लोकसभा के पिछले सत्र में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शिवजी की तस्वीर दिखाते हुए हिंदुत्व की व्याख्या की थी।उन्होंने भाजपा के हिंदुत्व को हिंसक औऱ खुद के हिंदुत्व को असली कहा था।मौजूदा इंडी गठबंधन के दूसरे नेता भी सेक्युरिज्म के बल पर हिंदू बताते रहते हैं।
सवाल यह है कि बंगलादेश में जो कुछ हिन्दू समाज के साथ इस्लामिक जमात कर रही है उस पर भारत के विपक्ष ने चुप्पी क्यों साध रखी है?
क्या विपक्ष का सेक्युलरिज्म केवल मुसलमानों के लिए मनमानी की गारंटी है? यह सवाल देश दुनिया के करोड़ों हिंदुओं के मन में उठ ही रहा होगा कि भारत का बड़ा राजनीतिक तबका गाजा में बरसात होने पर यहां छाता तानकर खड़ा हो जाता है लेकिन पड़ोस में हिन्दू महिलाओं, बच्चों तक की करुण चीत्कार उसके कानों तक क्यों नही पहुँच रही है।इंडी गठबंधन के किसी भी जिम्मेदार नेता ने अभी तक बंगलादेश के कट्टरपंथी इस्लामिक गुंडों के विरुद्ध कुछ भी नही बोला है क्योंकि हिंदुओं के पक्ष में खड़े होने का मतलब है कि भारत में उनके 22 करोड़ मुस्लिम वोटरों की सहानुभूति खो देना।
बंगाली अस्मिता के नाम पर राजनीति करने वाली ममता बनर्जी की चुप्पी भी उसी बंगाली भद्रलोक के लिए एक सन्देश है जिसके समर्थन से वह सत्ता में है।बंगलादेश में पीड़ित हिन्दू बंगाली ही है लेकिन ममता बनर्जी को लगता है कि अगर उन्होंने कट्टरपंथी मुस्लिम का विरोध किया तो उनके राज्य के मुसलमानों में नाराजगी फैल सकती है।जाहिर है विपक्ष की पूरी राजनीति हिंदुओं की कीमत पर मुसलमानों के वोटबैंक को जोड़े रखने तक ही सीमित है।
बंगाली भद्रलोक ने लंबे समय तक वामपंथ औऱ अब ममता बनर्जी को अपना समर्थन उदारता के नाम पर जारी रखा लेकिन उसी बंगाली अस्मिता के सर्वोच्च प्रतिनिधि गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर की प्रतिमा को इस्लामिक लफंगों ने न केवल जमीदोज किया बल्कि उसके ऊपर मूत्र विसर्जन तक की निकृष्टता दिखाई लेकिन ममता बनर्जी या देश के किसी अन्य सेक्युलर नेता ने अपनी जुबान नही खोली।याद ही होगा कि पिछले विधानसभा चुनाव में टीएमसी औऱ भाजपा कार्यकर्ताओं की आपसी पत्थरबाजी में ईश्वरचंद विद्यासागर की प्रतिमा क्षतिग्रस्त हो गई थी।तब ममता बनर्जी ने इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाकर बंगाली अपमान से जोड़ा था।यही ममता बनर्जी रवींद्र नाथ टैगोर के अपमान पर चुप्पी साधे हुए है।
देश के विपक्ष को वक्फ बोर्ड की वकालत के लिए संसद में भरपूर समय है लेकिन बंगलादेश के हिंदुओं के लिए एक मिनिट भी नही।राहुल गांधी लंबे समय से पिछड़ा, दलित की बात कर रहे हैं लेकिन बंगलादेश में उन्हें प्रताड़ित औऱ जान गंवाते इस वर्ग के लोग इसलिए नजर नही आ रहे हैं क्योंकि वे भारत के वोटर नही है।यहां सवाल फिर राहुल गांधी के उस हिंदुत्व औऱ दत्तात्रेय ब्राह्मण गोत्र पर है कि उनका खुद का हिंदुत्व उन्हें क्या सिखाता है?क्या उनका हिंदुत्व उन्हें तुष्टिकरण की यही सीख देता है कि भारत के बाहर औऱ अंदर केवल हिंदुओं को हिंसक औऱ साम्प्रदायिक बताया जाए।फैजाबाद के सांसद को अयोध्या का असली राजा बताने वाले अखिलेश के मुंह में दही इसलिए ही जमा हुआ है क्योंकि उनका पीडीए यानी पिछड़ा ,दलित अल्पसंख्यक में अल्पसंख्यक नाराज न हो जाएं।
असल में बंगलादेश की घटनाएं भारत के उस विद्रूप सियासी औऱ बौद्विक चरित्र को उजागर कर रही हैं जो नीति औऱ न्याय के स्थान पर सिर्फ सत्ता का सन्धान करता है।यह सत्ता हिंदुओं को भाजपा और संघ के नाम पर डराकर हासिल करनी है ।हिंदुओं को जाति में विभक्त कर अपने हित साधन करती रही है लेकिन जब समग्र हिंदुओं के हित की बात आती है तो मुसलमानों से भय खाकर भीगी बिल्ली बन जाती है।
बंगलादेश ने देश के एकेडमिक जगत को भी फिर एक बार नँगा करके रख दिया है।गाजा,राफेह पर हैस्टैग चलाने वाले जमाती किसी बंकर में जाकर छिप गए हैं।जो बाहर है वे मोहब्बत की दुकान में ऐसे ग्राहकों के इंतजार में है जो ढाका की तरह दिल्ली में भी लोककल्याण मार्ग में घुसकर लूटपाट करने में सक्षम हो।हद दर्जे की बेशर्म औऱ दोगली दुनिया है भारत के बौद्धिको की।सोशल मीडिया पर शेख हसीना के अंग वस्त्रों को लहराने वाले इस्लामिक गुंडों को क्रांति का चेहरा निरूपित किया जा रहा है।
पत्रकारों की बड़ी जमात औऱ मीडिया घराने टूल किट के इंस्ट्रूमेंट बनकर मोहब्बत की दुकान के नैरेटिव को सेट करने में पूरा पराक्रम झोंक रहे हैं।कोई फैक्ट चेकर यह चैक नही कर रहा है कि जो तस्वीरे बंगलादेश से हिन्दू मंदिरों की रखवाली के नाम पर मुसलमानों की जारी की जा रही है वे सच्ची है या नही।आखिर करेगा भी क्यों ?क्योंकि जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसायटी के साथ रिश्ता भी तो निभाना है।डीप स्टेट के एजेंटों की भारत मे वैसे भी कोई कमी नही है।किसी टीवी या यूटूबर एंकर को बंगलादेश के हिन्दू अल्पसंख्यकों के लिए स्क्रीन काली करते हुए लोग खोज रहे है।
इस घटनाक्रम को बहुत सतर्कता के साथ समझने की आवश्यकता भी है क्योंकि विपक्ष औऱ डीप स्टेट लॉबी भारत को अस्थिर करने का कोई अवसर छोड़ना नही चाहेगी।लोकसभा चुनाव में इस लॉबी के मंसूबे पूरे नही हो पाए हैं इसलिए वक्फ , बेरोजगारी या सुप्रीम कोर्ट के ताजा आरक्षण आदेश की आड़ में संभव है शाहीन बाग, सिंधु बार्डर पार्ट 02 की पटकथा तैयार की जा चुकी हो।देश को आने वाले समय में अत्यधिक सतर्कता से चलना होगा।

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