शिवपुरी। श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय शिवपुरी में गरुवार को एमबीबीएस छात्र-छात्राओं के द्वारा शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षक सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया। कॉलेज अधिष्ठाता ने डॉ. डी परमहंस वतौर मुख्यातिथि शिरकत की। एमबीबीएस छात्र- छात्राओं सहित चिकित्सा शिक्षकों ने भी विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया।इस दौरान अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस, विभागाध्यक्ष एवं पूर्व डीन डॉक्टर ईला गुजरिया, विभागाध्यक्ष एवं पूर्व डीन डॉक्टर के.बी. वर्मा ,अधीक्षक डॉक्टर आशुतोष चौऋषि,विभागाध्यक्ष डॉक्टर राजेश अहिरवार,विभागाध्यक्ष डॉक्टर पंकज शर्मा, विभागाध्यक्ष डॉक्टर अनंत राखोंडे, विभागाध्यक्ष डॉक्टर अपराजिता तोमर सहित कॉलेज के समस्त वरिष्ठ सीनीयर, जूनियर डॉक्टर्स, नर्सिंग ऑफिसर, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ एमबीबीएस छात्र - छात्राऐं उपस्थित हुए। कार्यक्रम संयोजन एवं सफल संचालन उप रजिस्ट्रार डॉक्टर ऊरवशी मारवाह द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिष्ठाता डॉक्टर डी.परमहंस ने कहा कि शिक्षक हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए शिक्षक को भगवान से ऊपर का दर्जा दिया गया है। शिक्षक हमें ज्ञान देने के साथ ही जीवन को जीने की कला सिखाते हैं। वे जीवन में होने वाली चुनौतियों से लड़ना सिखाते हैं और भविष्य के बेहतर निर्माण के लिए प्रेरणा देते हैं। हमारे देश में टीचर्स को सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के लिए रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। विश्व भर में शिक्षक दिवस को 5 अक्टूबर को मनाया जाता है लेकिन भारत में इस दिन को भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में 5 सितंबर को मनाया जाता है।
साथ ही यह भी कहा कि डॉ. राधाकृष्णन एक विद्वान, शिक्षक और प्रसिद्ध दार्शनिक भी थे। उनका जन्म 5 सितम्बर 1888 को तिरुत्तनी में हुआ था। उनको देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया था। उनके द्वारा एजुकेशन क्षेत्र में किये गए कार्यों को ध्यान में रखते हुए शिक्षक दिवस को 5 सितंबर को मनाये जाने का फैसला किया गया। कहा जाता है कि डॉ. राधाकृष्णन के स्टूडेंट्स और अन्य मित्रों ने मिलकर उनके जन्मदिवस को धूमधाम से सेलिब्रेट करने के लिए कहा। लेकिन वह इसके पक्षधर नहीं थे और उन्होंने इसे मनाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि इस दिन अगर सभी शिक्षकों को सम्मान दिया जाना चाहिए न कि मुझ अकेले को। इसके बाद से उनकी जयंती को देश में नेशनल टीचर्स डे के रूप में घोषित कर दिया गया। पहली बार राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 सितंबर 1962 को मनाया गया था।

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