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#धमाका साहित्य कॉर्नर : "बीबी गर मारे तो चिल्लाना नहीं चाहिए", बदरवास में अभा कवि सम्मेलन सम्पन्न

बुधवार, 2 अक्टूबर 2024

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। अग्रसेन जयंती महोत्सव के अंतर्गत अग्रवाल समाज बदरवास द्वारा अग्रवाल धर्मशाला बदरवास में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेंद्र जैन गोटू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांताध्यक्ष आशीष दुबे ने की । कार्यक्रम का शुभारंभ अंजलि कृष्ण दीवानी की सरस्वती वंदना से हुआ। 
तत्पश्चात् देश के सुप्रसिद्ध हास्य कवि मुकेश शांडिल्य (टिमरनी हरदा), प्रसिद्ध ओज कवि आशीष दुबे अग्निदूत (गंज बासौदा विदिशा), युवा गीतकार प्रतीक चौहान (भिण्ड), सुकून शिवपुरी, हास्य कवि सत्तार शिवपुरी, प्रमोद गुप्ता भारती (करैरा), अंजलि गुप्ता कृष्ण दीवानी TV show वाह भई वाह फेम (शिवपुरी) व घनश्याम शर्मा (बदरवास) ने एक से बढ़ कर एक काव्य प्रस्तुतियां दीं।
हास्य कवि मुकेश शांडिल्य पूरे कवि सम्मेलन में छाए रहे-
घर वाले सारे काम पूरे करो सुबह शाम 
बर्तन मांजो तो बजाना नहीं चाहिए 
ज़िंदगी की एक बात कहता हूं साफ़ साफ़ 
बीबी गर मारे तो चिल्लाना नहीं चाहिए।
सुकून शिवपुरी ने बातरन्नुम ग़ज़ल पेश करते हुए समां बांध दिया-
आज बरसों में मग़रूर लोगों का सर
शर्म से झुक गया है बड़ी बात है 
आंधियों के मुक़ाबिल अगर दोस्तो 
इक दिया जल रहा है बड़ी बात है।
भिण्ड से पधारे सुप्रसिद्ध गीतकार प्रतीक चौहान के गीतों पर श्रोतागण झूम उठे-
स्वप्न स्वाहा हुए तो हवन हो गया 
नैन झरने झरे आचमन हो गया 
पीर लय में घुली आरती हो गई 
दर्द को स्वर मिला तो भजन हो गया।
प्रमोद गुप्ता भारती ने अपनी कविता से सभी के दिलों को छू लिया-
गंगाजल के जैसी निर्मल पावन है बेटी 
होली, दोज, दशहरा, अक्ती, सावन है बेटी 
चिड़ियों जैसी चहक रही है घर के आंगन में 
सबके मन को भाए सदा मनभावन है बेटी।
हास्य के शायर सत्तार शिवपुरी ने भी ख़ूब हंसाया-
मेरा बेटा हज करवाए ये भी तो हो सकता है 
और गिन गिन कर रोटी आए ये भी तो हो सकता है।
अंजलि कृष्ण दीवानी ने श्रोताओं की ख़ूब तालियां बटोरीं-
अंजुली भर पिया प्रेम प्याला नहीं 
भूख मन की मिटे वो निवाला नहीं 
हम भटकते रहे जाने कितने ही दर
मॉं के ह्रदय सा कोई शिवाला नहीं।
स्थानीय कवि घनश्याम शर्मा ने भी अपनी भरपूर नुमाइंदगी दर्ज की-
मुस्कराती तुम्हें यूं ही देखा करूं 
खिलखिलाती तुम्हें यूं ही देखा करूं 
प्यार खेती मेरी जिसकी तुम हो फ़सल
लहलहाती तुम्हें यूं ही देखा करूं।
अंत में अग्रवाल समाज के अध्यक्ष गोपाल दास अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।










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