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#धमाका_बड़ी_खबर: CM मोहन यादव जी, शिवपुरी जिले की यात्री बसों में इंसान कर रहे भेड़, बकरियों की तरह सफर, पशु परिवहन पर रोक के साथ इन बेदर्द यात्री बस मालिकों का तो कीजिए कोर्ट मार्शल

मंगलवार, 2 जुलाई 2024

/ by Vipin Shukla Mama
*बेखौफ हर दिन फोरलेन पर ओवर लोड दौड़ रही यात्री बस
*5 जून को इसी पीतांबरा बस का इसी तरह की हालत का वीडियो सहित प्रकाशित किया था समाचार
*उमस, गर्मी के बीच AC बंद कर दौड़ाते बसे 
*गुना से शिवपुरी का किराया 150 से0170 रहे वसूल
*इस तरह की भीड़ में हुआ हादसा तो क्या होगा
*यात्रियों को आपके सुशासन से उम्मीद जागी
Shivpuri शिवपुरी। जिले में यात्री परिवहन की स्थिति बद से बदतर होती जा रही हैं। यात्रियों को इंसान की तरह नहीं बल्कि भेड़ बकरियों की तरह सफर कराया जा रहा हैं। बसों को एसी के नाम पर संचालित कर अधिक किराया वसूलकर बंद एसी में यात्रा के लिए मजबूर किया जा रहा हैं। हालत ये हैं की इन बेदर्द बस मालिकों को जिला प्रशासन या सरकार का कतई खोफ नहीं हैं। इसका उदाहरण हमारे पास मोजूद हैं। हमने बीती 5 जून 2024 को ही गुना से शिवपुरी शाम 7.30 बजे चलने वाली पीतांबरा बस के अंदर यात्रियों की बुरी हालत का वीडियो सहित समाचार
 प्रकाशित किया था। प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव जी को खबर टैग की थी। आशा थी की हालात बदलेंगे और इन मनमानी करने वाले बस मालिकों पर कारवाई होगी लेकिन अफसोस कोई कारवाई नहीं हुई हैं। हमने आज 2 जुलाई को फिर उसी बस की क्रोस चेक खबर तैयार की तो ऐसा लगा जैसे 5 जून वाली बस अभी तक शिवपुरी आई ही नहीं रास्ते में हैं यानी की ठीक उसी तरह यात्री बस में ठूंस ठूंस कर भरे थे जिस तरह पिछले महीने भरे हुए थे।
       (देखिए बोलती तस्वीर लिए VIDEO) 
CM साहब आप आम इंसान का दर्द समझ सकते हैं की वह इतनी महंगाई में मुंह मांगा किराया देकर जानवरो की तरह सफर करने पर मजबूर हैं। प्रदेश के अधिकांश जिलों में निजी बसों की यही तस्वीर सामने हैं। आपने प्रदेश की बागडोर संभालकर अनेक ठोस कदम उठाए हैं लेकिन इस यात्री परिवहन सेवा का भी कुछ कीजिए। निजी हाथों में दी गई सेवाओं के नतीजे प्रदेश को और लोगों को रसातल में ले जा रहे हैं। ठीक इसी तरह आउट   सोर्स जैसी सेवाओं से युवा बरवाद हो रहे हैं। शिवपुरी में ही ठेके के कर्मचारियों ने करोड़ों के घोटाले कर डाले हैं। इन हालात को बदलने के लिए सरकार अपने सीधे माध्यम से बस चलवाए, लोगों को नौकरियां दे जिससे जिमेदारी तय की जा सकेगी। भले ही वेतन लाखों में न होकर हजार में हो। आशा हैं इस परिवहन की दुरावस्था पर कोई अंकुश लगेगा। 












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