इसके अलावा कच्चे सोयाबीन ऑयल, कच्चे पाम ऑयल और कच्चे सनफ्लॉवर ऑयल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (बीसीडी) को 0% से 20% तक बढ़ा दिया है, जिससे कच्चे तेल पर प्रभावी शुल्क दर 27.5% हो गई है। इसके साथ ही रिफाइंड पाम ऑयल, रिफाइंड सनफ्लॉवर ऑयल और रिफाइंड सोयाबीन ऑयल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 12.5% से बढ़कर 32.5% तक हो गई है। बाजार में बिकने वाले सोयाबीन तेल में 40 से 60 फीसदी पाम ऑयल मिलाया जाता है। सरकार के इस फैसले से पहले पाम ऑयल की कीमत 3985 रुपए प्रति सौ लीटर यानी करीब 40 रुपए प्रति लीटर थी। इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ने के साथ कीमतें 900 रुपए प्रति 100 किलो तक बढ़ जाएगी।
इम्पोर्ट ड्यूटी और बेसिक कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से कैसे बढ़े दाम
सोयाबीन के जानकार कहते हैं कि भारत में ऑयल सीड इंडस्ट्री पिछले कुछ साल से बीज खरीदकर तेल उत्पादन करने से ज्यादा विदेशों से तेल आयात कर उसे रिफाइनिंग करने में ट्रांसफॉर्म हो गई है। इसकी वजह है कि यहां से सीड खरीदकर उसका कच्चा तेल बनाना इंडस्ट्री को महंगा पड़ता है।
इसे ऐसे समझिए कि 1 किग्रा सोयाबीन 50 रुपए में इंडस्ट्री ने खरीदा। इसमें से सिर्फ 17 से 18 प्रतिशत ही तेल निकलता है। बाकी 80 से 82 फीसदी सोयाबीन की खली यानी सोया डिओसी (डि ऑयल केक) निकलती है। इंडस्ट्री फायदे में तब रहेगी, जब तेल और डिओसी की कीमत बाजार में 50 रुपए से ज्यादा मिले।
जो इंडस्ट्री सोयाबीन से तेल निकाल रही थी, वह इम्पोर्ट ड्यूटी की वजह से घाटे में थी। इसकी पूर्ति के लिए उन्होंने सोयाबीन तेल में विदेशों से आयात किया 40 फीसदी पाम ऑयल या 60 से 80 फीसदी सस्ता कच्चा सोयाबीन तेल मिलाकर बेचना शुरू कर दिया था। इसकी वजह से बाजार में सोयाबीन तेल की कीमतें कम थीं।

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