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#धमाका बड़ी खबर : जिस "ट्रेक" से "सेना के जवानों" वाली "ट्रेन" गुजरने वाली थी उस पर "डेटोनेटर" मिलने से "हड़कंप"

सोमवार, 23 सितंबर 2024

/ by Vipin Shukla Mama
बुरहानपुर। जिस ट्रेक से सेना के जवानों को ले जा रही ट्रेन गुजरने वाली थी उस पर डेटोनेटर मिलने से हड़कंप मच गया। बुरहानपुर के नेपानगर और खंडवा के बीच स्थित सागफाटा रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक पर कुछ डेटोनेटर लगे मिले। गनीमत ये रही की ट्रेन के पहुंचने से पहले ही कुछ डेटोनेटर फूट गए। इससे रेलवे अधिकारी अलर्ट हो गए और सागफाटा स्टेशन पर ट्रेन रोक ली गई। इस मामले में आरपीएफ, एटीएस के अलावा देश की कई सुरक्षा और खुफियां एजेंसियां जांच में जुट गई हैं। बता दें की 18 सितंबर की ये घटना आज 22 को सामने आई। हालांकि रेलवे की ओर कहा गया है कि जो डेटोनेटर्स बरामद किए गए हैं, उन्हें रेलवे की ओर से ही इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन जिस जगह वो लगाए गए थे, वहां लगाने का कोई मतलब नहीं था, ऐसे में ये डेटोनेटर्स वहां किसने लगाए इसकी जांच की जा रही है।
10 डेटोनेटर करीब एक से डेढ़ फीट के अंतराल से रखे गए थे
रेलवे सूत्रों के अनुसार, दिल्ली-मुंबई ट्रैक पर सागफाटा से डोंगरगांव के बीच 10 डेटोनेटर करीब एक से डेढ़ फीट की दुरी पर रखे गए थे। ट्रेन खंडवा से होते हुए तिरुवनंतपुरम जा रही थी। इसमें आर्मी के अफसर, कर्मचारी और हथियार थे। मामले को रेल मंत्रालय ने काफी गंभीरता से लिया है। आर्मी के अधिकारी भी जांच में जुटे हैं। वे पूछताछ के लिए चाबीदार और ट्रैकमैन की कस्टडी मांग रहे हैं। मध्य रेलवे भुसावल मंडल के पीआरओ जीवन चौधरी ने कहा है कि अभी मामले की जांच चल रही है। डॉग स्क्वायड की मदद से भी छानबीन की जा रही है।
नेपानगर स्टेशन पर आधे घंटे रुकी थी ट्रेन
सागफाटा स्टेशन के कंट्रोल रूम में नेपानगर से ट्रैक पर डेटोनेटर होने की सूचना दी गई। जिसके बाद ट्रेन को दोपहर करीब ढाई बजे सागफाटा स्टेशन पर आधे घंटे तक रोका गया। ट्रैक पर रखे डेटोनेटर 2014 के बताए जा रहे हैं। यह पांच साल के लिए ही वैध रहते हैं। छठवें साल में इनका टेस्ट होता है। इन्हें रेलवे ही बनाता है।
रेलवे ने कहा, ये रेलवे के ही रेगुलर इस्तेमाल के डेटोनेटर्स
मध्य रेलव के सीपीआरओ ने बताया कि मध्य रेलवे के भुसावल रेल मंडल में नेपानगर से लेकर खंडवा के बीच स्थित सागफाटा स्टेशन के पास में कुछ डेटोनेटर ट्रैक पर लगाने का मामला 18 तारीख को सामने आया है। इस घटना में जो डेटोनेटर्स इस्तेमाल किए गए हैं, ये रेलवे के द्वारा रेगुलर काम में इस्तेमाल किए जाने वाले डेटोनेटर्स हैं, इन्हें पटाखे बोला जाता है और जब ये फटते हैं तब इसकी बहुत तेज आवाज होती है। जिसके चलते चालक को आगे हुए अवरोध या धुंध या कोहरे के समय में किसी सिग्नल की जानकारी मिलती है।










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