शिवपुरी। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश और हिंदी साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित तीन दिवसीय कवि कुम्भ में सम्पन्न हुए कवि सम्मेलन में शिवपुरी के जाने-माने कवि व शायर सुकून शिवपुरी ने देश के नामचीन व स्थापित कवियों की मौजूदगी में अपने बातरन्नुम सनसनीखेज काव्य पाठ से सभी को हतप्रभ करते हुए वाह वाह करने पर मजबूर कर दिया। इस कवि सम्मेलन में देश विदेश के करीब तीन सौ चार सौ कवि उपस्थित हुए थे और सभी को मात्र पांच पांच मिनट का समय काव्य पाठ के लिए दिया गया था, किंतु सुकून शिवपुरी ने काव्य पाठ शुरू करते हुए ऐसा समां बांधा कि देश की प्रख्यात कवियत्री डॉ0 अनामिका जैन अंबर ने नियम को शिथिल करते हुए उन्हें दस बारह मिनट तक काव्य पाठ करने की अनुमति दे दी। इसके बाद तो वाह वाह का शोर मीटर इतना तेज हो गया कि अगले दो दिन तक कवि कुम्भ में उसकी गूंज सुनाई देती रही।
सुकून शिवपुरी ने कहा -
फ़तह की सोंने की लंका भी राम ने लेकिन
वहां से कोई एक कंकरी नहीं लाए
लिया माॅं सीते के अपमान का हर इक बदला
मगर किसी की वो मंदोदरी नहीं लाए।
मुनाफ़ा दे रहे जब कांटे ही सियासत में
तो कौन सोचेगा फूलों की ख़ुशबुओं के लिए
कि आओ हम ही ज़रा अश्क़ बहा लें मिल कर
कोई न रोएगा बंगाली हिंदुओं के लिए।
इस कवि कुम्भ में देश के ओज सम्राट डॉ0 हरिओम पंवार, फिल्मी गीतकार संतोष आनंद, सौरभ जैन सुमन, डॉ0 अनामिका जैन अंबर, गौरव चौहान, शशिकांत यादव, सुमित ओरछा, मंजू दीक्षित, डॉ0 आशीष अनल, प्रख्यात मिश्रा, सुनील साहिल, उमंग गोयल, अभय निर्भीक व सौरभ जैन भयंकर जैसे देश के नामचीन कवि उपस्थित थे। शिवपुरी से सुकून शिवपुरी के अलावा अवधेश सक्सेना, अंजलि गुप्ता कृष्ण दीवानी व कस्बा बदरवास के घनश्याम शर्मा ने भी अपने काव्य पाठ से सभी को प्रभावित किया।

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