सार : आज हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जो या तो किसी दुर्घटनावश या फिर जन्मजात अंधे हैं। जागरूकता और कुछ प्रयासों के माध्यम से इन्हें एक बेहतर जिंदगी दी जा सकती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा ग्राम हातोद की आगनवाड़ी केंद्र में आज समुदाय की माताओं के साथ आंखो के दान का महत्त्व पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जिसमे की रवि गोयल द्वारा समुदाय की माताओं को आंखों के महत्त्व एवम इसके रख रखाव एवम कोन कोन दान कर सकता है इस पर प्रकाश डाला। एवम समुदाय से नेत्र दान महादान पर आगे बढ़कर अपनी आंखें दान करने की शपथ दिलाई।
शिवपुरी। नेत्रदान, रक्तदान से कम पुण्य का काम नहीं, क्योंकि इस दान से आप किसी की जिंदगी में उजाला ला सकते हैं। आंखें हमारे जिंदा रहने तक तो हमारी जिंदगी रोशन करती ही हैं, मरने के बाद भी ये किसी दूसरे की जिंदगी रोशन कर सकती हैं। ये कहना था शिक्षक राजेश श्रीवास्तव का जो की हातोद में नेत्र दान जागरूकता कार्यक्रम में भाग लेते हुए बोल रहे थे। अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने कहा की
हर साल 10 जून को नेत्रदान दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाना है। आज हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जो या तो किसी दुर्घटनावश या फिर जन्मजात अंधे हैं। जागरूकता और कुछ प्रयासों के माध्यम से इन्हें एक बेहतर जिंदगी दी जा सकती है। तो नेत्रदान की महत्वता समझाई और आगे बढ़कर अपनी आंखें दान करने की शपथ दिलाई। आगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमति नीता श्रीवास्तव ने कहा की हाल-फिलहाल बदलती लाइफस्टाइल, अनियमित दिनचर्या, प्रदूषण और बहुत ज्यादा स्ट्रेस की वजह से ज्यादातर लोग आंख से जुड़ी समस्याओं का शिकार होने लगे हैं। उन्होंने कहा की विश्व स्वास्थ संगठन , कॉर्निया की बीमारियां (कार्निया की क्षति, जो कि आंखों की अगली परत हैं), मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, दृष्टि हानि अंधेपन के प्रमुख वजहों में से एक हैं। ब्लड केंसर जैसी बीमारियों के कारण भी कई अभागे अपनी आंखें गवां बैठते हैं। रवि गोयल ने कहा की गांव से लेकर शिक्षित समाज में आज भी नेत्र दान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं कि, आंखें दान कर देने से अगले जन्म में अंधे पैदा होंगे, नेत्रदान से शरीर खराब हो जाता है। तो इन्हें दूर करने का प्रयास करें क्योंकि इनमें किसी भी तरह की सच्चाई नहीं। मरने के बाद नेत्रबैंक के व्यक्ति मृतक के चेहरे को बिना बिगाड़े आसानी से आंखों को निकाल लेते हैं। उन्होंने कहा की आज से 8 साल पहले वो खुद नेत्र दान का संकल्प ले चुके है उन्होंने कहा की कौन नहीं कर सकता नेत्रदान जैसे कई सारे गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकते हैं। जैसे- एड्स, हैपेटैटिस, पीलिया, ब्लड केन्सर, रेबीज (कुत्ते का काटा), सेप्टीसिमिया, गैंगरीन, ब्रेन टयूमर, आंख के आगे की काली पुतली (कार्निया) की ख़राबी हो, अथवा ज़हर आदि से मृत्यु हुई हो या इसी प्रकार के दूसरे संक्रामक रोग हों, तो इन्हें नेत्रदान की मनाही होती है
कौन कर सकता है नेत्रदान
चश्मा पहनने वाले, मधुमेह (डायबिटीज़), अस्थमा, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और अन्य शारीरिक विकारों जैसे सांस फूलना, हृदय रोग, क्षय रोग आदि के रोगी नेत्र दान कर सकते हैं। इसके अलावा मोतियाबिंद, कालापानी या आंखों का आपरेशन करवाने वाले व्यक्ति भी आसानी से नेत्रदान कर सकते हैं।
प्रोग्राम में बताया की नेत्रदान का पूरा प्रोसेस आसान होने के साथ मात्र 15-20 मिनट में पूरी भी हो जाता है। लेकिन इस संकल्प को घर के जिम्मेदार लोग ही पूरा करा सकते है प्रोग्राम में ज्यादातर महिलाओं को नेत्र दान के बारे में कोई जानकारी नहीं थी आज उनको पूरी जानकारी के साथ 11 महिलाओ ने नेत्र दान का संकल्प लिया। पोर्ग्राम में आगनवाड़ी कार्यकर्ता नीता श्रीवास्तव एवम समुदाय की महिलाओ ने भाग लिया।
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