चार दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने मान सिंह पटेल की गुमशुदगी केस में नई स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित करने के आदेश दिए थे। इसके बाद से ही सागर पुलिस इस मामले में एक्टिव मोड में आ गई है।
सागर पुलिस ने सोमवार को भोपाल के छोला गणेश मंदिर के करीब से संतोष श्रीवास्तव उर्फ कबाड़ी को उठाया था। सागर एसपी विकास कुमार सहवाल ने बताया, 'संतोष के परिजन से संपर्क हो गया है। वह बैरसिया के रहने वाले हैं। हुलिया समान होने की वजह से उन्हें भोपाल पुलिस की मदद से पहचान कराने के लिए सागर लाया गया था। जल्द संतोष को उनके परिजन के हवाले कर दिया जाएगा।'
आईपीएस की एसआईटी गठित करने के निर्देश
बात दें कि लापता नेता मान सिंह पटेल के परिजन ने गोविंद सिंह राजपूत (वर्तमान में कैबिनेट मंत्री) पर उसे गायब करवाने के आरोप लगाए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक को आईपीएस की एक नई एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया है। एसआईटी आईजी रैंक के अफसर की अध्यक्षता में गठित करने के आदेश दिए गए।
जानिए, क्या है मामला
मान सिंह पटेल 2016 में लापता हो गए थे। जमीन विवाद मामले में उनके बेटे सीताराम ने उस समय के कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह राजपूत और उनके सहयोगियों पर पिता को गायब कराने का आरोप लगाया था। सीताराम ने पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराने आवेदन दिया था, लेकिन पुलिस ने मान सिंह की गुमशुदगी दर्ज कर ली।
पुलिस ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। इस एसआईटी की जांच को सुप्रीम कोर्ट ने महज दिखावा बताते हुए नई एसआईटी बनाने और इसमें दूसरे राज्यों के सीनियर आईपीएस अफसरों को शामिल कर जांच करने के निर्देश दिए हैं।
गोविंद सिंह पर लगाया था पुश्तैनी जमीन पर कब्जे का आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मान सिंह के बेटे सीताराम पटेल ने गोविंद सिंह राजपूत पर अपने पिता की गुमशुदगी और उनकी पुश्तैनी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया था। इस मामले में ओबीसी महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सीताराम पटेल ने दावा किया था कि उनके पिता अगस्त 2016 में उस समय लापता हो गए, जब उन्होंने राजपूत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। यह शिकायत सागर जिले में उनकी पुश्तैनी जमीन पर राजपूत और उनके साथियों द्वारा अवैध कब्जा और निर्माण से संबंधित थी।
सीताराम ने आगे आरोप लगाया कि उन्हें चुप कराने और संपत्ति पर कब्जा करने के लिए उनके पिता को गायब कराया गया था। स्थानीय प्रशासन और सीएम हेल्पलाइन को कई बार शिकायत करने के बावजूद मान सिंह का पता लगाने के लिए ठोस पुलिस कार्रवाई नहीं की गई।
कोर्ट ने कहा- जिन पर आरोप उनके हित में भी संदेह दूर होना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'इसमें कोई दो राय नहीं है कि लापता व्यक्ति को जानने वाले लोगों के मन में छिपे संदेह को संतोषजनक ढंग से दूर किया जाना चाहिए। यहां तक कि उन लोगों के हित में भी जिनके खिलाफ संदेह की सुई उठाई गई है।'
मानसिंह पटेल का पता लगाने में पुलिस की असमर्थता पर कोर्ट ने 2023 की एफआईआर पर सवाल उठाया। सीताराम ने कथित तौर पर कहा था कि पुलिस के अनुसार उनके पिता लापता नहीं हुए हैं।
इस पर अदालत ने कहा, 'इस स्तर पर, हम सीताराम द्वारा दिए गए बयान को संबोधित करना चाहते हैं, जिसके कारण एफआईआर संख्या 23/2023 दर्ज की गई। उस बयान को देखते हुए मानसिंह पटेल हैं, लापता नहीं हैं? मानसिंह अक्सर अपने घर आते-जाते रहते हैं, हम समझ नहीं पा रहे हैं कि स्थानीय पुलिस उनका पता क्यों नहीं लगा पाई है और हमारे सामने कोई स्पष्ट रुख क्यों नहीं अपना पाई है? मिसिंग रिपोर्ट नंबर 9/2016 में लगा आरोप झूठा है और इसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है।'

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