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धमाका_खास_खबर: New Laws: एक जुलाई से लागू हो रहा नया कानून, धारा-302 नहीं, अब 101 के तहत जेल जाएंगे हत्या के आरोपी…बदले कई नियम, पढ़िए पूरी खबर

रविवार, 30 जून 2024

/ by Vipin Shukla Mama
Delhi दिल्ली। आज 30 जून रात बारह बजे के बाद यानी एक जुलाई की शुरुआत के साथ देश में नया कानून लागू होने जा रहा है। रात बारह बजे के बाद जो भी आपराधिक घटनाएं होंगी, उनमें नए कानून के अनुसार प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू हो गई है। रविवार सोमवार रात 12 बजे से तीनों नए कानून लागू हो गए जिसके बाद जिले के सभी थानों में बीएनएस की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज होगी। वहीं पुलिस की ओर से नई धाराओं के व्यापक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया जा रहा है। नए कानून में वैसे तो बहुत बदलाव हुए हैं, लेकिन 3 नए आपराधिक कानून भी लागू होने जा रहे है। तीन नए आपराधिक कानूनों में पहला भारतीय न्याय संहिता बीएनएस 2023, दूसरा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, बीएनएसएस 2023 और तीसरा भारतीय साक्ष्य अधिनियम, बीएसएस 2023 शामिल है। नए कानून के तहत अब धोखाधड़ी की धारा 420 के बदले 316 और हत्या की धारा को 302 के बदले 101 से जाना जाएगा। बीएनएस में छेड़खानी की धारा 74 और धोखाधड़ी की धारा 318, 319 होगी।नए कानून में अब धारा 68, 69 के तहत पहचान छिपाकर शादी करना या शादी का झूठा वादा कर यौन कृत्य करने को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
धारा-70 के तहत सभी प्रकार के सामूहिक दुष्कर्म के लिए 20 वर्ष या आजीवन कारावास का प्रावधान है। धारा-89 के तहत महिला की सहमति के बिना गर्भपात कराने पर आजीवन कारावास से दंडित किए जाने का प्रावधान है। 
खास बात यह भी है कि संगीन अपराधों में सत्र परीक्षण के दौरान आरोपी डरा-धमकाकर व लालच आदि के दम पर समझौते कर लेते हैं और फिर पीड़ित व गवाह मुकर जाते हैं, अब यह आसान नहीं होगा। अब पुलिस के लिए विवेचना में घटनास्थल पर पहुंचने से लेकर हर कदम पर वीडियो रिकार्डिंग व वैज्ञानिक साक्ष्य संकलित करने की बाध्यता है और अदालत में ट्रायल के दौरान मजबूत साक्ष्य होंगे।
1 जुलाई 2024 से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) होगी। आईपीसी में 511 धाराएं थी लेकिन भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होंगी। धाराओं का क्रम बदला गया है। सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कहलाएगी। सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं। नए कानून में अब इसमें 531 धाराएं होंगी। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के नाम से जाना जाएगा। पुराने अधिनियम में 167 प्रावधान थे। नए में 170 प्रावधान हो गए हैं। इनमें डिजिटल साक्ष्यों का महत्व बढ़ाया गया है।
विवेचना में वीडियो साक्ष्य बेहद जरूरी
पुलिस अब तक घटनास्थल पर पहुंचकर साक्ष्य संकलन व पब्लिक के किसी भी गवाह के बयान अपने अनुसार लिख लेती थी। मगर अब सब कुछ वीडियो कैमरे की निगरानी में होगा। इससे अदालत में इन साक्ष्यों को झुठलाया नहीं जा सकेगा और न ही उनमें किसी तरह का हेरफेर किया जा सकेगा।
एक जुलाई से दर्ज मुकदमों का ट्रायल नए कानून से
नए कानून के अनुसार जो मुकदमे दर्ज होंगे, उनका ट्रायल भी नए कानून से होगा। जो मुकदमे 30 जून की रात 12 बजे के पहले पुराने कानून से दर्ज होंगे। उनका ट्रायल पुराने कानून से ही होगा। 
अब गवाह को ऑनलाइन समन-गवाही की सहूलियत
नए कानून में सबसे अधिक सुविधा गवाह व वादी को दी गई है। अगर गवाह को सूचना नहीं मिल पा रही है तो वह व्हाट्सएप पर मिलने वाले समन व वारंट को भी प्राप्त होना माना जाएगा। अगर वह नहीं आ पा रहा है तो जिस जिले में मौजूद है, वहां के न्यायालय के वीडियो कान्फ्रेसिंग सेंटर से ऑनलाइन गवाही दे सकता है। 
नए कानून में काफी कुछ बदलाव हुए हैं। इनमें सबसे खास बात यही है कि नए कानून के अनुसार नए मुकदमों का ट्रायल चलेगा, जबकि पुराने मुकदमों में पुराने कानून से ट्रायल चलेगा।
ये हैं खास तथ्य
-दुष्कर्म में पीड़ित की मृत्यु व अपंगता पर मृत्युदंड की सजा होगी।
-पहले से हत्या में सजायाफ्ता को दूसरी हत्या में उम्रकैद या मृत्युदंड।
-दुष्कर्म-छेड़खानी पीड़िता के बयान महिला मजिस्ट्रेट ही दर्ज करेंगी।
-महिला मजिस्ट्रेट न होने पर किसी महिला कर्मी की मौजूदगी जरूरी।
-अब किसी भी घटनास्थल का मुकदमा किसी भी थाने में दर्ज हो सकेगा।
-ऑनलाइन-व्हाट्सएप के जरिये भेजी तहरीर पर दर्ज करनी होगी रिपोर्ट।
-महिला और बाल अपराध में दो माह में करनी होगी विवेचना पूर्ण।
-अब जेल जाने के 40 दिन के अंदर पीसीआर लेने की सुविधा तय।
-गवाह या वादी को व्हाट्सएप पर ही समन-वारंट भेजा जाना मान्य।
-हर घटना की जांच में वीडियो फुटेज-वैज्ञानिक साक्ष्य पहले दिन से करने होंगे। तैयार, केस डायरी में भी होंगे शामिल।
-घटनास्थल, बरामदगी, पब्लिक की गवाही, वादी की गवाही, पीसीआर पर बरामदगी के बनाने होंगे वीडियो फुटेज।
धाराओं में ये होगा बदलाव
महिला संबंधी अपराध 
आईपीसी-बीएनएस
354-74
354ए-75
354बी-76
354सी-77
354डी-78
509-79
चोरी संबंधी अपराध
आईपीसी-बीएनएस
379-303(2)
411-317(2)
457-331(4)
380-305
लूट संबंधी अपराध
आईपीसी-बीएनएस
392-309(4)
393-309(5)
394-309(6)
हत्या-आत्महत्या संबंधी अपराध
आईपीसी-बीएनएस
302-103(1)
304(बी)-80(2)
306-108
307-109
304-105
308-110
धोखाधड़़ी संबंधी अपराध
आईपीसी-बीएनएस
419-319(2)
420-318(4)
466-337
467-338
468-336(3)
471-340(2)
नोट- भारतीय दंड संहिता (आईपीसी)-भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 
एक जुलाई से प्रभावी हो जाएंगे ये नए अधिनियम
बताया दें कि भारतीय दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंट एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से प्रभावी हो जाएंगे। नई धाराओं के बारे में आम लोगों को भी पता चल सके, इसके लिए सोमवार को सभी थानों पर कार्यशाला का आयोजन किया गया है।

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