामने आते हैं। इसी कड़ी में लोगों के बीच इस बीमारी के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से हर साल मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि अस्थमा फेफड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है, जिसकी शुरुआत सांस की नली में सूजन के साथ होती है। वहीं, लंबे समय तक सूजन बने रहने पर सिकुड़न पैदा हो जाती है और सांस की नली में अतिरिक्त बलगम जमा होने लगता है। इस स्थिति में पीड़ित को सांस लेने में समस्या होने लगती है, साथ ही लगातार गंभीर खांसी और सीने में जकड़न की परेशानी बनी रहती है।
विनोद गिरी के मुताबिक, वैसे तो ये समस्या किसी भी उम्र के लोगों में विकसित हो सकती है लेकिन ज्यादातर बच्चे इस बीमारी से आसानी से प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे में खासकर बच्चों में लगातार होने वाली खांसी को नजरअंदाज न करें, समय रहते इसकी जांच कराएं क्योंकि लंबे समय तक बीमारी के बने रहने से ये अनियंत्रित हो सकती है। बबिता कुर्मी ने कहा की गर्म मौसम अस्थमा के जोखिम को बढ़ा सकता है, उन्होंने बताया,की 'अस्थमा के लक्षण सभी व्यक्तियों में एक जैसे नहीं होते हैं। अलग-अलग व्यक्तियों में लक्षण भी अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों के लिए यह एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, जबकि अन्य लोगों के लिए यह एक गंभीर परेशानी बरकर उभर सकती है। हालांकि, सामान्य रूप से अस्थमा होने पर सबसे पहले व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होना और सीने में जकड़न महसूस होना जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। इसके अलावा बलगम वाली खांसी, गंभीर स्थिति में खांसी के दौरे आना और सोने में समस्या होना जैसे लक्षण भी महसूस हो सकते हैं। वहीं, बच्चों में सांस छोड़ते समय घरघराहट होना अस्थमा का एक सामान्य लक्षण है। बीमारी से बचाव के लिए लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है।' अस्थमा की बीमारी को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। हालांकि, एक अच्छी बात यह है कि सावधानी, बचाव और नियंत्रण के माध्यम से इस बीमारी के प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है अस्थमा के रोगी अच्छी सेहत के लिए सबसे पहले अपने आसपास साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें। धूल, मिट्टी और धुएं से बचें। साहब सिंह ने कहा की
फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए नियमित रूप से योग व्यायाम और वॉकिंग के साथ पौष्टिक भोजन को प्राथमिकता दें।
अधिक तेल और ठंडी चीजों के सेवन से बचें।
धूम्रपान न करें।
खासकर बाहर मास्क पहनकर निकलें और यात्रा के दौरान अपना इनहेलर साथ रखें।
अधिक भाग दौड़ वाले कामों से बचें। अपनी दवाइयों को सही समय से लें और नियमित रूप से डॉक्टर के संपर्क में रहें।
इन सभी सावधानियों और संतुलित जीवनशैली के माध्यम से अस्थमा के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।प्रोग्राम में आगनवाड़ी कार्यकर्ता एवम सुपोषण सखी ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।

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