1. इस व्यवस्था पर पुनर्विचार किया जाए क्योंकि 2007 से पहले आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, तदर्थ समिति के माध्यम से पोषण आहार बनाकर बच्चों को खिलाती थी तब कार्यकर्ताओं पर सेक्टर सुपरवाइजरों तथा सीडीपीओ के माध्यम से इस योजना में फर्जीबाडा करने के आरोप खूब लगते थे, जिससे कुपोषण भी चरम पर पहुंच गया था। 2007 के बाद महिला स्व सहायता समूहों को जब से पोषण आहार की व्यवस्था सोपी है तब से मध्य प्रदेश में कुपोषण ग्राफ तेजी से गिरा है।
2. आंगनबाड़ियों पर कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं से पोषण आहार बनाने, खिलाने की जिम्मेदारी देने से आईसीडीएस की वह गतिविधियां प्रभावित होगी जिसकी उम्मीद सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से लगाए हुए हैं।
3. अगर गरीब बी.पी.एल. कार्डधारी महिला स्व सहायता समूहों से आंगनबाड़ी के पोषण आहार का काम छीना गया तो लाखों की संख्या में मध्य प्रदेश में महिला स्व सहायता समूह से जुडे परिवार बेरोजगार हो जाएंगे, जिससे सरकार की छवि महिला विरोधी और प्रदेश की जनता को बेरोजगारी में धकेलने वाली बन जाएगी।
4. अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा लिए गए महिला विरोधी निर्णय पर रोक लगाई जाकर यथावत रखे जाने की कृपा करें।
नोटः- अगर निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो पूरे प्रदेश में प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ से जुड़ी 12 लाख महिलाएं समूह संघ के बैनर तले महा हड़ताल पर बैठगी व मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगी। जिसकी संपूर्ण जबाबदेही मध्य प्रदेश शासन की होगी।

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