बुधवार - गुरुवार की दरमियानी रात 2 बजे कारोबारी और बेटियों ने खुद को आग से घिरा पाया तो वे एक - दूसरे की जान बचाने यहां-वहां भागे। पिता ने बेटियों को थर्ड फ्लोर पर कमरे में ही रहने के लिए कहा होगा। खुद पहली मंजिल पर दरवाजे तक पहुंचने की कोशिश की। आग तीनों फ्लोर पर थी।
दूसरी मंजिल की सीढ़ियों के पास ही व्यापारी
दम घुटने से गिर गए। बड़ी बेटी दरवाजे के लॉक हैंडल को पकड़े हुए थी, छोटी बेटी बेड पर थी और उसकी सांसें चल रही थीं। एसडीईआरएफ (स्टेट डिजास्टर इमरजेंसी रिस्पॉन्स फोर्स) ने इसी हालत में तीनों को निकाला था।
उपायुक्त और नगर निगम ग्वालियर के अग्निशमन अधिकारी अतिबल सिंह यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'जब हमने यशिका को रेस्क्यू किया तो उसके शरीर में मामूली हलचल थी। लग रहा था कि उसे बचा लिया जाएगा, अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उसकी मौत की खबर मिली।'
घटना के समय व्यापारी विजय और उनकी दोनों बेटियां ही घर पर थे। पत्नी राधिका, बेटे अंश को लेकर मुरैना मायके में अपने घायल चाचा को देखने गई थीं। घटना के बाद व्यापारी की पत्नी को मुरैना से बुलाकर बहोड़ापुर में एक रिश्तेदार के घर रुकवा दिया गया था। सुबह 11 बजे तक राधिका पति, दो बेटियों की इस मौत से अंजान थीं। उन्हें दोपहर में तब बताया गया, जब शव को घर लेकर आने वाले थे। वे बेसुध हो गईं। कारोबारी और उनकी बेटियों की मौत की पुष्टि सुबह 5 बजे तक हो गई थी।
स्थानीय लोग बता रहे हैं कि आग ग्राउंड फ्लोर पर लगी। यहां ड्राय फ्रूट्स की शॉप थी। दूसरी मंजिल पर इसका गोदाम था। तीसरी
पर परिवार रहता था। जिस समय आग लगने का पता लगा, व्यापारी नीचे की तरफ भागा, जबकि वे छत की तरफ भी भाग सकते थे। हालांकि, छत के रास्ते पर भी आग थी, लेकिन वहां बचने की संभावना ज्यादा थी। ऐसा माना जा रहा है कि व्यापारी और उनकी बेटियों को यह लगा होगा कि आग ऊपरी मंजिल पर ही लगी है, इसलिए वह देखने के लिए नीचे की ओर भागे।
काश खुला होता 6 महीने पहले बंद किया थर्ड फ्लोर का दरवाजा
व्यापारी के घर में दो ही रास्ते थे। एक मुख्य दरवाजा दुकान के पास है। दूसरा दरवाजा तीसरी मंजिल से था। इस दरवाजे से व्यापारी अपने घर से पड़ोस में अपने चाचा के घर की तरफ निकल जाते थे, लेकिन छह महीने पहले ही इसे बंद कर लकड़ी की बड़ी अलमारी इसमें बना दी गई।
संकरी गलियों में बड़ी फायर ब्रिगेड नहीं पहुंच सकीं
बहोड़ापुर के कैलाश नगर में आगजनी की घटना के बाद जब फायर ब्रिगेड का दल पहुंचा तो संकरी गलियों के चलते बड़ी गाड़ी अंदर नहीं जा सकीं। तब फायर स्टेशन से छोटी फायर ब्रिगेड बुलाई गईं। इसके बाद आग बुझाने के प्रयास शुरू हुए। आग बुझाने में फायर ब्रिगेड की 12 गाड़ी, एयरफोर्स की 1 दमकल ने आग बुझाई।
गुरुवार दोपहर 2.30 बजे पुश्तैनी घर से कारोबारी, उनकी बेटियों की अर्थियां उठीं। पार्थिव शरीर लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम ले जाए गए। यहां व्यापारी के पुत्र अंश ने मुखाग्नि दी। बहनों को भी छोटे भाई ने मुखाग्नि दी। यह वो पल था, जब हर आंख नम थी। मध्यप्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने मृतकों के परिजन से बात कर उन्हें ढांढस बंधाया है।

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