लगातार तीसरे साल कैपिटल बजट यानी, हथियारों की खरीद और सेना के मॉडर्नाइजेशन पर होने वाले खर्च में कटौती की गई है। डिफेंस बजट का 67.7% हिस्सा रेवेन्यू और पेंशन बजट को मिला है, जिसका ज्यादातर हिस्सा सैलरी-पेंशन बांटने में खर्च होता है।
इस बार डिफेंस को कुल बजट का 12.9% हिस्सा मिला है। पिछले साल यह हिस्सा करीब 13% था। 14,717 शब्दों के भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2 बार डिफेंस का जिक्र किया, लेकिन अग्निवीर का नाम नहीं लिया।
डिफेंस बजट के 4 पार्ट
1. रेवेन्यू बजट : सैलरी बांटने के लिए बजट का 45%
रेवेन्यू बजट का सबसे बड़ा हिस्सा तीनों सेनाओं में सैलरी बांटने में खर्च होता है। इसमें अग्निवीरों की सैलरी भी शामिल है। इसके अलावा एक्स सर्विसमैन की हेल्थ स्कीम्स, मेंटेनेंस और रिपेयरिंग का खर्च भी रेवेन्यू बजट में शामिल होता है।
इस साल रेवेन्यू बजट 2.82 लाख करोड़ रुपए है, जो कुल डिफेंस बजट का 45% है। पिछले साल के मुकाबले 12652 करोड़ रुपए यानी, महज 4.6% का इजाफा हुआ है।
2023 में रेवेन्यू बजट 2.7 लाख करोड़ था। और खर्च 2.98 लाख करोड़ रुपए हुआ यानी, बजट से करीब 28 हजार करोड़ रुपए ज्यादा।
2023 में 2022 के मुकाबले रेवेन्यू बजट में 38 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई थी।
2. कैपिटल बजट : हथियार खरीदने के लिए 27.6% बजट
कैपिटल बजट सेना का सबसे अहम पार्ट होता है। इसका ज्यादातर हिस्सा तीनों सेनाओं के मॉडर्नाइजेशन, फाइटर प्लेन, हथियारों की खरीद और सेना को मजबूत बनाने में खर्च होता है।
वित्त मंत्री ने कैपिटल बजट में 1.72 लाख करोड़ रुपए अलॉट किए हैं, जो कुल बजट का 27.6% है। इस बार, पिछले साल के मुकाबले करीब 9400 करोड़ रुपए यानी 5.7% का इजाफा हुआ है।
2023 में सरकार ने कैपिटल बजट में 6.5% की बढ़ोतरी की थी। जबकि, 2022 में कैपिटल बजट में 12% का इजाफा हुआ था। यानी, लगातार तीसरे साल कैपिटल बजट में कटौती की गई है।
3. पेंशन बजट : सिर्फ 3 हजार करोड़ का इजाफा
पेंशन बजट में तीनों सेनाओं के रिटायर्ड सैनिकों की पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट्स शामिल होता है।
पेंशन के लिए 1.41 लाख करोड़ रुपए मिले हैं, जो कुल डिफेंस बजट का 22.7% है। पिछले साल यह आंकड़ा 1.38 लाख करोड़ रुपए था। यानी, पेंशन बजट में सिर्फ 3 हजार करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है।
देश में तीनों सेनाओं को मिलाकर रिटायर्ड सैनिकों की संख्या करीब 26 लाख है।
4. रक्षा मंत्रालय (सिविल) बजट : 2951 हजार करोड़ रुपए का इजाफा
सरहदी इलाकों में सड़क बनाना, कोस्ट गार्ड, जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री, सेना की कैंटीन और हाउसिंग एक्सपेंडिचर जैसे खर्च इसमें
शामिल होते हैं। यह डिफेंस बजट का सबसे छोटा पार्ट होता है।
इस साल रक्षा मंत्रालय को 25563 करोड़ रुपए मिले हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 2951 करोड़ रुपए ज्यादा है।
बजट की बड़ी बात : 67.7% हिस्सा सैलरी-पेंशन बांटने पर खर्च
• तीनों सेनाओं को सैलरी बांटने के लिए 2.82 लाख करोड़ रुपए मिले हैं, जो कुल बजट का 45% है।
• पेंशन के लिए 1.41 लाख करोड़ रुपए मिले हैं, जो कुल बजट का 22.7% है।
• सैलरी और पेंशन के हिस्से को जोड़ दिया जाए, तो कुल डिफेंस बजट का 67.7% है।
• पिछले साल भी सैलरी-पेंशन बांटने पर 70% खर्च हुआ था।
तीनों सेनाओं में सैलरी-पेंशन बांटने के लिए सबसे ज्यादा आर्मी को बजट मिला है। हालांकि, इस बार के बजट में तीनों सेनाओं को हथियार खरीदने के लिए कितना दिया गया है, इसका जिक्र बजट डॉक्यूमेंट में नहीं है।
अग्निपथ स्कीम में सैलरी बांटने के लिए 40% ज्यादा बजट मिला
अग्निपथ स्कीम में इस साल आर्मी को सैलरी बांटने के लिए 5207 करोड़, नेवी को 352 करोड़ और एयरफोर्स को 42 करोड़ रुपए मिले हैं। यानी, कुल 5979 करोड़ रुपए। फरवरी में पेश हुए अंतरिम बजट में भी ये आंकड़ा जस का तस था।
2023 में अग्निपथ स्कीम में आर्मी को सैलरी बांटने के लिए 3800 करोड़, नेवी को 300 करोड़ और एयरफोर्स को 166 करोड़ रुपए मिले थे। यानी, कुल 4266 करोड़ रुपए।
इस तरह पिछले एक साल में अग्रिपथ स्कीम में सैलरी बांटने के लिए 5979 करोड़-4266 करोड़ = 1713 करोड़ रुपए। यानी 2023 के मुकाबले 40% ज्यादा बजट मिला है।
UPA सरकार में 162% तो NDA सरकार में
184% बढ़ा डिफेंस बजट
मनमोहन सिंह ने 2004 में जब पहला बजट पेश किया, तब डिफेंस को 77 हजार करोड़ रुपए मिले थे। 2013 में मनमोहन सिंह ने आखिरी बजट पेश किया, तब डिफेंस बजट 2.03 लाख करोड़ रुपए था। यानी, 10 साल में 163% का इजाफा और एवरेज ग्रोथ रेट 16.3%1
नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब पहला बजट पेश किया, तब डिफेंस को 2.18 लाख करोड़ रुपए मिले थे। अब डिफेंस बजट 6.21 लाख करोड़ रुपए है। यानी, 11 साल में 184% की बढ़ोतरी और ग्रोथ रेट 16.72%। यानी, UPA के मुकाबले 0.4% ज्यादा।
UPA के मुकाबले NDA सरकार में सेना की मजबूती पर 10% कम खर्च
UPA और NDA के आखिरी पांच-पांच साल के डिफेंस बजट की तुलना करने पर पता चलता है कि मनमोहन सरकार ने मोदी सरकार के मुकाबले सेना की मजबूती पर ज्यादा फोकस किया।
2010 से 2014 के बीच कुल डिफेंस बजट का औसतन 49.6% सैलरी और पेंशन के लिए अलॉट किया गया था। जबकि हथियारों की खरीद और सेना के मॉडर्नाइजेशन के लिए औसतन 34.4% बजट मिला।
वहीं, मोदी के कार्यकाल में 2018 से 2023 के बीच सैलरी-पेंशन के लिए औसतन 60.2% और सेना के मॉडर्नाइजेशन और हथियारों की खरीद के लिए औसतन 24% बजट मिला। (साभार)

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