शिवपुरी। ये बात सच हैं की जिले भर में गरीब आदिवासियों को जनमन आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध कराए जा रहे है। कलेक्टर रवींद्र कुमार खुद जिला पंचायत सीईओ उमराव मरावी के साथ इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। लेकिन जिले की पोहरी जनपद की ग्राम पंचायत गुरिच्छा के ग्रामीणों की मानें तो उनके इलाके में अब तक किसी भी आदिवासी को जनमन आवास नहीं मिला है। इसी बात की शिकायत लेकर आज आदिवासी कलेक्टर के पास पहुंचे। ग्रामीणों ने जल्द से जल्द आवास उपलब्ध कराने की मांग की है। ग्रामीणों ने मीडिया को बताया कि ग्राम पंचायत गुरिच्छा के सरपंच और सचिव के बीच किसी बात को लेकर विवाद चल रहा है। इसके चलते कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद भी आदिवासी परिवारों को एक भी जनमन आवास उपलब्ध नही हो पाया है।कलेक्टर के पास शिकायत लेकर पहुंचे ग्राम पंचायत गुरिच्छा के आदिवासियों ने बताया कि पंचायत में जनमन आवास का सर्वे पूरा हो चुका है परंतु पिछले 7 महीना में किसी भी आदिवासी को प्रधानमंत्री जन मन आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। जबकि ग्राम पंचायत गुरिच्छा के रोजगार सहायक महेंद्र सिंह तोमर एवं पीसीओ आरके चौधरी के द्वारा छूटे हुए परिवारों का सर्वे पूर्ण कर लिया गया है। सर्वे के उपरांत सभी के आधार कार्ड एवं बैंक का खाता फीड कर डाटा अपलोड कर दिया गया है। परंतु जनपद पंचायत पोहरी के प्रधानमंत्री आवास योजना के बीसी वीपेन्द्र यादव के द्वारा जानबूझकर हमारे खातों में पैसे नहीं डाले जा रहे हैं। हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है। इसी के चलते आज पंचायत के सभी आदिवासी पीएम जन मनआवास योजना का लाभ दिलाने जाने की मांग को लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे हैं और कहा कि हमारे दो दिवस के अंदर में मांग पूरी नहीं हुई तो हम श्रीमंत महाराज ज्योतिराज सिंधिया जी एवं पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री को अपनी शिकायत रखेंगे।
ये बोले रोजगार सहायक
इस मामले रोजगार सहायक ग्राम पंचायत गुरीक्छा महेन्द्र सिंह तोमर का कहना हैं कि हमारे यहां 121 पीएम जन मन के आवासों की पूरी ऑनलाइन प्रक्रिया कर जनपद को भेज दी है, अब जनपद से लगातार संपर्क मैं परंतु हमारे वीसी सर दीपेंद्र यादव के द्वारा ₹12000 पर हितग्राही के हिसाब से मांग की जा रही है परंतु मैं गरीब व्यक्तियों से पैसे नहीं ले सकता। उस वजह से भुगतान नहीं हो पा रहा है।
ये बोले सीईओ पोहरी
सीईओ जनपद पंचायत पोहरी शैलेन्द्र आदिवासी का कहना हैं कि यह मामला आज ही मेरे सामने आया है, इसमें सरपंच और सचिव की लड़ाई के चलते कोई भी सामने आने तैयार नहीं है, फिर भी मामला आदिवासीयों का है तो में आज ही इसे दिखवा लेता हूं क्या दिक्कत आ रही है कि इनका भुगतान क्यों नहीं हो पा रहा।

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