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धमाका_साहित्य_कॉर्नर: "साहित्यकार परकाया प्रक्रिया से मानव मन की पीड़ा अभिव्यक्त कर देता है": ऋषिकुमार मिश्र, राष्ट्रीय महामंत्री

मंगलवार, 25 जून 2024

/ by Vipin Shukla Mama
* हरदोई के राष्ट्रीय अधिवेशन के मर्म को समझकर तय की गई यह संगोष्ठी मध्यभारत प्रान्त ने की सार्थक  - इन्दुशेखर तत्पुरूष   
* प्रत्येक युग में रचित साहित्य सुदृढ़ भविष्य की पूंजी होता है - मंत्री उदयप्रताप सिंह
* साहित्य के प्रभाव से ही ईश्वर को मनुष्य बनना पड़ता है : अशोक जमनानी 
* समाज को देना मायने रखता है :  नरेन्द्र शिवाजी पटेल , चिकित्सा , शिक्षा  मंत्री मध्यप्रदेश 
गोविन्द नगर, बनखेडी़। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मध्यभारत प्रान्त की दो दिवसीय प्रान्तीय संगोष्ठी भाऊसाहब भुस्कुटे न्यास गोविंद नगर, बनखेडी़ में 22 जून शनिवार को प्रारम्भ होकर 23 जून रविवार को इसका सफलतापूर्वक समापन हुआ ।जिसमे शिवपुरी के तीन साहित्यकार प्रान्त महामंत्री आशुतोष शर्मा, जिलाध्यक्ष प्रदीप अवस्थी, संभागीय सह संयोजक डॉ योगेंद्र शुक्ल को सम्मानित किया गया व श्री लखनलाल को खरे के स्वास्थ्य कारणों से अनुपस्थित होने पर उनका सम्मान आशुतोष शर्मा ने प्राप्त किया। प्रांतीय संगोष्ठी का नेतृत्व प्रान्त महामंत्री आशुतोष शर्मा ने ही किया।
उद्घाटन सत्र में शुभारम्भ अवसर पर सर्वप्रथम परिषद गीत माण्डवी सिंह ने प्रस्तुत किया इसके उपरान्त प्रान्तीय पदाधिकारियों एवम् जिलाध्यक्षों द्वारा मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया गया । तत्पश्चात् प्रान्त महामंत्री आशुतोष शर्मा ने परिषद के कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि हरदोई के राष्ट्रीय अधिवेशन एवम् क्रान्तितीर्थ शिवपुरी  के भव्य कार्यक्रम संगठन के हजारों कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर पूर्ण किये। जिसके फलस्वरूप आज 22 और 23 जून को आयोजित प्रान्तीय संगोष्ठी के समस्त सत्रों में "मध्यभारत प्रान्त  के साहित्य का प्रदेय" विषय पर समपन्न होने जा रही है। स्वागत वक्तव्य देते हुए
प्रान्तीय अध्यक्ष डा. कुमार संजीव ने सभी वक्ताओं का और सभागार में उपस्थित समस्त विशिष्टजनों का आत्मीय अभिनन्दन किया वहीं आज के सांस्कृतिक परिदृश्य में परिषद का उद्देश्य रखा ।उद्घाटन सत्र का संचालन प्रान्तीय महामंत्री आशुतोष शर्मा ने किया।
साहित्यकार परकाया प्रक्रिया से मानव मन की पीड़ा अभिव्यक्त कर देता है : ऋषिकुमार मिश्र , राष्ट्रीय महामंत्री 
राष्ट्रीय महामंत्री ऋषिकुमार मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्यकार परकाया प्रक्रिया से मानव मन की पीड़ा अभिव्यक्त कर देता है । हम समाज में जो काम करते हैं और उससे कुछ पाना चाहते हैं ऐसा ही साहित्य के संदर्भ में भी सोचा जाता है। उन्होंने कहा कि सद्साहित्य हमारी चेतना एवम् चिंतन को परिवर्तन कर शक्तियाँ प्रदान करता है।
प्रत्येक युग में रचित साहित्य सुदृढ़ भविष्य की पूंजी होता है : उदय प्रताप सिंह , मंत्री स्कूल शिक्षा, मध्यप्रदेश 
कार्यक्रम में पधारे स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक युग में रचित साहित्य सुदृढ़ भविष्य की पूंजी होता है। उक्त बात
अखिल भारतीय साहित्य परिषद की संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा व परिवहन मंत्री मप्र शासन राव उदयप्रताप सिंह ने शनिवार को साहित्य परिषद की संगोष्ठी में कही। 
हरदोई के राष्ट्रीय अधिवेशन के मर्म को समझकर तय की गई यह संगोष्ठी मध्यभारत प्रान्त ने की सार्थक : इन्दुशेखर तत्पुरूष 
अखिल भारतीय साहित्य परिषद की संगोष्ठी में प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में साहित्य परिक्रमा के संपादक  इन्दुशेखर तत्पुरूष ने अपने उद्बोधन मे कहा कि जिस तरह मध्यभारत प्रान्त द्वारा हरदोई के राष्ट्रीय अधिवेशन के मर्म को समझकर यह संगोष्ठी तय की गई है जिसमें सार्थकता दिखाई दे रही है । दूर  दूर के कोने कोने से रचनाकारों को एकत्रित कर उनकी मौलिक रचनाओं को भी समाज तक पहुँचाना चाहिये चूंकि लोक साहित्य हमारी चेतना में रहता है। 
समाज को देना मायने रखता है :  नरेन्द्र शिवाजी पटेल , चिकित्सा , शिक्षा  मंत्री मध्यप्रदेश 
प्रान्तीय संगोष्ठी के इस आयोजन में मध्य प्रदेश शासन चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल भी उपस्थित हुए। उन्होंने अपने  संबोधन में कहा कि मायने यह नहीं रखता कि साहित्यकार को कौन सा सम्मान मिला है, अपितु यह मायने रखता है कि साहित्यकार ने समाज को दिया क्या है। श्री पटेल ने कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद राष्ट्र चेतना का कार्य कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर रही है।
साहित्य के प्रभाव से ही ईश्वर को मनुष्य बनना पड़ता है : अशोक जमनानी 
प्रान्तीय संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार अशोक जमनानी ने कहा कि साहित्य के प्रभाव से ही ईश्वर को भी मनुष्य बनना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मध्यभारत के बहुत से साहित्यकारों का स्वतन्त्रता संग्राम में विशेष योगदान रहा है । जिनमें पहली महिला कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान थी उन्होंने अपने स्वाभिमान के साथ साथ अपने क्षेत्र के मान सम्मान को भी बचाये रखा। श्री जमनानी ने म.प्र, के साहित्यकारों के राष्ट्रवाद को प्रदाय पर भी अपनी बात रखी। 
संगोष्ठियां साहित्यकार को अपनी विचारधारा प्रकट करने का सुअवसर प्रदान करती हैं : गोपेश वाजपेयी 
संगोष्ठी के द्वितीय दिवस प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार गोपेश वाजपेयी ने अपने वक्तव्य में कहा कि संगोष्ठियां साहित्यकार को अपनी विचारधारा प्रकट करने का सुअवसर प्रदान करती हैं । लोकमंगल के प्रत्येक वस्तु का समायोजन नितान्त आवश्यक होता है। वहीं उन्होंने इस तरह की संगोष्ठी आयोजन को लेकर भी अपनी बात रखी जिससे जनजागृति में साहित्यकारों की महती भूमिका रहे।
साहित्य के प्रदेय से मानस परिवर्तन सम्भव : प्रवीण गुगनानी , प्रदेश महामंत्री 
प्रान्तीय संगोष्ठी के समापन सत्र में साहित्य परिषद के प्रदेश महामंत्री प्रवीण गुगनानी ने अपने वक्तव्य में साहित्य के प्रदेय पर मानस परिवर्तन की बात कही । उन्होंने कहा कि सार्थक साहित्य सृजन से मानव जीवन को नित नई दिशा प्राप्त होती है। अपने जीवन में प्रत्येक व्यक्ति एक ना एक कविता लिखता है किन्तु यह हमारी व्यथा है कि हम उसे सहेज नहीं पाते हैं । साहित्य हर ओर मौजूद रहता है बस हमें उसे उकेरने और संधारित करने की आवश्यकता है।
तकनीकी सत्र भी हुए आयोजित
प्रथम दिवस उद्घाटन सत्र उपरांत तीन सत्र और  हुए। जिसमें वक्ताओं में कीर्ति वर्मा, ध्रुव शर्मा, पुष्पक देशमुख एवं लोकेश तिवारी ने जान्हवी नायक के संचालन में आलेख का वाचन किया। मुख्य वक्ता इंदुशेखर तत्पुरुष ने संगोष्ठी को लोकजीवन से जोड़ने वाला प्रयास कहा। वहीं द्वितीय सत्र में पुष्पक देशमुख के संचालन में ममता बाजपेयी, पुरू शर्मा, अभिषेक जैन व सुधीर गुप्ता ने आलेख वाचन किया।
इन्हें  किया गया सम्मानित
बैतूल जिले के ग्राम  प्रभातपट्टन के क्रांतिकारियों पर पुस्तक लिखने वाले लेखक श्री डी डी देशमुख जी का मध्यभारत प्रांत की ओर से अध्यक्ष डाँ कुमार संजीव एवं सभी कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा सम्मान किया गया।
संगोष्ठी में इनका मिला अतुलनीय सहयोग और सानिध्य
प्रान्तीय संगोष्ठी में प्रथम दिन के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश शासन के मंत्री  राव उदय प्रताप सिंह , साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री ऋषि कुमार मिश्र जी , 
शिवकांत जी अध्यक्ष नगर पंचायत गाडरवाड़ा एवम्  प्रान्तीय अध्यक्ष 
डा. कुमार संजीव जी रहे।
वहीं परिषद गीत मांडवी सिंह जी ने प्रस्तुत किया।
द्वितीय सत्र में संचालन कुमारी जान्हवी नाइक ग्वालियर , मुख्य वक्ता इंदुशेखर तत्पुरुष जी, वक्ता के रूप में पुष्पक देशमुख , श्रीमती कीर्ति वर्मा, ध्रुव शर्मा एवम् लोकेश तिवारी थे।
तृतीय सत्र में मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार अशोक जमनानी के साथ वक्ता के रूप में ममता वाजपेयी , पुरु शर्मा, अभिषेक जैन अबोध और सुधीर गुप्ता रहे।
चतुर्थ सत्र में मुख्य अतिथि के रूप मे मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल , ऋषि कुमार मिश्र और 
कुमार संजीव जी रहे।
संगोष्ठी के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में  गोपेश वाजपेयी के साथ वक्तागण श्रीमती सुनीता यादव ,प्रदीप अवस्थी,ऋषिकेश भार्गव एवम् डॉ. महिमा तारे का सानिध्य रहा।
वहीं द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में प्रवीण गुगनानी प्रदेश मंत्री साहित्य परिषद के साथ वक्ताओं  में नवल किशोर वर्मा , प्रान्तीय मीडिया प्रभारी, (मध्यभारत  प्रान्त) श्रीमती ज्योति पांसे, रामावतार शर्मा के साथ विजेंद्र जायसवाल का सानिध्य रहा।
इनकी रही उपस्थिति
अखिल भारतीय साहित्य परिषद नर्मदापुरम् की संभागीय संयोजक कीर्ति वर्मा एवं जिलाध्यक्ष सौरभ यादव सूर्य ने बताया कि इस दो दिवसीय प्रान्तीय संगोष्ठी में मध्य प्रांत के 16 जिलों से 90 से अधिक साहित्यकार सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में नर्मदापुरम क्षेत्रके साहित्यकारों हरीश पांडे, पवन सराठे, नवीन हरियाले, सुभाष यादव, माखन मालवीय, आरती शर्मा, रवि तोमर , लोकेश तिवारी , हरीश पांडे , राहुल राय , हरिबाबू , राकेश सक्सेना , दिनेश याग्निक , सुनील पांसे , मंजरी पांसे , आरती शर्मा , धारिनी पांसे ,सुधीर गुप्ता , मुकेश सांडिल्य , ब्रजकिशोर पटेल , सुगंधा शर्मा , सुभाष यादव , लखनलाल मालवीय , प्रसेन मालवीय , सुदर्शन देशमुख , मनोज धाड़से सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा ।

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