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#धमाका_धर्म: जलहरी निर्माण कार्य के लिए 12 जुलाई से 16 जुलाई तक अचलेश्वर मंदिर पूर्णतः बंद

शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

/ by Vipin Shukla Mama
Gwalior ग्वालियर। देश भर में ख्यातिनाम ग्वालियर स्थित भगवान शिवजी का अचलेश्वर महादेव मंदिर कुछ ही दिनों में अत्यंत भव्य रूप में दिखाई देगा। इसी क्रम में जारी जीर्णोधार के लिए जलहरी निर्माण कार्य हेतु दिनाक 12 जुलाई से 16 जुलाई तक अचलेश्वर मंदिर पूर्णतः बंद रखे जाने का निर्णय श्री अचलेश्वर न्यास ने लिया हैं और भक्तों को परेशानी न हो इसके लिए सूचना पटल पर उल्लेखित की गई हैं। 
अचलेश्वर मंदिर पर चांदी की जलहरी का लोकार्पण 15 जुलाई को किया जाएगा।
जलहरी लगाने का काम बनारस के कुशल कारीगर द्वारा रिटायर्ड जस्टिस श्री ए के मोदी निर्देशन में सोना चांदी कारोबारी रमेश चंद्र गोयल( लल्ला) के सुपरविजन में आज रात की 10 के बाद किया जाएगा। इस दौरान मंदिर बंद रहेगा, चांदी की गिलहरी का वजन लगभग 37 किलोग्राम है।
क्या होता हैं जलहरी का अर्थ
शिवलिंग के जिस स्थान से जल प्रवाहित होता है, उसे जलहरी कहते है। धर्मशास्त्रों के अनुसार शिवलिंग के ऊपरी हिस्से को भगवान शिव और निचले हिस्से को माता पार्वती का प्रतीक माना जाता है। मान्यता के अनुसार शिवलिंग को ऊर्जा का प्रवाह माना जाता है। इसे जलधरी, शिवलिंग स्थापित करने का पात्र, धातु,पत्थर आदि का बना हुआ वह आधान जिसके बीच में शिंवलिंग स्थापित किया जाता है और जो तीन ओर से गोलाकार होता है औ एक ओर से लंबोतरा अर्घा, जलहल, जल से भरा हुआ, जलमय, जलाशय, सागर भी कहते हैं।
शिव-शक्ति की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक है शिवलिंग
इसका धार्मिक कारण है कि शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग पर लगातार जल चढ़ाया जाता है। इस जल को अत्यंत पवित्र माना गया है। ये जल जिस मार्ग से निकलता है, उसे निर्मली, सोमसूत्र और जलाधारी कहा जाता है। (जानकारी का आधार गूगल पर उपलब्ध जानकारों के अनुसार)












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