* जागरूकता कार्यक्रम भी हुआ आयोजित
शिवपुरी। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और मानव जीवनशैली के लिए इनके गलत उपयोग से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। दूषित पर्यावरण उन घटकों को प्रभावित करता है, जो जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं। ऐसे में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने, प्रकृति और पर्यावरण का महत्व समझाने के उद्देश्य से हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं। इसी उद्देश्य को लेकर महिला बाल विकास विभाग शिवपुरी एवम शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा संयुक्त रूप से सहजन का पौधारोपण सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन ग्राम कोटा के आगनवाड़ी केंद्र पर एक सेकड़ा महिलाओ एवम किशोरी बालिकाओं को जागरूक करके किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देवेंद्र कुमार सुंदरियाल डीपीओ महिला बाल विकास ने कहा की
पर्यावरण का अर्थ संपूर्ण प्राकृतिक परिवेश से है जिसमें हम रहते हैं। इसमें हमारे चारों ओर के सभी जीवित और निर्जीव तत्व शामिल होते हैं, जैसे कि हवा, पानी, मिट्टी, पेड़-पौधे, जानवर और अन्य जीव-जंतु। पर्यावरण के घटक परस्पर एक-दूसरे के साथ जुड़कर एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में कम से कम 10 पौधे अवश्य लगाना चाहिए अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने बताया कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और मानव जीवनशैली के लिए इनके गलत उपयोग से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। दूषित पर्यावरण उन घटकों को प्रभावित करता है, जो जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं। ऐसे में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने, प्रकृति और पर्यावरण का महत्व समझाने के उद्देश्य से हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं। प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व पर्यावरण दिवस जून माह में मनाते हैं। इस खास दिन को मनाने की एक तारीख निर्धारित है। भारत समेत दुनियाभर में 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर विभिन्न देश अलग अलग तरीके से पर्यावरण को लेकर अपने नागरिकों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। संस्था ने आज नव पीढ़ी को पर्यावरण के संरक्षण को लेकर जागरूक किया इस अवसर पर परियोजना अधिकारी केशव गोयल ने कहा की पर्यावरण दिवस मनाने की नींव 1972 में पड़ी, जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहला पर्यावरण दिवस मनाया है और हर साल इस दिन को मनाने का एलान किया। दरअसल, पहला पर्यावरण सम्मेलन 5 जून 1972 को मनाया गया था, जिसमें 119 देशों ने भाग लिया था। स्वीडन की राजधानी स्टाॅकहोम में सम्मेलन हुआ। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव पर्यावरण पर स्टाॅकहोम सम्मेलन के पहले दिन को चिन्हित करते हुए 5 जून को पर्यावरण दिवस के तौर पर नामित कर लिया। कार्यक्रम में सरपंच श्रीमती अनसुइया आदिवासी सरपंच ने कहा की पर्यावरण को बचाने के लिए 5 जून के दिवस का विशेष महत्व है ।भारत समेत पूरे विश्व में प्रदूषण तेजी से फैल रहा है। बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रकृति खतरे में हैं। प्रकृति जीवन जीने के लिए किसी भी जीव को हर जरूरी चीज उपलब्ध कराती है। ऐसे में अगर प्रकृति प्रभावित होगी तो जीवन प्रभावित होगा। प्रकृति को प्रदूषण से बचाने के उद्देश्य से पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत हुई। किशोरी बालिकाओं में से खुशी धाकड़ ने कहा की इस दिन लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाता है और प्रकृति को प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रेरित किया जाता है। श्रद्धा जादौन ने कहा कि प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की एक खास थीम होती है। पिछले साल यानी विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर आधारित है। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम थीम का फोकस 'हमारी भूमि' नारे के तहत भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे पर केंद्रित है। प्रोग्राम में मुख्य अतिथि एवम सरपंच ने सयुक्त रूप से सहजन के पौधे रोपित किए इसकी जिम्मेदारी गांव की किशोरी बालिकाओं में से खुशी धाकड ने ली। एक किशोरी शिवानी ने इस अवसर पर एक कविता नाचे मोर, कोयल गाएं, आओ पर्यावरण बचाएं
दूषित नहीं करना जल, बर्बाद हो जाएगा कल को गाकर सुनाया।
इस अवसर पर्यवेक्षक जय देवी रावत, आशा धाकड़ ,गायत्री दुबे कार्यकर्ता ,संदीप कौर अनीता आदिवासी सहायका
रश्मि आदिवासी सुपोषण सखी
के साथ किशोरी बालिकाओं में
ममता आदिवासी बती आदिवासी सरस्वती आदिवासी प्रेम आदिवासी बसंती ममता आदिवासी खुशी आदिवासी के साथ शक्ति शाली महिला संगठन की पूरी पर्यावरण प्रेमी टीम ने भाग लिया। अंत में नैंसी आदिवासी ने पर्यावरण है हम सबकी जान, इसलिए रखो इसका ध्यान, तो पर्यावरण को स्वच्छ बनाना है, प्लास्टिक को बंद करवाना है। कहकर कार्यक्रम का समापन किया।

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