शिवपुरी। सिंहनिवास स्थित ताल वाले बड़े हनुमान जी के मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत पुराण कथा के दौरान आज छठवें दिन कथा व्यास बालयोगी पं वासुदेव नंदिनी भार्गव ने आध्यात्मिक ढंग से भगवान श्री कृष्ण के रास पर प्रवचन किया।उन्होंने कहा कि रास को हर कोई साधारण व्यक्ति नहीं देख सुन सकता ।
जिसके ऊपर श्री कृष्ण की कृपा होती है वो ही रास देख सुन सकता है। शरद पूर्णिमा के दिन ही कृष्ण ने रास रचाया क्योंकि शरद पूर्णिमा के ही दिन योगीजागते हैं। इसलिए हमको भी शरद पूर्णिमा की रात जागकर श्री कृष्ण का भजन करना चाहिए।
मनुष्य को ईश्वर से प्रेम करना चाहिए, हालांकि प्रेम हर कोई करना जानता है लेकिन भगवान ही सिर्फ प्रेम को निभाना जानते है। गोपियों के प्रेम के वशीभूत ही भगवान गोपियों से शास्त्रार्थ मैं हार गये, हालांकि कृष्ण के हारते ही गोपियों को अहंकार हो गया तो कन्हैया भी तुरंत अंतर्ध्यान हो गये क्योंकि 'अहंकार आते ही भगवान अंतर्ध्यान हो जाते हैं '
जहां कृष्ण साथ होते हैं वहां ही वल होता है,विना कृष्ण के अर्जुन भी वल हीन हो गये थे,और यहां गोपियां भी विना कृष्ण के अवला (वल हीन) हो गई थीं।
भगवान शिव भी गोपियों के भेष में, कृष्ण प्रेम के वशीभूत ही रास देखने पहुंचे।

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