""फ़तह की सोंने की लंका भी राम ने लेकिन
वहां से कोई एक कंकरी नहीं लाए
लिया माँ सीते के अपमान का हर इक बदला
मगर किसी की वो मंदोदरी नहीं लाए""
देश में चल रही गंदी ज़ातीय राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कहा-
""हैं सांझी बेटियां हम सबकी सियासतदानो
सियासी पहलू से हर बात नहीं होती है
दलित की बेटी हो या बेटी हो बिरहमन की
कि बेटियों की कोई ज़ात नहीं होती है""
इस अखिल भारतीय कवि समागम में सुकून शिवपुरी के अलावा देश के विभिन्न पांच प्रांतों से आए 30 से भी अधिक कवि व कवियत्रियों ने काव्य पाठ किया । जिनमें दिनेश याज्ञनिक रायसेन, संतोष शर्मा सागर विदिशा, रचना शास्त्री बिजनौर, विनोद सनोडिया अमरवाड़ा, सत्य प्रकाश ताम्रकार झांसी, शीतल देवयानी इंदौर, अखिलेश शांडिल्य ललितपुर, लता स्वरांजलि भोपाल, डाॅ0 वीणा सिंह रागी भिलाई, मंजू कटारे ललितपुर, डाॅ0 रानू रूही जबलपुर, कौशल सक्सैना देवनगर व कॄष्ण कांत मूंदड़ा विदिशा प्रमुख थे ।
इस अवसर पर सुकून शिवपुरी को श्रेष्ठ रचना पाठ करने के लिए सम्मान पत्र दे कर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन कौशल सक्सेना व संतोष शर्मा सागर ने किया। वरिष्ठ साहित्यकार हंस राय जी ने सभी का आभार व्यक्त किया ।

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