शिवपुरी। सनातन धर्म मण्डल, कैला माता जागरण समिति शिवपुरी एवं समस्त भक्तजन कैला माता दरबार, श्री कैला माता मन्दिर तात्या टोपे के सामने, राजेश्वरी रोड, शिवपुरी पर संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन(कथा व्यास बाल योगी पं. वासुदेव नदिनी भार्गव)
किया जा रहा हैं। इस क्रम में आज बुधवार को नगर के विभिन्न मार्गो से होकर कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें सभी भक्त जनों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। आयोजनमंडल के जीतू गौड ने बताया की माँ राज राजेश्वरी कैला मैया की असीम अनुकम्पा से प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रावण मास में संगीतमय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का शुभ आयोजन किया जा रहा है। कथा व्यास बाल योगी पं. वासुदेव नदिनी भार्गव जी शिवपुरी के श्रीमुख द्वारा कथा प्रसंग का वर्णन नित्य प्रति किया जायेगा।31 जुलाई से 7 अगस्त को हवन पूजन, कन्या पूजन होगा। इस पावन अवसर पर आप सभीभक्तजनों से विनम्र निवेदन है कि इस अमृतमयी कथा का श्रवण कर अक्षय पुण्यार्जन करें।
किया जा रहा हैं। इस क्रम में आज बुधवार को नगर के विभिन्न मार्गो से होकर कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें सभी भक्त जनों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। आयोजनमंडल के जीतू गौड ने बताया की माँ राज राजेश्वरी कैला मैया की असीम अनुकम्पा से प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रावण मास में संगीतमय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का शुभ आयोजन किया जा रहा है। कथा व्यास बाल योगी पं. वासुदेव नदिनी भार्गव जी शिवपुरी के श्रीमुख द्वारा कथा प्रसंग का वर्णन नित्य प्रति किया जायेगा।31 जुलाई से 7 अगस्त को हवन पूजन, कन्या पूजन होगा। इस पावन अवसर पर आप सभीभक्तजनों से विनम्र निवेदन है कि इस अमृतमयी कथा का श्रवण कर अक्षय पुण्यार्जन करें।
कार्यक्रम इस प्रकार होंगे
31 जुलाई श्री गणेश पूजन, कलश यात्रा, कथा प्रारंभ
1 अगस्त को सुखदेव परीक्षित मिलन, बराह अवतार एवम वामन अवतार।
2 अगस्त को भरत चरित्र, ध्रुव चरित्र।
4 अगस्त को श्रीकृष्ण बाल लीला एवम गोवर्धन पूजा।
5 अगस्त को रामलीला एवम रूक्मणी विवाह।
7 अगस्त को हवन, पूजन, शांति, पूर्णाहुति, कन्या पूजन, प्रसादी।
भागवत भगवान् की शब्दमयी मूर्ति है
आज पृथम दिवस विशाल कलश यात्रा के वाद मैं, श्री मद्भागवत पुराण की महिमा का वाचन किया।
कथा वाचक बालयोगी पं वासुदेव नंदिनी भार्गव ने कथा के महत्व का वर्णन करते हुये कहा कि खुद को भुला कर सिर्फ कृष्ण को याद रखा जाये यही कथा है।कथा सुनना,दुर्लभ है,इसके लिए कोई समय की पाबंदी नहीं।यह खुशी की वात है कि श्रावण माष में एकादशी के दिन शुरू यह कथा का शुभारंभ हुआ है।

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